सूर्य की परिक्रमा कर रहा सोलर ऑर्बिटर अब तक का ऐसा सबसे जटिल वैज्ञानिक अन्वेषणयान है, जिसे 10 फ़रवरी 2020 को, अमेरिका में फ्लोरिडा के केप कैनैवरल वायुसैनिक अड्डे से सूर्य की दिशा में रवाना किया गया था। नवंबर 2021 से वह नियमित ढंग से काम कर रहा है। सूर्य की परिक्रमा करते हुए सूर्य से उसकी निकटतम दूरी 4 करोड़ 20 लाख किलोमीटर रहेगी। सूर्य के पास भेजा गया अब तक का कोई भी यान, सूर्य की प्रचंड गर्मी के कारण उसके इतना निकट नहीं पहुंच पाया था। सोलर ऑर्बिटर को भी कम से कम 500 डिग्री सेल्सियस तापमान सहना पड़ेगा।
26 मार्च को, सोलर ऑर्बिटर सूर्य से 4 करोड़ 80 लाख किलोमीटर दूर था। उस दिन उसने 'कोरोना' कहलाने वाले सूर्य के अतितप्त वायुमंडल के कुछ आश्चर्यजनक फ़ोटो भेजे हैं, जिनसे वैज्ञानिक बहुत ही उत्साहित हैं। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESA ने उन्हें एक वीडियो क्लिप के रूप में इन्हीं दिनों प्रकाशित किया है। इस वीडियो में कई अन्य चीज़ों के साथ-साथ 25 हज़ार किलोमीटर व्यास वाली एक ऐसी रहस्यमयी संरचना दिखाई पड़ती है, जिससे निकल रहे प्लाज़्मा के उद्गार हर दिशा में फैल रहे हैं।
सू्र्य एक तारा है और वही हमारी पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाता है। लेकिन उसके बारे में बहुत सी चीज़ें वैज्ञानिकों के लिए अभी भी पहेलियां बनी हुई हैं। सोलर ऑर्बिटर सूर्य की न केवल बहुत निकट से ली गई तस्वीरें भेजेगा, वह पहली बार सूर्य के अज्ञात ध्रुवीय क्षेत्रों को भी देखेगा। उसके छह रिमोट-सेंसिंग उपकरणों और चार अन्य उपकरणों के अवलोकनों से वैज्ञानिकों को कई अबूझ सवालों के जवाब मिलने की आशा है।
उदाहरण के लिए, यह कि सौर-सक्रियता कहलाने वाले हर 11 साल के चक्र को बढ़ाने और घटाने वाली चुंबकीय गतिविधि को क्या प्रेरित करता है? कोरोना कहलाने वाले उसके वायुमंडल की ऊपरी परत को लाखों डिग्री सेल्सियस तक क्या गर्म करता है? सौर आंधी कैसे पैदा होती है? सौर आंधी को सैकड़ों किलोमीटर प्रति सेकंड की गति कैसे मिलती है? और यह सब हमारी पृथ्वी को कैसे प्रभावित करता है?
सोलर ऑर्बिटर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ESA और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का एक ऐसा संयुक्त प्रयास है, जिसमें कई देशों की वैज्ञानिक संस्थाएं, प्रयोगशालाएं और विश्वविद्यालय भी शामिल हैं। वह 1800 किलो भारी है। उसके निर्माण से लेकर प्रक्षेपण तक की लागत एक अरब डॉलर है। आगामी अक्टूबर में वह सूर्य के और निकट होगा। तब सूर्य और उसके बीच की दूरी 4 करोड़ 20 लाख किलोमीटर होगी। वैज्ञानिक उतसुकतापूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं कि तब उसके द्वारा भेजी गई तस्वीरों में क्या कुछ नया देखने में आएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ईसरो भी सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक 'आदित्य-एल1' नाम का एक यान भेजने वाला है, जो पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर रह कर सूर्य का अवलोकन करेगा।