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Written By DW
Last Updated : मंगलवार, 9 मई 2023 (21:34 IST)

karnataka assembly election: बीजेपी और कांग्रेस दोनों को कर्नाटक से उम्मीद

karnataka assembly election: बीजेपी और कांग्रेस दोनों को कर्नाटक से उम्मीद - BJP and Congress both have hope from Karnataka
-चारु कार्तिकेय
 
karnataka assembly election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। दोनों पार्टियां राज्य में जीत कर 2024 के लिए बड़ा संदेश देना चाह रही हैं। कर्नाटक विधानसभा (karnataka assembly) की 224 सीटों पर मतदान 10 मई को होने हैं। मोदी और बीजेपी इतनी मेहनत इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है।
 
चुनावी अभियान के बंद होने के 1 दिन बाद प्रधानमंत्री ने राज्य के मतदाताओं के नाम एक खुला पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने पिछले साढ़े 3 सालों में बीजेपी की डबल इंजन सरकार द्वारा किए गए काम का लेखा जोखा दिया है।
 
राज्य में बीजेपी के पूरे चुनावी अभियान का मुख्य चेहरा मोदी ही रहे हैं। वो जनवरी से मई तक कई बार कर्नाटक दौरे पर गए। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभियान के सिर्फ आखिरी चरण में ही उन्होंने राज्य में 22 रैलियों को संबोधित किया। मोदी और बीजेपी इतनी मेहनत इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण राज्य है।
 
पांच साल रही उथल-पुथल
 
यह दक्षिण भारत का इकलौता राज्य है जहां बीजेपी सत्ता तक अपनी पहुंच बना पाई है। इसलिए यहां से दूसरे दक्षिणी राज्यों में पार्टी के लिए गलियारा खुले या न खुले, यहां सत्ता में बने रहना पार्टी के लिए बेहद जरूरी है। मेहनत का दूसरा कारण यह भी है कि यहां कांग्रेस अभी भी काफी मजबूत स्थिति में है।
 
कांग्रेस 2013 से राज्य में सत्ता में थी। लेकिन पिछले 5 सालों में राजनीतिक उथल-पुथल लगातार जारी रही। 2018 में सबसे ज्यादा सीटें (104) बीजेपी ने जीतीं और बहुमत ना होने के बावजूद बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बना ली। कांग्रेस और जेडीएस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गईं और अदालत ने येदियुरप्पा को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का आदेश दिया, लेकिन विश्वास मत से ठीक पहले येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया।
 
इसके बाद जेडीयू और कांग्रेस ने मिल कर सरकार बना ली और एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने। लेकिन यह सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। करीब 14 महीनों बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के कई विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और बहुमत गंवा दिया।
 
कुमारस्वामी को इस्तीफा देना पड़ा, बीजेपी सत्ता में वापस आ गई और एक बार फिर येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए। जुलाई 2021 में उन्होंने एक बार फिर इस्तीफा दिया और बीजेपी के बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री बने।
 
यही कारण है कि इस बार बीजेपी राज्य के मतदाताओं से विशेष रूप से पार्टी को बहुमत देने की अपील कर रही है। बीजेपी की तरफ से मुख्य रूप से डबल इंजन सरकार को इस अपील का आधार बनाया गया है यानी पार्टी का कहना है कि केंद्र और राज्य में बीजेपी की ही सरकार होने से राज्य के लोगों को फायदा है।
 
इसके अलावा पार्टी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस पर कई मुद्दों को लेकर हमला किया। कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में बजरंग दल जैसे संगठनों पर बैन लगाने की बात की तो बीजेपी ने तुरंत इस प्रस्ताव पर रोष प्रकट किया।
 
भावनात्मक मुद्दे बनाम बेरोजगारी
 
खुद मोदी बजरंग दल के बचाव में उतरकर आए और अपने भाषणों में कहा कि कांग्रेस ने भगवान हनुमान को ही ताले में बंद करने का फैसला लिया है। भाजपा नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा ने तो कांग्रेस के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस के घोषणापत्र की एक प्रति को ही जला डाला। इसके अलावा मोदी ने द केरला स्टोरी फिल्म को भी चुनावी मुद्दा बना दिया।
 
केरल में कांग्रेस के एक नेता के इस फिल्म को बैन करने की मांग करने के बाद मोदी ने कहा कि इस फिल्म ने आतंकवाद के नए चेहरे को दिखाया है लेकिन कांग्रेस पार्टी फिल्म को बैन करना चाह रही है और आतंकियों का समर्थन करना चाह रही है।
 
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से इस देश की रक्षा नहीं की है। क्या कांग्रेस कर्नाटक को बचा सकती है? इसी तरह के और भी कई भावनात्मक मुद्दे बीजेपी ने उठाए हैं और इनके जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।
 
कांग्रेस का अभियान भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहा। कांग्रेस कई महीनों से बोम्मई सरकार पर हर सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाती रही है। चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस ने 40 प्रतिशत सरकार को एक तरह से अपना नारा ही बना डाला।
 
इसके अलावा पार्टी ने बेरोजगारी और महंगाई की समस्याओं को भी रेखांकित करने की कोशिश की है। कांग्रेस ने हर महीने 3000 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है। लोकनीति-सीएसडीएस और एनडीटीवी द्वारा मिल कर कराए गए एक सर्वे में भी पाया गया कि इन चुनावों में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है।
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