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Last Modified: मंगलवार, 7 अप्रैल 2020 (19:42 IST)

‘बलूचिस्तान बना युद्ध का मैदान, हालात 1971 के युद्ध के दिनों जैसे’

‘बलूचिस्तान बना युद्ध का मैदान, हालात 1971 के युद्ध के दिनों जैसे’ - Balochistan becomes battleground, conditions like 1971 war
नई दिल्ली। पाकिस्तान में अपने ही लोगों की संस्कृति, मूल्यों और विरासत का ऐसा विनाश हो रहा है जैसा इतिहास में कभी देखा या सुना नहीं गया है। पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान युद्ध का मैदान बना हुआ है जहां बलूचों का बेरहमी से दमन हो रहा है और वहां के प्राकृतिक संसाधनों को विदेशी ताकतें अपनी फौज के साथ लूटने में लगीं हैं।
 
पाकिस्तान के अंदरूनी हालात के जानकार एवं रणनीतिक विश्लेषक पी अशोक ने चेताया कि बलूचिस्तान के हालात ठीक वैसे ही हो गए हैं, जो 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में हो गए थे, जिससे वहां बगावत हुई और बांग्लादेश बना था।

अशोक ने विमान दुर्घटनाओं के बारे में किताब ‘आउटलायर्स दि स्टोरी ऑफ सक्सेस’ लिखने वाले मैल्कम ग्लैडवेल को उद्धृत किया, जिन्होंने कहा था कि दुर्घटनाएं किसी एक विनाशकारी घटना का परिणाम नहीं होती है बल्कि छोटी-छोटी समस्याओं के जुड़ने से बड़ी समस्या तैयार होती है। यही बांग्लादेश के बनने में हुआ था और यही बलूचिस्तान में हो रहा है।

अशोक ने ग्लैडवेल द्वारा मोटे तौर पर बताई गई उन सात छोटी-छोटी मानवीय गलतियों का उल्लेख किया, जिसने पाकिस्तान को पैदा किया।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन गलतियों को चिह्नित करने की जरूरत है, जैसे नौसेना के पोत पर हमला, बहुत गहराई तक कट्टरपन जो तेजी से सेनाओं में फैल रहा है, बलूचिस्तान की छोटी-छोटी समस्याएं, संघ प्रशासित कबीलाई इलाकों में रहने वाले अपने ही नागरिकों को तोपों से मारना है और परमाणु प्रसार में लिप्त होना, इन सबसे लोगों में बगावत पनपने की गुंजाइश बन गई।

उन्होंने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में बंगला भाषियों के साथ जैसे अत्याचार किए गए वैसे ही अत्याचार बलूचों पर किए जा रहे हैं। चीनी कंपनियों को तेल एवं खनिज पदार्थों के बड़े-बड़े ठेके दिए जा रहे हैं। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के समझौते की आड़ में चीनी सेनाएं भी बलूचिस्तान में घुसकर पाकिस्तानी फौजों के साथ मिलकर बलूचों के दमन और संसाधनों की लूट में लिप्त हो चुकी हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अमजद बशीर सिद्दीकी के दि न्यूज में प्रकाशित लेख ‘भारतीय नौसेना ने 1971 में कैसे मौका गंवाया’ में व्यक्त विचारों का खंडन करते हुए अशोक ने कहा कि सिद्दीकी ने भारतीय सामरिक मामलों के लेखक संदीप उन्नीथन और कैप्टन एम एन आर सामंत की आने वाली पुस्तक 'ऑपरेशन एक्स' का चालाकी से इस्तेमाल कर लिया, ताकि एक जनसंहार की अनदेखी करके पड़ोसियों पर दोष मढ़ा जा सके।

सिद्दीकी के तर्क में कमियों की ओर इशारा करते हुए अशोक ने कहा कि पाकिस्तानी पत्रकार तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के बारे में बात करना चाह रहे हैं जिसका उसके ही साथी नागरिकों द्वारा बलात्कार किया गया, लूटा गया और मारा गया।

सिद्दीकी के लेख में भारतीय लेखकों की किताब की आड़ लेकर एक जनसंहार को छलपूर्वक भू-राजनीतिक घटना के रूप में निरूपित करने का प्रयास किया गया है। अशोक ने कहा कि पाकिस्तानी पत्रकार के लेख में निराशा, एक राष्ट्र के टूटने की पीड़ा प्रकट होती है जिसमें नागरिकों को लूटा गया, बलात्कार किया गया और मारा गया जो अपनी संस्कृति एवं जीवनशैली से बहुत प्यार करते थे।

पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश के जन्म की कहानी हो याद करते हुए वह कहते हैं कि 10 लाख से अधिक लोग वहां से भागकर भारत आए थे। उन्होंने भारत से मदद मांगी और और किसी भी सभ्य राष्ट्र के तरीके से भारत ने बांग्लादेश के नेतृत्व की मांग पर उन्हें सम्मानजनक जीवन का मौका सुलभ कराया। भारतीय नौसेना ने भी अपनी भूमिका अदा की। 

अशोक ने पाकिस्तानी पत्रकार को सलाह दी कि वह अपने देश में पेशावर, कराची, रावलपिंडी की गलियों में जाएं और किसी भी बलूच से पूछे तो वह बताएगा कि उसकी ज़मीन और उसके लोगों के साथ क्या सलूक किया जा रहा है। (वार्ता) Photo courtesy: twitter
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