बेंगलुरू:कपिल देव के 434 टेस्ट विकेट से आगे निकलने वाले भारत के आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने खुलासा किया कि बचपन में वह एक बल्लेबाज बनना चाहते थे और अगला कपिल पाजी बनने के लिये मध्यम तेज गेंदबाजी करते थे।
35 वर्ष के अश्विन ने कपिल के 434 टेस्ट विकेट को अपने 85वें टेस्ट में पीछे छोड़ा। वह टेस्ट क्रिकेट में अनिल कुंबले के बाद भारत के सबसे सफल गेंदबाज बन गए हैं।
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा , बहुत अच्छा लग रहा है। 28 साल पहले मैं अपने दा के साथ कपिल पाजी के लिये तालियां बजा रहा था जब उन्होंने रिचर्ड हैडली का रिकॉर्ड तोड़ा था।
उन्होंने कहा , मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनसे ज्यादा विकेट लूंगा क्योंकि मैं बल्लेबाज बनना चाहता था , खासकर आठ वर्ष की उम्र में जब मैने खेलना शुरू किया था।उन्होंने कहा , 1994 में बल्लेबाजी मेरा शौक था। सचिन तेंदुलकर उभरते सितारे थे और कपिल देव खुद शानदार बल्लेबाज थे।
अश्विन ने कहा, अपने पिता की सलाह पर मैं मध्यम तेज गेंदबाजी करता था ताकि अगला कपिल पाजी बन सकूं । वहां से आफ स्पिनर बनना और इतने साल तक भारत के लिये खेलना । मैने कभी यह सोचा भी नहीं था।
वॉर्न ने स्पिन गेंदबाजी को नयी परिभाषा और आक्रामकता दी : अश्विनशेन वॉर्न की मौत पर अभी भी भरोसा नहीं कर पा रहे भारतीय आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत स्पिनर ने स्पिन गेंदबाजी को नये सिरे से परिभाषित करके आक्रामकता दी।वॉर्न का शुक्रवार को थाईलैड के कोह समुइ में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा , वॉर्न ने स्पिन गेंदबाजी को विश्व क्रिकेट के मानचित्र पर अग्रणी बनाया। दुनिया में सर्वाधिक विकेट लेने वाले तीन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन, शेन वॉर्न और अनिल कुंबले स्पिनर हैं।
उन्होंने कहा ,वह दिलचस्प इंसान थे। ऑस्ट्रेलिया के इतने महान खिलाड़ियों ने उनके बारे में अच्छी बातें की हैं ।मैं अभी भी यह स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं कि जीवन कितना क्षणभंगुर है। कोई कयास नहीं लगा सकता कि आगे क्या होगा ।
अश्विन ने कहा , शेन वॉर्न रंग बिरंगे शख्स थे । उन्होंने गेंदबाजी को नये सिरे से परिभाषित किया और 1000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विकेट लिये ।यह बहुत दुर्लभ उपलब्धि है।वॉर्न ने इंग्लैंड के माइक गैटिंग को सदी की सर्वश्रेष्ठ गेंद फेंकी थी लेकिन वह अश्विन की पसंदीदा वॉर्न की गेंद नहीं है।
उन्होंने कहा , शेन वॉर्न ने क्रिकेट जगत में स्पिन गेंदबाजी को आक्रामक बनाया। हर कोई माइक गैटिंग को फेंकी उनकी गेंद की बात कर रहा है लेकिन मेरी पसंदीदा गेंद 2005 एशेज में एंड्रयू स्ट्रॉस को डाली उनकी गेंद थी।उन्होंने कहा , उस श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया के लिये उन्होंने अकेले मोर्चा संभाला। वह असाधारण इंसान थे और अपने जीवन को भरपूर जिया।
अश्विन ने कहा , मैं राहुल द्रविड़ से बात कर रहा था जो बहुत दुखी थे। एक स्पिनर के शरीर का ऊपरी हिस्सा और कंधे बहुत मजबूत होने चाहिये क्योंकि गेंद को स्पिन कराने के लिये कई रोटेशन लेने पड़ते थे। लेग स्पिनर के लिये तो यह और भी जरूरी है। वॉर्न के कंधे बहुत मजबूत थे।
उन्होंने कहा , लगता है कि राहुल भाई ने उनसे पूछा था कि उनके कंधे इतने मजबूत कैसे हैं। यह अनूठी कहानी है। ऑस्ट्रेलिया रूल्स फुटबॉल एक खेल है जो रग्बी जैसा है। वह इसे खेलना चाहते थे लेकिन उनकी कद काठी उसके लायक नहीं थी। इस खेल को खेलने वाले खिलाड़ी लंबे चौड़े होते हैं ।
बचपन में वॉर्न के पैर की दो हड्डियां टूट गई थी जब दूसरा बच्चा ऊंचाई से उनके ऊपर कूद गया था। दोनों पैरों पर प्लास्टर होने से वह व्हीलचेयर पर शरीर के ऊपरी हिस्से से मूवमेंट करते थे जिसससे उनके कंधे मजबूत हो गए।
अश्विन ने कहा , वह चल नहीं पाते थे और बिस्तर पर थे। अपने हाथों का सहारा लेकर वह सरकते थे। इससे उनके कंधे मजबूत हुए। यही उन्होंने राहुल भाई को बताया। हम सभी के जीवन में चुनौतियां आती है लेकिन वॉर्न ने सिखाया कि उसे सफलता की सीढी कैसे बनाना है।
(भाषा)