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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 5 मार्च 2025 (13:09 IST)

कहां है मुग़ल शासक औरंगजेब की कब्र, जानिए कब और कैसे हुई थी इस कट्टर मुस्लिम शासक की मृत्यु

कहां है मुग़ल शासक औरंगजेब की कब्र, जानिए कब और कैसे हुई थी इस कट्टर मुस्लिम शासक की मृत्यु - tomb of mughal emperor aurangzeb
tomb of mughal emperor aurangzeb : मुगलों का इतिहास काफी विवादित रहा है लेकिन औरंगजेब इनमें से ऐसा बादशाह था जिसकी जिंदगी के साथ बहुत सारे विवाद जुड़े रहे। यहां तक कि औरंगजेब की कब्र को लेकर भी काफी विवाद है। औरंगजेब की कब्र को लेकर अक्सर सवाल किया जाता है की दिल्ली और आगरा से भारत का शासन करने वाले औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद में क्यों बनाई गई। आइए आज आपको औरंगजेब के जीवन और मृत्यु से जुड़े तथ्यों जे बारे में विस्तार से बताते हैं।

औरंगजेब, जिसे आलमगीर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मुगल साम्राज्य का छठा शासक था। वह एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम था और अपने धार्मिक कट्टरवाद के लिए जाना जाता था।

प्रारंभिक जीवन और सत्ता में वृद्धि:
औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर, 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। वह मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज महल का तीसरा पुत्र था। औरंगजेब ने अपने पिता के शासनकाल के दौरान विभिन्न प्रशासनिक और सैन्य पदों पर कार्य किया। 1658 में, शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने अपने भाइयों के साथ सत्ता के लिए संघर्ष किया और अंततः विजयी हुआ।

औरंगजेब का शासनकाल:
औरंगजेब ने लगभग 50 वर्षों तक शासन किया, जो मुगल सम्राटों में सबसे लंबा था। उसके शासनकाल के दौरान, मुगल साम्राज्य अपने सबसे बड़े विस्तार तक पहुंच गया। उसने दक्षिण भारत में बीजापुर और गोलकुंडा के राज्यों को जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया। औरंगजेब ने धार्मिक नीतियों के माध्यम से भारत को एक इस्लामी राज्य बनाने का प्रयास किया। वह अकबर के बाद सबसे शक्तिशाली मुस्लिम बादशाह था।

औरंगजेब  की विवादित नीतियां:
औरंगजेब ने गैर-मुस्लिमों पर जजिया कर फिर से लगाया और कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया। उसने दरबार में संगीत और नृत्य पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इन नीतियों ने हिंदू आबादी के बीच व्यापक असंतोष पैदा किया और कई विद्रोहों को जन्म दिया।

कैसे हुई औरंगजेब की मृत्यु:

औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च, 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में प्राकृतिक रूप  से हुई थी। उसे औरंगाबाद के खुलदाबाद में दफनाया गया था। औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद से 25 किलोमीटर दूर खुलताबाद में है। औरंगजेब ने मरने से पहले अपनी यह इच्छा जाहिर की थी कि उसकी कब्र कैसे और कहां होनी चाहिए। उसने इस विषय पर अपनी वसीयत में बहुत विस्तार से लिख दिया था। यह भी कहा जाता है कि अपनी कब्र के लिए औरंगजेब अपने पैसे टोपियां सीकर जमा किए थे। औरंगजेब की इच्छा के अनुसार उसकी कब्र को बहुत साधारण बनवाया गया था।

औरंगजेब को एक जटिल और विवादास्पद व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है। कुछ लोग उसे एक कुशल प्रशासक और सैन्य नेता के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य उसे एक धार्मिक कट्टरपंथी और अत्याचारी शासक के रूप में देखते हैं। 
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