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Last Updated : मंगलवार, 15 जून 2021 (00:46 IST)

UN बैठक में बोले PM मोदी-भूमि क्षरण दुनिया के दो तिहाई हिस्से को कर रहा प्रभावित

UN बैठक में बोले PM मोदी-भूमि क्षरण दुनिया के दो तिहाई हिस्से को कर रहा प्रभावित - India on track to achieve land degradation neutrality: PM Modi addresses dialogue on desertification at UN
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत 26 लाख हेक्टेयर क्षरण भूमि को वर्ष 2030 तक बहाल करने को लेकर कार्य कर रहा है और वह विकासशील देशों के साथ उसकी रणनीति में सहयोग कर रहा है।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा।
 
प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र में ‘मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे’ के बारे में उच्च स्तरीय संवाद को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मरुस्थलीकरण से निपटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया।
 
उन्होंने कहा कि भूमि जीवन और आजीविका के लिए मूलभूत अंग है और सभी को इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुखद है कि भूमि क्षरण ने आज दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा।
 
उन्होंने कहा कि इसलिए हमें भूमि और इसके संसाधनों पर भयंकर दबाव को कम करना होगा। अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हम साथ मिलकर इसे कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में भूमि को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है और इसे लोग अपनी माता भी मानते हैं।
 
वर्ष 2019 के दिल्ली घोषणापत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने भूमि क्षरण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाया है जो भूमि की बेहतर पहुंच और प्रबंधन का आह्वान करता है।
 
उन्होंने कहा कि भारत में पिछले 10 सालों में जंगल क्षेत्र में 30 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसने देश के पूरे क्षेत्र का लगभग एक चौथाई हिस्सा संयुक्त वन क्षेत्र के रूप में बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि भूमि क्षरण तटस्थता को लेकर अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रास्ते पर हम हैं। हम 2.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि क्षरण को 2030 तक बहाल करने को लेकर कार्य कर रहे हैं।
 
उल्लेखनीय है कि इस उच्चस्तरीय संवाद में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से निपटने में किए गए प्रयासों में हुई प्रगति का आकलन किया जाना है। साथ ही इसमें मरुस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष करने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र की कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।