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ड्रग एडिक्‍ट बनाकर इंदौर में मासूमों से भीख और चोरी करवा रहे बेरहम गिरोह, 600 बच्‍चे रेस्‍क्‍यू, कई को भेजा स्‍कूल

drug addicts children
इंदौर में बच्‍चों को किस हद तक ड्रग एडिक्‍ट बनाया जा रहा था, इस बात का खुलासा तब हुआ है जब इंदौर प्रशासन ने भिक्षावृत्‍ति के खिलाफ अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान सामने आया कि इंदौर में बड़े पैमाने पर कई गिरोह बच्‍चों को ड्रग एडिक्‍ट बनाकर उनसे भीख मंगवाने का काम करते रहे हैं। इस काम के लिए उन्‍हें थिनर, पेट्रोल, आयोडेक्‍स और सॉल्‍यूशन जैसी चीजों के नशे का आदी बनाकर भीख मंगवाई जा रही थी और चोरी करवाई जा रही थी।

बता दें कि पिछले कुछ सालों में सामाजिक न्‍याय विभाग, महिला बाल विकास और एनजीओ की मदद से करीब 600 बच्‍चों को रेस्‍क्‍यू किया गया। दूसरी तरफ प्रशासन ने इंदौर के कई इलाकों से भिक्षुक की बस्तियों में से करीब 30 ऐसे बच्चों को चिन्हित किया गया है जो भीख मांगते थे। जिला प्रशासन की पहल पर इन बच्चों को अब स्‍कूलों में भेजा जा रहा है। हालांकि अभी कई बच्‍चे हैं जो इन गिरोह की गिरफ्त में हैं।
  • इंदौर में सक्रिय हैं बच्‍चों को नशे में धकेलने वाले कई गिरोह
  • रेस्‍क्‍यू किए गए बच्‍चों में ज्‍यादातर निकले ड्रग एडिक्‍ट
  • टारगेट फिक्‍स करवाकर बच्‍चों को दे रहे नशे का लालच 
30 ऐसे बच्‍चों को एडमिट करवाया : भिक्षावृत्‍ति अभियान में भिक्षुक मुक्‍त दल के नोडल अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि अहीरखेडी में हमने 30 ऐसे बच्‍चों को एडमिट करवाया है जो स्‍कूलों से ड्राप आउट थे। इनमें भिक्षावृत्‍ति भी एक वजह थी। कई बच्‍चों को नशाखोरी में धकेलकर यह काम कराया जा रहा था, ज्‍यादातर के बच्‍चों के परिजन या तो भिक्षावृत्‍ति में लिप्‍त हैं या शराब के आदी हैं। हम जिला प्रशासन के आदेश पर लगातार काम कर रहे हैं, बच्‍चों को रेस्‍क्‍यू कर के मुख्‍यधारा से जोडने का काम किया जा रहा है।

कई बच्‍चे नशे का शिकार : भिक्षावृत्‍ति अभियान में भिक्षुक मुक्‍त दल सहायक अधिकारी फूल सिंह ने बताया कि इंदौर में यह अभियान शुरू होने के बाद जो बच्‍चे रेस्‍क्‍यू किए गए हैं उनमें करीब 350 बच्‍चे नशे के शिकार पाए गए हैं, इनकी काउंसलिंग कर के इन्‍हें मुख्‍यधारा से जोडने का काम किया जा रहा है।

स्‍कूलों में भर्ती करवा रहे बच्‍चों को : बाल कल्‍याण समिति के सदस्‍य डॉ नितिन शुक्‍ल ने बताया कि हम रेस्‍क्‍यू करने के बाद स्‍कूलों में भर्ती करवा रहे हैं। इसमें क्षेत्र के पार्षद की मदद ले रहे हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में सरपंच की मदद से बच्‍चों को स्‍कूल भेजे जा रहे हैं। पिछले एक महीने में 22 बच्‍चों को रेस्‍क्यू किया है। इंदौर कलेक्‍टर ने टीम बनाई है जो बच्‍चों को रेस्‍क्‍यू करने का काम कर रही है।

इन इलाकों में सक्रिय गिरोह : बता दें कि इंदौर के विजयनगर, खजराना, आजाद नगर, बड़ा गणपति, एयरपोर्ट रोड, बिजासन माता टेकरी और रणजीत हनुमान समेत कई शनि मंदिर ऐसे इलाके हैं, जहां बच्‍चों को भीख मांगने और चोरी करने के लिए गिरोह सक्रिय हैं।

थिनर-सॉल्‍युशन के नशे के आदी बच्‍चे : इंदौर में ऐसे कई गिरोह सक्रिय हैं जो बच्‍चों को ड्रग और थिनर जैसे नशे का आदी बनाकर उनसे चोरी करने से लेकर भीख मंगवाने का काम करवा रहा है। पिछले 5 साल में ऐसे 600 से ज्‍यादा बच्‍चों को प्रशासन ने सामाजिक संस्‍थाओं की मदद से रेस्‍क्‍यू किया गया है। गिरोह इन्‍हें ड्रग और थिनर जैसे खतरनाक नशे की आदत लगाकर एडिक्ट बना देते थे। फिर इनसे भिक्षावृत्ति और चोरी कराई जाती थी। हाल ही में इंदौर में भिक्षावृत्ति मुक्‍त शहर के लिए अभियान की शुरुआत की है, जिसके बाद बच्‍चों को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं।

पुलिस कर रही गिरोहों की तलाश : दरअसल, इंदौर में भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान के दौरान रेस्क्यू किए गए बच्चों में से कई ऐसे बच्‍चे हैं जो नशे के आदी निकले। इनमें 6 से 15 साल तक के बच्चे हैं जो बुरी तरह से ड्रग एडिक्ट का शिकार हो चुके हैं। रेस्क्यू किए गए बच्‍चों में सबसे छोटे 6 साल के बच्‍चे भी शामिल हैं। इन गिरोह से पिछले 5 सालों में ऐसे तकरीबन 600 से ज्‍यादा बच्चों को मुक्‍त कराया गया है। पुलिस ऐसे गिरोहों की तलाश कर रही है जो बच्‍चों को ड्रग्‍स का आदी बना रहे हैं।

ये खतरनाक नशा दिया जा रहा बच्‍चों को : बता दें कि इन छोटे बच्चों को बचपन से ही थिंनर, अयोडेक्स, टायर पंचर को सुधारने के लिए इस्‍तेमाल होने वाला सॉल्‍युशन के नशे की आदत लगा दी जाती है। इन्हे इसकी आदत इस कदर लगा दी जाती है कि इसके दम पर पेडलर इन बच्चों से भिक्षा से लेकर चोरी तक की वारदात में शामिल कर देते हैं।

भीख मांगने के लिए टारगेट फिक्‍स : गिरोह इस कदर बच्‍चों के प्रति बेरहम हैं कि पहले उन्‍हें नशे का आदी बनाया जाता है और इसके बाद उनके नशे की मांग को पूरी करने के लिए उन्‍हें भीख का टारगेट दिया जाता है। टारगेट पूरा होने पर इनाम के तौर पर उन्‍हें यह नशीले पदार्थ दिए जाते हैं। अब प्रशासन ने सख़्ती दिखाई है और अब भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान में पकड़े जा रहें ऐसे बच्चों को नशा मुक्ति केंद्र भेजा जा रहा है। हालांकि अभी भी कई गिरोह हैं जो यह काम कर रहे हैं।

बच्‍चों पर नशे का असर : इस तरह के नशे का बच्‍चों पर बेहद बुरा असर हो रहा है। रेस्क्यू के दौरान पता चला कि जिस नशे का इन्‍हें आदी बनाया जा रहा था उससे भूख खत्म हो जाती है। बिना खाए भी पूरा दिन गुज़र जाता है। इससे इनका नर्वस सिस्टम भी कमजोर हो चुका है। काउंसलिंग में पता लगा कि बच्चे बोलते बोलते बीच में भूल जाते हैं। ऐसे गंभीर हालत में बच्चों को नशा मुक्ति केंद्र और काउंसलिंग के लिए भेजा जा रहा है। जहां उन्‍हें अलग अलग तरह के क्रिएटिव काम सिखाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर अभी तक ऐसे 850 बच्चों को स्वस्थ कर शिक्षा से जोड़ा गया है। उन्‍हें मुख्‍यधारा से जोड़ा जा रहा है।