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Written By भाषा

दस फीसद विकास दर का लक्ष्य रखें-मनमोहन

Manmohan Singh Economic Growth Rate | दस फीसद विकास दर का लक्ष्य रखें-मनमोहन
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश को अगले दशक में नौ से दस प्रतिशत की सतत आर्थिक विकास दर का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। उन्होंने और अधिक सुधारों और बुनियादी ढाँचा एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया।

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सिंह ने स्पष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्रों और समाज के विभिन्न वर्गों का उन्नयन ‘कल के भारत के निर्माण’ के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने ग्रामीण और शहरी बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में निवेश के लिए कई पहल की है, अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया है और कृषि अर्थव्यवस्था की उत्पादकता में सुधार किया है।

‘हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में प्रधानमंत्री ने कहा-2020 दूर नहीं है। अगले दशक में हमारी प्राथमिक चुनौती अर्थव्यवस्था की उच्च विकास दर बनाए रखने की होगी, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि विकास की प्रक्रिया एक समान रहे।

उन्होंने कहा हमें हर बच्चे और वयस्क की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए निवेश करना होगा। उन्होंने कहा कि अन्य चुनौतियों में आधुनिक, सक्षम एवं पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढाँचा तैयार करना, सरकारी और सार्वजनिक सेवाओं को क्षमतावान बनाना और पारदर्शिता के साथ काम करना शामिल है।

मनमोहनसिंह ने सामाजिक बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि हमारी 35 प्रतिशत की बचत दर सुझाती है कि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर राजनीतिक नेतृत्व के सामने यह लक्ष्य हासिल करने की चुनौती है।

सिंह ने कहा कि राज्यों को विकास की प्रक्रिया में केंद्र के साथ जिम्मेदारी बाँटना होगी। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार की हर पहल का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन करना होगा। हमें राज्य और जिला स्तरों पर सक्रिय एवं रचनात्मक नेतृत्व की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि भारत में वास्तविक बदलाव तब आएगा, जब हमें सही किस्म का राज्य और स्थानीय स्तर का नेतृत्व हासिल हो जो आधुनिक हो, गर्मजोशी से भरा और विकासवादी रुख वाला हो और जो हमारे गणराज्य की आधारशिला को मजबूत करने वाला हो। नए भारत निर्माण के लिए नेतृत्व पर चलने वाली बहस को अब राज्यों की ओर केन्द्रित करना चाहिए।