3 साल की उम्र में पिता का साया उठा जो रेणुका को क्रिकेटर बनते हुए देखना चाहते थे
विश्व चैंपियन भारतीय महिला टीम की तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर जब केवल तीन वर्ष की थी तब उनके पिता केहर सिंह ठाकुर का निधन हो गया था। शिमला जिले के रोहड़ू तहसील के पारसा गांव की रहने वाली रेणुका के चाचा ने ही उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें क्रिकेट में आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने रेणुका को धर्मशाला स्थित क्रिकेट अकादमी में डाला जहां से इस तेज गेंदबाज के क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई।
रेणुका सिंह की मां सुनीता ने कहा कि उनकी बेटी को बचपन में क्रिकेट का बहुत शौक था और वह अपने इलाके के लड़कों के साथ घर में बने लकड़ी के बल्ले और कपड़े से बनी गेंदों से खेलती थीं।सुनीता ने यह भी कहा कि उनके दिवंगत पति क्रिकेट प्रेमी थे और चाहते थे कि रेणुका इस खेल में देश का नाम रोशन करे।
सुनीता ने कहा, मेरे पति क्रिकेट प्रेमी थे और उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चों में से कोई एक खेल में जाए। आज भले ही वह हमारे साथ नहीं है लेकिन मेरी बेटी ने उनके सपनों को पूरा किया है।उन्होंने कहा, रेणुका को शुरू से ही क्रिकेट खेलने का शौक था और वह बचपन से ही लड़कों के साथ यह खेल खेलती थीं। जब वह छोटी थी तब कपड़े से गेंद बनाकर लकड़ी के बल्ले से खेला करती थीं।
ठाकुर परिवार ने विश्व कप में जीत का जश्न मनाने के लिए सोमवार को पूरे गांव को दावत दी।सुनीता ने फाइनल से पहले रेणुका से बात की थी और कहा था, आज अपने लिए नहीं, बल्कि देश के लिए खेलो और विश्व कप जीतो।
तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर ने इस जीत का श्रेय टीम की एकजुटता और महिला प्रीमियर लीग (WPL) के अनुभव को देते हुए कहा कि टीम ने दबाव से निपटना सीख लिया है। उन्होंने कहा, हमारे गेंदबाजों में काफी एकजुटता है और सभी एक दूसरे का समर्थन करते हैं। जब गेंदबाजी में इतने सारे विकप्ल हो तो दबाव हावी नहीं होता है। रेणुका ने कहा, डब्ल्यूपीएल से काफी बदलाव आये हैं। अभी हम ट्रॉफी जीत कर आये हैं और हमें फाइनल के दबाव के बारे में पता था इसलिए हमारा प्रदर्शन नहीं डगमगाया।