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Last Updated :सेन फ्रांसिस्को , सोमवार, 16 दिसंबर 2024 (00:08 IST)

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन, 73 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन, 73 साल की उम्र में ली अंतिम सांस - tabla maestro ustad zakir hussain passes away at 73 in the us
famous tabla player Zakir Hussain passed away : मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्हें अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने उस्ताद के निधन की पुष्टि की है, लेकिन उनके परिवार का बयान अभी नहीं आया है। हुसैन की मैनेजर निर्मला बचानी के मुताबिक अमेरिका में रह रहे 73 वर्षीय संगीतकार को रक्तचाप की समस्या थी। महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे जाकिर हुसैन ने भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई।
 
मुंबई में हुआ था जन्म : उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। जाकिर हुसैन को तीन ग्रैमी अवॉर्ड भी मिल चुके थे। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी और मां का नाम बीवी बेगम था। जाकिर के पिता अल्लाह रक्खा भी तबला वादक थे।
जाकिर हुसैन ने शशि कपूर के साथ साल 1983 में आई ब्रिटिश फिल्म 'हीट एंड डस्ट' में काम किया था। यह उनकी एक्टिंग डेब्यू फिल्म थी। इसके अलावा वह साल 1998 में आई फिल्म 'साज' में नजर आए। इसमें शबाना आजमी ने उनकी प्रेमिका का रोल प्ले किया था।

उंगलियों से धुन बजाते थे जाकिर हुसैन : सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे उस्ताद जाकिर हुसैन। जाकिर के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वह कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता उस पर हाथ फेरने लगते थे।
तबले को अपनी गोद में रखते थे : ​​​​​तबले को अपनी गोद में रखते थे जाकिर हुसैन। शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे। इस दौरान तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे।
 
5 रुपए मिले थे : जाकिर को केवल 12 साल की उम्र में पांच रुपए मिले, जिसकी कीमत उनके जीवन में सबसे ज्यादा रही। जब जाकिर हुसैन 12 साल के थे तब अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। उस कॉन्सर्ट में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज जैसे संगीत की दुनिया के दिग्गज पहुंचे थे।
जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ स्टेज पर गए। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को पांच रुपए मिले थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था,“मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो पांच रुपए सबसे ज्यादा कीमती थे।”
 
अमेरिका भी करता था सम्मान : उस्ताद जाकिर हुसैन जीवन के अंतिम समय में भी कॉन्सर्ट का हिस्सा बनते थे। देश-विदेश में उनके कार्यक्रम होते थे। जाकिर हुसैन का सम्मान दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी करता था। वर्ष 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ‘ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट’ में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इन्विटेशन मिला था। 
 
पिता चाहते थे एक्टिंग पर दें ध्यान : जाकिर हुसैन ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की है। उन्होंने 1983 की एक ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से डेब्यू किया था। इस फिल्म में मशहूर अभिनेता शशि कपूर ने भी काम किया था। जाकिर हुसैन ने 1998 की एक फिल्म साज में भी काम किया था। इस फिल्म में उनके अपोजिट शबाना आजमी थीं। जाकिर हुसैन ने इस फिल्म में शबाना के प्रेमी का किरदार निभाया था। जाकिर हुसैन को फिल्म मुगल ए आजम (1960) में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर हुआ था, लेकिन पिता को उस वक्त यह मंजूर नहीं था। वे चाहते थे कि उनका बेटा संगीत पर ही ध्यान दे।
 
11 साल की उम्र में पहला कॉन्सर्ट : जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था। जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम 'लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड' लॉन्च किया था। 
राठौड़ ने जताया शोक : राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राजवर्धन सिंह राठौड़ उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जाहिर करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, ‘जाकिर हुसैन की तबले पर असाधारण महारत ने संगीत की दुनिया में एक कालजयी विरासत बनाई है। उनके परिवार, दोस्तों और उन अनगिनत फैंस से मेरी गहरी सहानुभूति है, जिनके जीवन को उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी से प्रभावित किया। उनका संगीत हमारे दिलों में हमेशा गूंजता रहेगा। इनपुट एजेंसियां