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Last Updated : मंगलवार, 8 जून 2021 (00:17 IST)

क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मोदी सरकार ने बदली वैक्सीन नीति?

क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मोदी सरकार ने बदली वैक्सीन नीति? - Did the Modi government change the vaccine policy after the Supreme Court's rebuke?
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को  फ्री वैक्सीन की घोषणा के बाद विपक्ष और सोशल मीडिया पर सरकार के आलोचक इस बात का दावा हैं कि सरकार ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद लिया है। हालांकि केंद्र सरकार के सूत्र इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं।

कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने को कहा था। न्यायालय ने कहा था कि राज्यों और निजी अस्पतालों को 18-44 साल के लोगों से टीके के लिए शुल्क वसूलने की अनुमति देना प्रथम दृष्टया ‘मनमाना और अतार्किक’ है।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उदारीकृत टीकाकरण नीति और केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग कीमतों को लेकर केंद्र सरकार से कुछ तल्ख सवाल पूछे थे। शीर्ष अदालत देश में कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले पर सुनवाई कर रही है।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि पूरे देश में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार 21 जून से राज्यों को नि:शुल्क टीके देगी और केंद्र ने टीका निर्माताओं से राज्य के 25 प्रतिशत कोटे समेत 75 प्रतिशत खुराकें खरीदने और इसे राज्य सरकारों को नि:शुल्क देने का फैसला किया है।

टीकाकरण के दो चरणों के तहत केंद्र ने अग्रिम स्वास्थ्यकर्मियों और 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए नि:शुल्क टीके मुहैया कराए और इसके बाद उदारीकृत टीकाकरण नीति लाई गई जिसके तहत अलग-अलग मूल्यों की शुरुआत की गई और यह निर्णय समीक्षा के दायरे में हैं।

पीठ ने टीकाकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर कार्यपालिका की नीतियों से नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो तो अदालतें मूकदर्शक बनी हुई नहीं रह सकती। अदालत ने इस नीति को प्रथम दृष्टया मनमाना और अतार्किक बताया और इसकी समीक्षा करने का आदेश दिया। इस आदेश को 2 जून को अपलोड किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दो सप्ताह के भीतर बजट में टीका के लिए निर्धारित 35,000 करोड़ में से अब तक हुए खर्च और सभी संबंधित दस्तावेज, नीति को लेकर फाइल नोटिंग के विवरण मुहैया कराने को कहा। टीके के अलग-अलग मूल्य को लेकर चिंता प्रकट करते हुए न्यायालय ने कहा था कि हम केंद्र सरकार से इन चिंताओं के समाधान के लिए अपनी टीकाकरण नीति की नए सिरे से समीक्षा करने का निर्देश देते हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र ने टीका निर्माताओं से राज्य के 25 प्रतिशत कोटे समेत 75 प्रतिशत खुराकें खरीदने और इसे राज्य सरकारों को निशुल्क देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी थे।

पीठ ने कहा कि केंद्रीय बजट में 2021-22 के लिए टीका खरीदने के वास्ते 35,000 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए। उदारीकृत नीति के आलोक में केंद्र सरकार को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि इस कोष से अब तक कितना खर्च हुआ है और इनका इस्तेमाल 18-44 साल के लोगों के टीकाकरण के लिए क्यों नहीं हो रहा।

एक महीना होने पर समीक्षा : टीकाकरण के विकेंद्रीकृत मॉडल का एक महीना पूरा होने के बाद 1 जून को पीएम के समक्ष मुफ्त टीकाकरण की योजना पेश की गई थी। पीएम ने बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी दी थी और इसकी नींव 1 जून को ही रख दी गई थी। आज प्रधानमंत्री के द्वारा इसकी घोषणा की गई।

निर्णय में देरी के कारण गई जान : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का मुफ्त टीकाकरण करने का निर्णय काफी समय पहले लिया जाना चाहिए था और विलंब के कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। सभी वयस्कों को मुफ्त टीका देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर बनर्जी ने कहा कि राज्यों की अपील सुनने में उन्हें चार महीने लग गए।

उन्होंने ट्वीट किया कि फरवरी 2021 और इसके बाद कई बार मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सभी को मुफ्त टीका देने का आग्रह किया था। उन्हें चार महीने लग गए और काफी दबाव में अंतत: उन्होंने हमारी बात सुनी और इतने समय से जो हम कह रहे थे, उसे लागू किया।

महामारी की शुरुआत से ही भारत के लोगों की सेहत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री द्वारा देर से लिए गए निर्णय के कारण कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उम्मीद है कि इस बार टीकाकरण अभियान का प्रबंधन बेहतर तरीके से होगा, जिसमें लोगों पर ध्यान दिया जाएगा न कि प्रचार पर।

क्या बोले नेता...
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जब भी देश में कोई संकट आया, मोदी ने आगे बढ़कर मोर्चा संभाला है। पार्टी के कई नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के इस कदम की प्रशंसा की और कहा कि इसने महामारी के खिलाफ जंग में नई ताकत फूंक दी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ ने कहा कि कई राज्यों को 18-44 साल के लोगों के लिए कोविड टीके खरीदने की आजादी दी गई थी लेकिन कई राज्यों को ऐसा करना मुश्किल लगा। हम आभारी हैं कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे का समाधान किया।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इससे इस सरकार की संवेदनशीलता एवं प्रतिबद्धता झलकती है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए राज्यों को मुफ्त कोरोनावायरस टीका दिए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को लेकर सोमवार को उन्हें धन्यवाद दिया।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया एक साधारण सवाल : अगर टीके सभी के लिए मुफ्त हैं तो फिर निजी अस्पतालों को पैसे क्यों लेने चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री ने देश में पहले के टीकाकरण के कार्यक्रमों के बारे में टिप्पणी करके अतीत की चुनी हुई सरकारों और वैज्ञानिकों का अपमान किया है।

उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पिछले कई महीनों में बार-बार यह मांग रखी कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त टीका लगना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने इससे इनकार कर दिया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी जी और उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (कांग्रेस), ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (बीजद), तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (द्रमुक), केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (माकपा) और बिहार के मुख्मयंत्री नीतीश कुमार (जदयू) राज्यों के उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रशंसा की कि केंद्र ने मुफ्त टीके की आपूर्ति का अनुरोध स्वीकार कर लिया।

वामदलों ने लगाया यह आरोप : वामदलों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राज्यों पर जिम्मा डालकर अपनी संदिग्ध भेदभावकारी टीका का बचाव करने का प्रयास किया है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया कि अब मोदी ने मुफ्त एवं सार्वभौमिक टीकाकरण संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश के डर से अपनी नीति छोड़ दी। मोदी सरकार को अब मुफ्त एवं सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम को ईमानदारी से लागू करना चाहिए और कोई बहानेबाजी नहीं करना चाहिए। काफी कुछ करने की जरूरत है । कई जिंदगियां बचानी है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी के लिए कोरोना टीकाकरण नि:शुल्क किए जाने की घोषणा को जनभावनाओं की जीत बताया है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि हम माननीय उच्चतम न्यायालय के प्रति आभार प्रकट करते हैं कि उसके हस्तक्षेप के बाद देशभर में सभी आयु वर्गों के लिए टीके उपलब्ध कराए जायेंगे। यदि केंद्र सरकार चाहती तो काफी पहले वह ऐसा कर सकती थी, लेकिन केंद्र की नीतियों की वजह से न तो राज्य टीके खरीद पाए और न ही केंद्र सरकार उसे दे रही थी।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि एक और गैर-जरूरी भाषण के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद, जिसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के जरिए भी दी जा सकती थी। टीका नीति को लेकर बदलाव उच्चतम न्यायालय के आदेश का परिणाम जान पड़ता है। हालांकि भयानक टीका नीति का आरोप राज्यों पर मढ़ दिया गया। मोदी टीका आपूर्ति सुनिश्चित करने में नाकाम रहे।