कुछ भी कर लो, नहीं सुधरेगा चीन
अगर आप सोचते हैं कि डोकलाम विवाद के सुलझने के बाद चीन का भारत और अपने पड़ोसी देशों के प्रति रवैया बदल गया है तो सोमवार को चीन के सरकारी दैनिक ग्लोबल टाइम्स छपे लेख पर नजर डाल लें। इससे यह साफ जाना जा सकता है कि 'पंचशील' या 'सबका साथ-सबका विकास' नारे को लेकर उसके मन में भारत और अन्य छोटे पड़ोसी देशों को लेकर क्या चल रहा है। इस लेख के माध्यम से आप चीनी पेंतरेबाजी को अच्छी तरह समझ सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में वेंडी मिन ने लिखा है कि 'युद्धप्रिय' भारत की रणनीति के चलते भूटान और नेपाल पर भारत का असर का ज्यादा बढ़ गया है। इसका अर्थ है कि नेपाल, भूटान पर भारत के बढ़ते असर से चीन खुश नहीं है। इतना ही नहीं, दोनों ताकतों के बीच फंसे नागरिकों को इस बात की चिंता है कि इस क्षेत्र में भारत अपना प्रभाव बढ़ाना जारी रखेगा।
हालांकि भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध समाप्त हो गया है, लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि अभी भी दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण अविश्वास और गलतफहमियां लम्बे समय तक बनी रहेंगी।
समाचार पत्र लिखता है कि भूटान और नेपाल के नागरिक दो बड़े देशों चीन और भारत के बीच कहीं दबे हुए हैं, लेकिन जब सारा मामला अहिंसक तरीके से निपट गया तो उन्होंने इस परिणाम पर संतोष जाहिर किया। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बनाने के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का उपाय सुझाया जाता है।
चीन और भारत के सैनिकों के बीच डोकलाम को लेकर विवाद ने भी दोनों देशों के नागरिकों के मन में मिश्रित भावनाएं पैदा कर दी थीं, लेकिन भूटान और नेपाल के नागरिकों ने राहत की सांस ली है। इन देशों के बहुत से लोगों का मानना है कि उनके देश की भौगोलिक स्थिति और भारत के साथ संबंधों के चलते विवाद का परिणाम महत्वपूर्ण है। पर वे इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि 'युद्ध लड़ने को तैयार' भारत उनके देशों के राजनय और आंतरिक मामलों पर प्रभाव जमाए रख सकता है।
लेकिन, यह चिंता और कहीं से नजर नहीं आती है। सिक्किम गणराज्य जो कि भारत और चीन के बीच एक हिमालयी गणतंत्र था, उसे भारत ने 1975 में अपने गणराज्य में शामिल कर लिया था। नेपाल और भूटान के कुछ लोगों को चिंता हैं कि क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव के चलते उनके देशों का भाग्य भी सिक्किम जैसा हो सकता है।
अपने इस लेख में वेंडी लिखती हैं कि नेपाल और भूटान कई बार भारत की अघोषित नीतियों का शिकार हुए हैं और चीन इन देशों को प्रभुतासंपन्न गणराज्य समझता है और इन देशों के लोग भी ऐसा ही महसूस भी करते हैं। चूंकि इन देशों की अर्थव्यवस्था भारत पर आश्रित है, इसलिए भारत इन पर तरह-तरह के दबाव डालकर इन्हें अपने प्रभाव से बाहर नहीं आने देना चाहता है।
चीन ने इस लेख में इस बात के लिए भी भारत की आलोचना की है कि भारत ने चीन के दुश्मन देशों से कारोबारी संबंध बनाकर चीन को एक खलनायक देश बनाने की भी कोशिश की है। हालांकि चीन ने इस बात पर भी संतोष जाहिर किया है कि दोनों देशों भारत और चीन के बीच कारोबार बढ़ रहा है, लेकिन दूसरे देशों की जमीन को लेकर चीन का जो रवैया है, उसमें तनिक भी अंतर नहीं आया है।