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Last Updated : मंगलवार, 9 मई 2023 (15:20 IST)

मुस्लिम आरक्षण पर अमित शाह का बयान, जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

supreme court
Supreme Court on Amit Shah's remarks: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण ( Muslim reservation in Karnataka) वापस लेने से संबंधित अदालत के विचाराधीन मामले पर राजनीतिक बयानबाजी पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि 'कुछ पवित्रता बनाए रखने की आवश्यकता है'।
 
न्यायमूर्ति केएम जोसफ, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एक पीठ ने कहा कि जब मामला अदालत में विचाराधीन है और कर्नाटक मुस्लिम आरक्षण पर अदालत का आदेश है तो इस मुद्दे पर कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। यह उचित नहीं है। कुछ पवित्रता बनाए रखने की जरूरत है।
 
चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को रद्द करने को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि कर्नाटक में हर दिन गृहमंत्री बयान दे रहे हैं कि उन्होंने 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण वापस ले लिया है। ऐसे बयान क्यों दिए जाने चाहिए?
 
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दवे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें ऐसी किसी टिप्पणी की जानकारी नहीं है और अगर कोई कह रहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए तो गलत क्या है और यह एक तथ्य है।
 
अदालत के बाहर टिप्पणी अनुचित : न्यायमूर्ति जोसफ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल का कोर्ट में बयान देना कोई समस्या नहीं है, लेकिन विचाराधीन मामले पर अदालत के बाहर कुछ कहना उचित नहीं है। 1971 में अदालत के आदेश के खिलाफ एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने पर एक राजनीतिक नेता के खिलाफ अवमानना का मामला लाया गया था। दवे ने कहा कि ये बयान हर दिन दिए जा रहे हैं।
 
मेहता ने कहा कि अदालत को दवे को अदालत में इस तरह के बयान देने और उसके लिए अदालती कार्यवाही का इस्तेमाल करने से रोकने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि हम इस अदालत को राजनीतिक मंच नहीं बनने देंगे। हम इसके पक्षकार नहीं हैं। हम मामले को स्थगित कर देंगे।
 
शुरुआत में मेहता व वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के सदस्यों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हें सुनवाई से कुछ राहत की जरूरत है क्योंकि संविधान पीठ का मामला समलैंगिक विवाह पर चल रहा है जिसमें वे बहस कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा। दवे ने कहा कि अगले आदेश तक ऐसा ही होना चाहिए।
 
इसके बाद पीठ ने निर्देश दिया कि पिछली सुनवाई में पारित अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेंगे और मामले को जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
 
कर्नाटक सरकार ने 26 अप्रैल को शीर्ष अदालत को बताया था कि उसने केवल धर्म के आधार पर आरक्षण को जारी नहीं रखने का 'सचेत निर्णय' लिया है क्योंकि यह असंवैधानिक है और इसलिए, उसने मुस्लिम समुदाय के लिए चार प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को समाप्त कर दिया है। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala