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Last Updated : बुधवार, 4 मई 2022 (19:20 IST)

RBI Interest Rate Hike : निवेशकों के 6.27 लाख करोड़ रुपए ‘डूबे’, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास बोले- खाने-पीने की चीजों पर अभी और बढ़ेगी महंगाई

RBI Interest Rate Hike : निवेशकों के 6.27 लाख करोड़ रुपए ‘डूबे’, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास बोले- खाने-पीने की चीजों पर अभी और बढ़ेगी महंगाई - food prices will continue to go up says rbi governor shaktikant das
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कई अहम ऐलान किए हैं। एक अहम बैठक के बाद इसमें लिए फैसलों की जानकारी देते हुए दास ने कहा कि फिलहाल खाने-पीने की चीजों के दामों में कमी आने के उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में खाने पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। 
 
दास ने कहा कि आने वाले दिनों में खाद्य महंगाई को लेकर दबाव कायम रहने की आशंका है। दास ने कहा कि  वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी से घरेलू कीमतों पर भी असर पड़ रहा है। कुछ प्रमुख उत्पादक देशों के निर्यात पर पाबंदियों और युद्ध के कारण सूरजमुखी तेल के उत्पादन में कमी से खाद्य तेल के दाम मजबूत बने रह सकते हैं। पशु चारे की लागत बढ़ने से पॉल्ट्री, दूध और डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं।
 
निवेशकों के 6.27 लाख करोड़ रुपए स्वाहा : रेपो दर में अचानक वृद्धि के फैसले से बुधवार को शेयर बाजार के निवेशकों को 6.27 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,306.96 यानी 2.29 प्रतिशत लुढ़क कर पिछले दो महीने के निचले स्तर 55,669.03 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह एक समय 1,474.39 अंक तक नीचे चला गया था। बाजारों में गिरावट के बीच बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियां का बाजार पूंजीकरण 6,27,359.72 करोड़ रुपए घटकर 2,59,60,852.44 करोड़ रुपए पर आ गया।
 
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्थिति के कारण दुनिया के बाजारों में खाने के सामान के दाम अप्रत्याशित रूप से बढ़े हैं, जिसका असर घरेलू बाजार में भी दिख रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मुद्रास्फीतिक दबाव बना रह सकता है। बिना किसी तय कार्यक्रम के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 2-4 मई को हुई बैठक के बाद आरबीआई ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को तत्काल प्रभाव से 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत करने की घोषणा की।
 
हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इस साल अप्रैल में मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति को लेकर जो अनुमान जताया था, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। दास ने कहा कि आरबीआई के कदम को वृद्धि के लिहाज से सकारात्मक समझा जाना चाहिए। इसका मकसद बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए वृद्धि को गति देना है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से रिजर्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में लगभग सभी जिंसों के दाम बढ़े हैं। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है।
 
दास ने कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव ऊंचा बना हुआ है और आने वाले समय में भी इसके बने रहने की आशंका है। हमने लक्ष्य के अनुरूप महंगाई दर को काबू में लाने के लिये उदार रुख को वापस लेने के इरादे की घोषणा की है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में बढ़कर करीब सात प्रतिशत पर पहुंच गई। मुख्य रूप से वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों के दाम में तेजी का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा है। कुल 12 खाद्य उप-समूह में से नौ में मार्च महीने में महंगाई दर बढ़ी है।
Shaktikanta Das, Governor RBI
दास ने अपने बयान में कहा कि कीमतों के बारे में जानकारी देने वाले उच्च आवृत्ति के संकेतक खाद्य पदार्थों के दाम को लेकर दबाव बने रहने का संकेत देते हैं। साथ ही मार्च के दूसरे पखवाड़े से घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते दाम मुख्य मुद्रास्फीति को बढ़ा रहे हैं। 
 
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बने हुए हैं। इससे कंपनियां लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं। गवर्नर ने कहा कि कच्चे माल की लागत में वृद्धि से खाद्य प्रसंस्करण, गैर-खाद्य विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं के दाम एक बार फिर बढ़ सकते हैं। 
 
दास ने कहा कि इससे कंपनियों के लिये अगर मार्जिन कम होता है, तो उनके लिये कीमत बढ़ाने की शक्ति मजबूत होगी। संक्षेप में, वैश्विक स्तर पर कीमतों में तेजी से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा। इससे अप्रैल महीने में एमपीसी की बैठक के बाद मुद्रास्फीति को लेकर जो अनुमान जताया गया था, उसके ऊपर जाने का जोखिम है। उन्होंने कहा कि लगातार ऊंची मुद्रास्फीति से बचत, निवेश और प्रतिस्पर्धी क्षमता तथा उत्पादन वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऊंची मुद्रास्फीति से सबसे ज्यादा गरीब लोगों पर असर पड़ता है क्योंकि इससे उनकी क्रय शक्ति प्रभावित होती है।
 
दास ने कहा कि इसीलिए मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारी आज की मौद्रिक नीति के मामले में उठाये गये कदमों का मकसद मुद्रास्फीति को काबू में लाना है। इससे अर्थव्यवस्था के लिए मध्यम अवधि में वृद्धि संभावना मजबूत होगी।