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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : सोमवार, 5 जून 2023 (10:57 IST)

महबूबा परिवार ने लड़ी लंबी लड़ाई पासपोर्ट पाने की खातिर, हजारों अभी भी पुलिस वेरिफिकेशन के इंतजार में

महबूबा परिवार ने लड़ी लंबी लड़ाई पासपोर्ट पाने की खातिर, हजारों अभी भी पुलिस वेरिफिकेशन के इंतजार में - Mehbooba Mufti fought a long battle for passport
जम्मू। 3 साल की लंबी लड़ाई के बाद हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पासपोर्ट पा लिया है, पर उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती के पासपोर्ट का मामला अभी भी जम्मू-कश्मीर पुलिस के गले की फांस बना हुआ है। हालांकि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के उपरांत क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने उनकी बेटी को जो पासपोर्ट जारी किया है, वह सिर्फ 2 साल के लिए ही वैध होने के साथ ही उन्हें सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के लिए अनुमति दी गई थी।
 
और जब कश्मीर में पासपोर्ट पाने की चर्चा शुरू हुई है तो इस सच्चाई को ठुकराया नहीं जा सकता कि कश्मीर में पासपोर्ट हासिल करना खालाजी का घर नहीं है। खासकर उन लोगों के लिए जिनका कोई सगा-संबधी आतंकी रहा हो या फिर आतंकी गतिविधियों से दूर का रिश्ता हो। यही नहीं, कभी पत्थरबाज रहे और पत्थरबाजी के बीच कैमरों की नजर में आए व्यक्तियों के लिए भी अब पासपोर्ट हासिल करना चांद पर जाने जैसा है।
 
हालांकि इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद के बाद श्रीनगर के रीजनल पासपोर्ट अधिकारी कई बार स्पष्टीकरण देते हुए कहते थे कि पासपोर्ट जारी करने के लिए नियमों के मुताबिक पुलिस वेरिफिकेशन पूरा होना एक जरूरी शर्त है और उसके बिना पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता। इतना जरूर था कि पासपोर्ट कार्यालय का कहना था कि उनकी इसमें कोई भूमिका नहीं होती है और सब पुलिस के सीआईडी विंग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर निर्भर करता है।
 
दरअसल इल्तिजा मुफ्ती मामले में उनके पासपोर्ट की वैधता इस साल 2 जनवरी को समाप्त हुई थी। उन्होंने पिछले साल ही 8 जून को इसके नवीनीकरण के लिए अप्लाई कर दिया, पर उन्हें पासपोर्ट जारी नहीं हुआ। कारण पासपोर्ट कार्यालय और पुलिस के सीआईडी विंग द्वारा दिए जाने वाले परस्पर विरोधी बयान थे।
 
यह सच है कि सैकड़ों ही नहीं बल्कि हजारों ऐसे कश्मीरी आज भी पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं। सब पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की तरह पहुंच वाले नहीं हैं, जो पासपोर्ट हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकें। महबूबा की 80 वर्षीय मां गुलशन नजीर को उस समय पासपोर्ट मिला था, जब वे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट पहुंची थीं और अब महबूबा मुफ्ती को पासपोर्ट जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने का समय दिया था।
 
बड़ी रोचक बात मुफ्ती परिवार को पासपोर्ट जारी करने के लिए लगाई जाने वाली अड़चनों की यह थी कि जांच अधिकारी कहते थे कि मुफ्ती परिवार को पासपोर्ट जारी करना देश की एकता और अखंडता को खतरे के समान है। और अब ऐसी ही परिस्थितियों से वे नागरिक भी गुजर रहे हैं, जो पासपोर्ट चाहते हैं, पर उनका कोई दूर का रिश्तेदार या तो कभी आतंकी रहा है या फिर आतंकी गतिविधियों के लिए नामजद किया गया था और जो पूर्व आतंकी हैं, वे तो पासपोर्ट के बारे में सोच भी नहीं सकते।
 
यही नहीं, 31 जुलाई 2021 को सीआईडी विभाग की स्पेशल ब्रांच के एसएसपी द्वारा जारी ऑर्डर संख्या एसबीके/ सीएस/ सुर्कलर/ 2021/ 589-600 ने उन आवेदकों की मुसीबतों को और बढ़ाया हुआ है जिसमें पासपोर्ट वेरिफिकेशन करने वालों को सख्त हिदायत दी गई थी कि जांच के दौरान वे पत्थरबाजों के रिकॉर्ड को भी जांचें और पत्थरबाजी के दौरान कैमरों में दिखाई देने वाले नागरिकों की भी तह तक जांच करें।
 
नतीजतन सैकड़ों उन आवेदकों को यह साबित करना मुश्किल हो रहा है, जो कैमरों में दिखते हैं कि वे किसी प्रकार की पत्थरबाजी में शामिल नहीं थे और न ही उनका उन रिश्तेदारों से कोई नाता है, जो कभी आतंकी रहे हों या फिर किसी आतंकी गतिविधि में नामजद किए गए हों। वैसे इतना जरूर है कि पासपोर्ट पाने के लिए सीआईडी विभाग की वेरिफिकेशन का जख्म कश्मीर में तबसे नागरिकों को सहन करना पड़ रहा है, जबसे आतंकवाद फैला है और अब तो इसका दर्द राजनीतिज्ञों को भी महसूस होने लगा है।
 
Edited by: Ravindra Gupta