What is music: 21 जून को पूरी दुनिया वर्ल्ड म्यूजिक डे (World Music Day 2025) के रूप में मनाती है। यह दिन केवल गानों और धुनों को सेलिब्रेट करने के लिए नहीं होता, बल्कि यह दिन हमें संगीत की गहराई, उसके प्रभाव और हमारे जीवन में उसकी अहमियत को महसूस करने का मौका देता है। आज जब जिंदगी में दौड़-भाग, तनाव और अकेलापन बढ़ गया है, तब संगीत ऐसा माध्यम बन चुका है जो हर भावना को जीने, समझने और महसूस करने का जरिया बनता है। लेकिन सवाल है, संगीत क्या है? क्या यह सिर्फ सुर, ताल और लय का खेल है या इससे कहीं ज्यादा कुछ? और क्या आप जानते हैं संगीत के कितने प्रकार होते हैं? आइए इन सवालों के जवाब विस्तार से जानते हैं।
संगीत का अर्थ क्या है?
संगीत केवल एक आर्ट फॉर्म नहीं है, यह भावनाओं की आवाज है। जब कोई इंसान अपने दिल की बात शब्दों में नहीं कह पाता, तो संगीत वह जरिया बन जाता है जिससे दिल की गहराई से निकली हर भावना एक सुर में ढलती है। यह केवल सुनने भर के लिए नहीं होता, यह महसूस करने, जीने और भीतर से बदलने वाला अनुभव है।
संगीत का मतलब है- ध्वनि को ऐसे तरीके से सजाना कि वह हमारे मस्तिष्क और हृदय पर सकारात्मक प्रभाव डाले। यह हमारी खुशी, दुख, अकेलापन, उम्मीद, प्रेम, आत्मविश्वास और ध्यान, हर भावना को छूने वाला माध्यम है। यही कारण है कि संगीत को केवल एक शौक नहीं, बल्कि आत्मिक ज़रूरत भी माना जाता है।
संगीत के प्रकार
संगीत का कोई एक चेहरा नहीं है। यह भावनाओं की तरह बहुरूपी है। अलग-अलग संस्कृति, भाव, जरूरत और माहौल के अनुसार संगीत के कई रूप होते हैं। यहां हम जानेंगे संगीत के प्रमुख प्रकार जो आम जीवन से लेकर प्रोफेशनल थेरेपी तक में असरदार माने जाते हैं:
1. शास्त्रीय संगीत (Classical Music)
यह सबसे गहन और तकनीकी रूप है संगीत का। इसमें राग, ताल, सुर, आरोह-अवरोह का संतुलन होता है। यह न केवल आत्मा को शांत करता है बल्कि ध्यान केंद्रित करने और मानसिक विकास में भी मदद करता है। हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत भारत के दो प्रमुख शास्त्रीय स्कूल हैं।
2. लोक संगीत (Folk Music)
हर क्षेत्र की अपनी बोली, परंपरा और संस्कृति होती है, और लोक संगीत उसी का दर्पण होता है। यह ज़मीन से जुड़ा होता है, जहां कहानियां, परंपराएं और लोक मान्यताएं धुन के जरिए सुनाई जाती हैं। राजस्थान का मांड, पंजाब का भांगड़ा, महाराष्ट्र का लावणी जैसे कई उदाहरण हैं।
3. पॉप म्यूजिक (Pop Music)
पॉप यानी पॉपुलर संगीत, जो आमतौर पर ट्रेंड में होता है और युवा वर्ग के बीच सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसमें तेज धुन, रिपीटिंग कोरस और आसान बोल होते हैं जो मन को तुरंत आकर्षित करते हैं।
4. रॉक और मेटल म्यूजिक (Rock & Metal)
यह संगीत उच्च ऊर्जा, इंस्ट्रूमेंटल सोलो और गहरे अर्थ से भरा होता है। यह रिबेल, पर्सनल एक्सप्रेशन और इमोशनल आउटलेट का माध्यम होता है। गिटार, ड्रम्स और इलेक्ट्रिक साउंड इसका मुख्य हिस्सा होते हैं।
5. जैज और ब्लूज (Jazz & Blues)
यह पश्चिमी संगीत की जटिल लेकिन बेहद सॉफिस्टिकेटेड शैली है। इसमें इम्प्रोवाइजेशन (यानि गाते या बजाते समय नई धुनों की रचना) प्रमुख होती है। यह आमतौर पर सुकून और आत्म-विश्लेषण से जुड़ा होता है।
6. ध्यान संगीत (Meditation & Healing Music)
यह उन लोगों के लिए है जो मानसिक शांति, योग, प्राणायाम या ध्यान में लीन होते हैं। यह म्यूजिक बहुत धीमी गति, कम इंस्ट्रूमेंट और न्यूनतम ध्वनि के साथ बनाया जाता है ताकि दिमाग शांत हो सके।
7. फिल्मी संगीत (Bollywood Music)
यह भारत में सबसे ज़्यादा सुना जाने वाला संगीत है। इसमें रोमांस, दुख, खुशी, विद्रोह, डांस – हर भाव के लिए कोई न कोई गाना होता है। यह जनमानस की भावनाओं से जुड़ता है और यही कारण है कि बॉलीवुड म्यूजिक हर वर्ग में लोकप्रिय है।
8. ई-संगीत (Electronic Music)
डीजे, रेव पार्टीज या फिटनेस सेशन में सुना जाने वाला ई-म्यूजिक युवाओं में काफी पॉपुलर है। इसमें कंप्यूटर से बने बीट्स, रीमिक्स और इलेक्ट्रॉनिक साउंड्स शामिल होते हैं जो उत्साह और एनर्जी का संचार करते हैं।
संगीत के प्रभाव
हर इंसान का संगीत से रिश्ता अलग होता है। कुछ लोग उदासी में संगीत सुनकर हल्कापन महसूस करते हैं, तो कुछ लोग उत्साह के लिए हाई बीट्स सुनते हैं। यह एक मानसिक टूल है जो आपके मूड, माइंड और मेमोरी, तीनों को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है। यही कारण है कि आज संगीत थेरेपी (Music Therapy) को मानसिक स्वास्थ्य की दुनिया में एक कारगर इलाज के रूप में अपनाया जा रहा है।
तो चाहे आप गायक हों, श्रोता हों या बस किसी नोटबुक में गानों की लिस्ट बनाकर बैठने वाले हों, इस दिन संगीत के किसी भी रूप को गले लगाइए और महसूस कीजिए कि यह केवल कानों का सुख नहीं, आत्मा का उत्सव है।