बीजिंग। रूस के साथ और अधिक करीबी संबंधों का संकेत देते हुए चीन ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान करने वाले अमेरिका को ताइवान पर बीजिंग के दावे को भी मान्यता देनी चाहिए। ताइवान को खुद से अलग हुए एक हिस्से के रूप में चीन देखता है। उसने स्व-शासित द्वीप (ताइवान) को वापस चीन का हिस्सा बनाने के लिए बल प्रयोग की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया है।
बीजिंग में संसद सत्र से इतर अपने पहले वार्षिक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने कहा कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों के केंद्र में है, यह चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव का आधार है और यह चीन-अमेरिका संबंधों में पहली ऐसी लक्ष्मण रेखा है, जिसे नहीं लांघा जाना चाहिए।
ताइवान को चीन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए गांग ने कहा कि अमेरिका, यूक्रेन की संप्रभुता और आजादी के बारे में बात करता है तो वह चीन की संप्रभुता का सम्मान क्यों नहीं करता।
बीजिंग से रूस को हथियारों की आपूर्ति नहीं करने के अमेरिकी आह्वान पर सवाल उठाते हुए गांग ने कहा कि अमेरिका, यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के बारे में इतनी लंबी-चौड़ी बातें क्यों करता है, जबकि वह खुद ताइवान के मुद्दे पर चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान नहीं करता।
ताइवान को हथियार देने पर सवाल : उन्होंने सवाल किया कि अमेरिका बार-बार रूस को हथियार मुहैया नहीं करने की चीन से अपील करता है, जबकि वह (अमेरिका) खुद ताइवान को हथियारों की बिक्री करता है? अमेरिका क्यों बार-बार क्षेत्रीय शांति और अखंडता को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता जताता है, जबकि वह खुद गुप्त तौर पर ताइवान के विनाश की योजना बनाता है?”
अमेरिका ने पिछले हफ्ते ताइवान को अतिरिक्त हथियारों की बिक्री की मंजूरी दे दी थी, जिनमें एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 61.9 करोड़ डॉलर का सैन्य साजो-सामान शामिल है। अमेरिका, ताइवान को सैन्य उपकरणों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है। चीन ने अतीत में प्रतिबंध सहित अन्य दंडात्मक उपायों के जरिए अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों व अन्य सैन्य साजोसामान की बिक्री किए जाने का विरोध किया है।
शांतिपूर्ण विलय : ताइवान को दोबारा चीन में शामिल करने के चीन के रुख पर किन ने सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की संभावनाओं का जिक्र किए बिना कहा कि हम शांतिपूर्ण विलय का लक्ष्य हासिल करने के लिए बहुत ईमानदारी के साथ काम करेंगे और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देंगे, लेकिन हम सभी आवश्यक उपायों के इस्तेमाल का विकल्प खुला रखेंगे।
जनवरी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन को ताइवान पर यथास्थिति बदलने की कोशिशों के खिलाफ आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि चीन पिछले कुछ वर्षों से ताइवान पर सैन्य और आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ब्लिंकन ने ताइवान को क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण करार दिया था।
सफल नहीं होगी अमेरिकी नीति : चीनी विदेश मंत्री गांग ने अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका मकसद विशेष गुट बनाकर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के क्षेत्रीय प्रारूप के जरिए उसे घेरना है, लेकिन इसमें नाकामी मिलने वाली है। चीन अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति के साथ ही अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड समूह का भी शुरुआत से ही विरोध कर रहा है।
किन ने कहा कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि के लिए आजादी और खुलेपन को कथित तौर पर
बरकरार रखते हुए नाटो के एशिया प्रशांत प्रारूप की योजना बनाकर टकराव भड़काने तथा क्षेत्रीय एकीकरण को कमजोर करने के
वास्ते एक विशेष गुट बनाने की कोशिश है।