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Last Updated : सोमवार, 6 जनवरी 2025 (15:19 IST)

महाकुंभ 2025 में दर्शन का अद्वितीय स्थल: प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर

महाकुंभ 2025 में दर्शन का अद्वितीय स्थल: प्रयागराज का पड़िला महादेव मंदिर - Padila Mahadev Temple of Prayagraj
Maha Kumbh 2025 : प्रयागराज (Prayagraj), जिसे कुम्भ नगरी के नाम से भी जाना जाता है, हर 12 साल में आयोजित होने वाले महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन के दौरान प्रयागराज में स्थित विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों का दर्शन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। उन स्थानों में से एक है पड़िला महादेव मंदिर (Padila Mahadev Temple), जो न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पवित्र तीर्थयात्रा की दृष्टि से भी अत्यधिक प्रसिद्ध है।
 
अगर आप महाकुंभ 2025 में स्नान करने के लिए प्रयागराज आ रहे हैं तो इस मंदिर का दर्शन करना न केवल धार्मिक कर्तव्य होगा, बल्कि यह आपके जीवन में एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करेगा।ALSO READ: महाकुंभ के दौरान काशी विश्वनाथ की आरती का बदलेगा समय
 
पड़िला महादेव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व : पड़िला महादेव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। किंवदंतियों के अनुसार जब पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान प्रयागराज में ठहरने का निर्णय लिया था तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा करने के लिए इस स्थान पर एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यह स्थल उनके लिए अत्यधिक पवित्र था और यहां उन्होंने भगवान शिव की आराधना की। उस समय से लेकर अब तक यह मंदिर शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल बन गया है।ALSO READ: प्रयागराज कुंभ मेला 1989: इतिहास और विशेषताएं
 
कहा जाता है कि पांडवों ने यहां भगवान शिव की पूजा की और इसके साथ ही इस स्थान को एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया। इसके बाद यह मंदिर शास्त्रों और पुराणों में प्रमुख रूप से उल्लेखित होता है। इसे पांडवों से जुड़ा हुआ स्थान मानकर लोग इस मंदिर में श्रद्धाभाव से आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
 
पंचकोसी परिक्रमा का अहम हिस्सा : प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा, जो लगभग 20 किलोमीटर का दायरा है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है। इसमें श्रद्धालु 5 प्रमुख स्थानों का दौरा करते हैं, जो विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाते हैं। इस यात्रा में पड़िला महादेव मंदिर भी शामिल है।
 
पंचकोसी परिक्रमा में यह स्थान एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में आता है। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है बल्कि यह आत्मिक शांति और पुण्य प्राप्ति का एक माध्यम भी है। इस परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें समर्पित होते हैं। पंचकोसी परिक्रमा को पूरा करने के बाद श्रद्धालुओं को शांति और संतोष का अहसास होता है, जो उनके जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है।ALSO READ: प्रयागराज में 3000 वर्षों से कुंभ मेले का हो रहा है आयोजन
 
पूजा, जलाभिषेक और धार्मिक अनुष्ठान : पड़िला महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। यहां की प्रमुख पूजा विधि जलाभिषेक है जिसे श्रद्धालु भगवान शिव पर जल अर्पित करके उनकी कृपा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। जलाभिषेक के साथ-साथ यहां पंचामृत अभिषेक, बेल पत्र अर्पित करने और विशेष रूप से रुद्राभिषेक का आयोजन भी किया जाता है। इन पूजा अनुष्ठानों के दौरान भक्तों की आस्था और श्रद्धा चरम पर होती है।ALSO READ: महाकुंभ 2025: कुंभ में गंगा स्नान से पहले जान लें ये नियम, मिलेगा पूरा पुण्य लाभ
 
लाखों श्रद्धालु जुटते हैं : महाकुंभ के दौरान विशेष रूप से इस मंदिर में पूजा विधियां और आयोजनों का आयोजन होता है, जहां लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। इन विशेष आयोजनों में मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन और संकीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस पूजा से उनकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
 
Edited by: Ravindra Gupta