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  4. If you are planning to visit Jagannath temple, then do these 5 things after going there
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 4 जून 2025 (14:26 IST)

जगन्नाथ मंदिर जाने का बना रहे हैं प्लान तो वहां जाकर जरूर करें ये 5 कार्य

Jagannath Rath Yatra 2025
Jagannath Rath Yatra 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुरी में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश और विदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं। यदि आप भी मंदिर में भगवान के दर्शन करने जा रहे हैं और यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं तो वहां जाकर 5 कार्य जरूर करें तभी यात्रा सफल मानी जाएगी।ALSO READ: भविष्‍य मालिका की 6 भविष्‍यवाणियां हुईं सच, जगन्नाथ मंदिर को केंद्र में रखकर की गई हैं भविष्‍यवाणियां
 
1. दर्शन के बाद रथ को खींचना: मान्यता है कि जो भी भक्त इस शुभ रथयात्रा में सम्मिलित हो होकर रथ खींचते हैं उन्हें 100 यज्ञों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने को लेकर कोई भी नियम नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, प्रांत या देश का व्यक्ति रख खींच सकता है। इसे कोई भी भक्त खींच सकता है। क्रम से सभी रथ की रस्सी को खींचते हैं। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने वाला जीवन काल के चक्र से मुक्त हो जाता है। तीनों रथों को मोटी रस्सियों से खींचकर 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर पहुंचती है। सभी को कुछ कदमों तक ही रथ खिंचने दिया जाता है। आप कम से कम 13 कदम रख खींचे।ALSO READ: कब से प्रारंभ हो रही है पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा, क्या रहेगा इस बार खास?
 
2. प्रसाद सेवन: जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने के बाद यहां का प्रसाद जरूर ग्रहण करें। यहां के प्रसाद की भी बहुत रोचक कथा है और इसे बनाकर तैयार करने का तरीका भी अजीब है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ बनाते हैं भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहां भोजन। मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है।
 
3. हनुमानजी और विमला माता के करें दर्शन: यहां पर स्थित बेड़ी हनुमान मंदिर में हनुमानजी के दर्शन जरूर करें। इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ने श्री हनुमानजी को ही सौंप रखा है। यहां के कण कण में हनुमानजी का निवास है। दूसरी ओर पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला है और यहां उनकी पूजा होती है। यह एक जागृत शक्तिपीठ है और सभी पुरीवासी भगवान जगन्नाथ से ज्यादा इन्हें मानते हैं। इसके बाद यदि आप चाहें तो यहां से 34 किलोमीटर दूर कोणार्क के सूर्य मंदिर को देखने भी जा सकते हैं।
 
4. नीलचक्र दर्शन और ध्वज: यहां पर मंदिर के शिखर पर लगे नीलचक्र के दर्शन जरूर करें इसके बाद यहां पर प्रतिदिन ध्वज बदला जाता है। पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव आपके सामने ही लगा दिखेगा। ध्वज बदलने की इस प्रक्रिया को देखना बहुत ही रोमांच से भरा होता है। श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।ALSO READ: पश्चिम बंगाल के जगन्नाथ मंदिर की 5 खास बातें, चील लेकर गई थी उसी ध्वज को लहराया
 
5. समुद्र दर्शन: पुरी में पुरी बीच, मरीन ड्राइव पुरी और बालीघई बीच सबसे फेमस समुद्री तट हैं। इसके अलावा चंद्रभागा बीच, गोल्डन बीच, स्वर्गद्वार बीच और बलिहाराचंडी बीच भी लोकप्रिय बीच है। इन सभी समुद्र तटों में विभिन्न मनोरंजक एक्टिवीटी होती रहती है। 
 
जगन्नाथ पुरी का किराया कितना है? पुरी कैसे पहुंचें?
- पुरी पहुंचने के लिए सड़क, रेलवे और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध है।
- देश के हर बड़े शहरों से पुरी का रेलवे स्टेशन जुड़ा हुआ है। यहां पर आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
- आपके शहर से डायरेक्ट पुरी के लिए कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं है तो आप भुवनेश्वर ट्रेन से पहुंचकर पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
- भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 किलोमीटर और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है।
- यदि आपका पुरी तक पहुंचने का माध्यम हवाई जहाज है तो इसका नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर है।
- पूरी में आप पहले दिन जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करें और रथयात्रा का आनंद लें। दूसरे दिन गुंडिचा मंदिर जा सकते हैं। तीसरे दिन समुद्र का आनंद ले सकते हैं। तीन दिन का खर्च कम से कम 4 से 5 हजार का आ सकता हैं।
पुरी में कहां पर ठहरें?
पुरी जगन्नाथ मंदिर क्षेत्र में ठहरने के लिए 4 विकल्प हैं- 1.मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्ति निवास, 2.धर्मशाला 3. प्राइवेट होटल और 4.पूरी का मरीन ड्राइव लाइन। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था देख सकते हैं। यात्रा में शामिल होने के लिए आ रहे हैं तो पहले से ही जगह को बुक कराना होगा। ऑफिशियल वेबसाइट पर ट्रस्ट के रूम बुक करा सकते हैं।
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