डॉ. अमिताभ घोष: मंगल ग्रह की खोज में भारत का 'टिनटिन'
- स्वप्ना कुमार
भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. अमिताभ घोष ने नासा के मंगल अभियान के लिए एक नए, ग्रह की सतह पर चलने और खोज करने वाले 'मार्स रोवर' को बनाया है। इस यान को शनिवार रात फ्लोरिडा में लांच किया जाएगा। नासा के इस अभियान का उद्देश्य मंगल ग्रह पर जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों का पता लगाना है। प्लेनेटरी जियोलॉजिस्ट डॉ. अमिताभ घोष नासा के मंगल अभियान से जुड़े हुए हैं और मिशन के ग्रुप चेयरमैन हैं। नासा के मंगल अभियान में शामिल टीम में अमिताभ घोष ही अकेले एशियाई वैज्ञानिक हैं। डॉ. घोष 1997 के मार्स पाथफाइंडर मिशन में भी शामिल थे।डॉ. अमिताभ घोष भारत के पहले ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्होंने मंगल की प्रसिद्ध चट्टानों में से एक बरनेकल बिल का विश्लेषण किया। उन्होंने पता लगाया कि मंगल ग्रह पर पाई जाने वाली चट्टानें मुख्यत: एनडेसाइट की बनी होती हैं। जो स्लेटी काले रंग की होती हैं और ये पानी संग्रहित कर सकती हैं। घोष को उनकी इस खोज के लिए नासा पार्थफाइंडर अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। डॉ. घोष ने भारत में अपनी शोध प्रक्रियाओं के दौरान कई स्थानों का भ्रमण किया, इसके लिए उन्होंने कुछ रातें रेल्वे स्टेशन पर सोकर भी बिताईं। उन्होंने आईआईटी-खड़गपुर से प्रायोगिक भूविज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसी के बाद डॉ. घोष ने नासा के प्रोफेसर को पत्र लिखकर नासा में काम करने की इच्छा व्यक्त की। डॉ. घोष के द्वारा भेजे गए इस पत्र में उन्होंने कुछ सुझाव दिए थे। डॉ. घोष के अनुसार वह सुझावों से ज्यादा आलोचनाओं से भरा पत्र था। फिर भी उनके सुझावों को मान लिया गया और उन्हें नासा में काम करने का अवसर मिला।