Electric Car Insurance: मई 2024 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में औसत 21% की बढ़त देखने को मिली थी। जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता बढ़ रही है, वैसे-वैसे इलेक्ट्रिक कार इंश्योरेंस को लेकर भी लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं।
जैसे इलेक्ट्रिक कारों का इंश्योरेंस कन्वेंशनल कारों के इंश्योरेंस से कितना अलग हो सकता है? क्या इलेक्ट्रिक कार का इंश्योरेंस कन्वेंशनल पेट्रोल-डीजल कारों से महंगा होता है? क्या इसमें कोई विशेष कवरेज मिलती है? यदि आप भी
इलेक्ट्रिक कार इंश्योरेंस खरीदने की सोच रहे हैं या आपके मन ने कार इंश्योरेंस से जुड़ा कोई भी सवाल हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।
EV इंश्योरेंस को अलग बनाने वाले प्रमुख फैक्टर्स
EV इंश्योरेंस को बेहतर समझने के लिए उन फ़ैक्टर के बारे में जानना काफ़ी जरूरी है, जो EV इंश्योरेंस को अलग बनाते हैं। EV इंश्योरेंस को अलग बनाने वाले मुख्य फ़ैक्टर कुछ इस प्रकार हैं:
1. महंगे होती हैं ईवी गाड़ियां
ईवी गाड़ियों की कीमत पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से ज्यादा होती है, क्योंकि इनमें एडवांस्ड बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक मोटर और हाई-टेक कंपोनेंट्स होते हैं।
महंगी कार का मतलब है बड़ा इंश्योरेंस क्लेम, जिससे इंश्योरेंस प्रीमियम भी ज्यादा आता है। अगर ईवी चोरी हो जाए या कोई बड़ा नुकसान हो, तो इंश्योरेंस कंपनी को भारी भरकम राशि चुकानी पड़ सकती है। इसी वजह से ईवी का इंश्योरेंस कन्वेंशनल गाड़ियों के मुकाबले महंगा होता है।
2. बैटरी की कीमत और कवरेज
ईवी की सबसे महंगी और जरूरी चीज बैटरी होती है अगर इसमें कोई खराबी आ जाए या एक्सीडेंट में नुकसान हो, तो इसकी मरम्मत या रिप्लेसमेंट बहुत महंगा पड़ता है। इसलिए ईवी इंश्योरेंस पॉलिसी में बैटरी कवर को शामिल करना जरूरी होता है, जिससे प्रीमियम बढ़ जाता है।
कई इंश्योरेंस कंपनियां बैटरी से जुड़े कुछ खास नुकसान कवर नहीं करतीं, जैसे कि चार्जिंग के दौरान शॉर्ट सर्किट या बैटरी डैमेज। ऐसे में ग्राहकों को अलग से बैटरी प्रोटेक्शन एड-ऑन लेना पड़ सकता है, जिससे कुल इंश्योरेंस लागत और बढ़ जाती है।
3. रिपेयर और मेंटेनेंस का खर्च
ईवी में कन्वेंशनल इंजन नहीं होता, बल्कि इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम होते हैं, जिनकी मरम्मत के लिए स्पेशलिस्ट टेक्नीशियन की जरूरत होती है। ईवी गाड़ियों की मरम्मत के लिए स्पेशल सर्विस और पार्ट्स की ज़रूरत होती है, जिससे रिपेयर कॉस्ट बढ़ जाती है। इस वजह से इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम बढ़ा देती है।
4. कम इंश्योरेंस कंपनियां
ईवी मार्केट अभी भी बढ़ रहा है, और फिलहाल सभी इंश्योरेंस कंपनियां ईवी पॉलिसी नहीं देतीं। कन्वेंशनल गाड़ियों के लिए कई तरह के इंश्योरेंस प्लान मौजूद हैं, लेकिन ईवी के लिए ऑप्शंस कम हैं।
क्योंकि ईवी एक नई तकनीक है, इसलिए इंश्योरेंस कंपनियां इसके रिस्क को पूरी तरह से समझ नहीं पाई हैं। कुल मिलाकर, कम ऑप्शंस होने से ग्राहकों को महंगे प्लान लेने पड़ते हैं, जिससे इंश्योरेंस महंगा हो जाता है।
5. रिस्क फैक्टर्स और सेफ्टी फीचर्स
ईवी में आग लगने, बैटरी फेलियर और चार्जिंग से जुड़े रिस्क ज्यादा होते हैं। लेकिन सेफ्टी फीचर्स जैसे ऑटो कट-ऑफ और स्मार्ट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम इन रिस्क को कम करते हैं। जोखिम ज्यादा होने की वजह से, इंश्योरेंस प्रीमियम पर असर पड़ता है।
ईवी और पेट्रोल-डीजल कार इंश्योरेंस में कवरेज का अंतर
इलेक्ट्रिक कारों (EV) और कन्वेंशनल कारों के लिए इंश्योरेंस के कवरेज में कुछ अंतर होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
EV और कन्वेंशनल कार इंश्योरेंस की कीमत में अंतर
EV और पेट्रोल-डीजल
कार इंश्योरेंस प्रीमियम IRDAI तय करता है। अभी EV गाड़ियों के इंश्योरेंस पर 15% की छूट मिलती है, ताकि ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियां अपनाएं।
इलेक्ट्रिक कार इंश्योरेंस पर मिलने वाले डिस्काउंट और बेनेफिट्स
सरकार और इंश्योरेंस कंपनियां मिलकर EV को अपनाने को आसान और सस्ता बना रही हैं। जिसके लिए कई तरह के छूट दिए जाते हैं।
1. सरकारी छूट और प्रोत्साहन
ईवी खरीदने पर सरकार और इंश्योरेंस कंपनियां कई फायदे देती हैं। EV इंश्योरेंस प्रीमियम पर 15% की छूट, लोन के ब्याज दर पर डिस्काउंट, और टैक्स बेनेफिट्स मिलती है। इसके अलावा, सीधी सब्सिडी और कार की कीमत पर डिस्काउंट भी दिया जाता है। रोड टैक्स और वन-टाइम रजिस्ट्रेशन फीस में छूट से खरीदारी और किफायती हो जाती है।
केंद्र सरकार के अलावा कई राज्य सरकारें (जैसे दिल्ली, मेघालय, महाराष्ट्र और गुजरात) अतिरिक्त छूट और प्रोत्साहन ऑफर करती हैं।
2. ग्रीन व्हीकल डिस्काउंट और टैक्स में राहत
कई इंश्योरेंस कंपनियां ईको-फ्रेंडली गाड़ियों पर स्पेशल छूट देती हैं, जिससे आपका इंश्योरेंस सस्ता हो जाता है। इसके अलावा, EVs पर पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के मुकाबले रोड टैक्स और अन्य चार्जेस भी कम होते हैं।
अपनी इलेक्ट्रिक कार के लिए सही इंश्योरेंस कैसे चुनें?
इलेक्ट्रिक कार खरीदने के बाद उसका सही इंश्योरेंस चुनना बहुत जरूरी है। इलेक्ट्रिक कार के लिए इंश्योरेंस चुनने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानें कि किन बातों का ध्यान रखकर आप अपने लिए सही इंश्योरेंस चुन सकते हैं।
इंश्योरेंस चुनते समय इन बातों का ध्यान रखें
1. बैटरी कवरेज जरूर देखें : बैटरी इलेक्ट्रिक कार का सबसे महंगा हिस्सा होता है, जो कार के कीमत का 50% भी हो सकता है। ऐसे इंश्योरेंस को चुनें जिसमें बैटरी की पूरी कवरेज हो। बैटरी के नुकसान या चोरी का कवर जरूर होना चाहिए।
2. चार्जिंग इक्विपमेंट का प्रोटेक्शन हो : अगर घर में चार्जिंग स्टेशन लगवा रहे हैं, तो इंश्योरेंस में उसका कवर होना चाहिए, ताकि कोई नुकसान होने पर क्लेम किया जा सके।
3. रोडसाइड असिस्टेंस : अगर रास्ते में बैटरी खत्म हो जाए या कोई दिक्कत आए, तो टोइंग और ऑन-स्पॉट चार्जिंग जैसी सुविधाएं आपकी मदद कर सकती हैं।
4. जीरो डेप्रिसिएशन कवर : यह कवर आपकी कार के पुर्जों को पूरी कीमत पर बदलने की सुविधा देता है, जो इलेक्ट्रिक कारों के महंगे पार्ट्स के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके लिए आपको इंश्योरेंस के साथ एड-ऑन लेना होता है।
5. थर्ड पार्टी लायबिलिटी : यह कानूनी रूप से जरूरी है। इसमें दूसरों को हुए नुकसान का कवर होता है।
इंश्योरेंस कंपनी चुनते समय इन बातों का ध्यान दें-
1. कैशलैस मरम्मत- ऐसी इंश्योरेंस कंपनी को चुनें जो कैशलैस मरम्मत की सुविधा भी दे, जिससे आपको अपने जेब से पैसे लगाने की जरूरत न पड़े।
2. क्लेम सेटलमेंट रेशियो- अच्छी सेटलमेंट रेशियो वाली कंपनी को प्राथमिकता दें।
3. कस्टमर सर्विस- 24×7 हेल्पलाइन और अच्छी ग्राहक सेवा वाली कंपनी चुनें।
निष्कर्ष
इलेक्ट्रिक कार इंश्योरेंस और कन्वेंशनल कार इंश्योरेंस में कई बड़े फर्क होते हैं। यह कार की तकनीक, रिपेयर खर्च, बैटरी कवरेज और ग्रीन इनिशिएटिव्स पर निर्भर करता है। अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो सही इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी है।
यह न केवल आपकी कार को सुरक्षित रखेगा, बल्कि अचानक आने वाले बड़े खर्चों से भी बचाव होगा।।आने वाले समय में जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी, इंश्योरेंस इंडस्ट्री में भी नए बदलाव देखने को मिलेंगे, जिससे ईवी मालिकों के लिए बेहतर ऑप्शंस मिलेंगे।