Narmada nadi : नर्मदा नदी के विपरीत दिशा में बहने का कारण जानकर आप रह जाएंगे हैरान
Narmada river facts: नर्मदा नदी मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा है, परंतु इसका अधिकतर भाग मध्यप्रदेश में ही बहता है। अमरकंटक से निकलकर ये गुजरात खंभात की खड़ी में यह मिल जाती है। अमरकंटक में कोटितार्थ मां नर्मदा का उद्गम स्थल है। यहां सफेद रंग के लगभग 34 मंदिर हैं। यहां नर्मदा उद्गम कुंड है, जहां से नर्मदा नदी का उद्गम है जहां से नर्मदा प्रवाहमान होती है।
देश की सभी नदियों की अपेक्षा नर्मदा विपरीत दिशा में बहती है। नेमावर के आगे ओंकारेश्वर होते हुए ये नदी गुजरात में प्रवेश करके खम्भात की खाड़ी में इसका विलय हो जाता है। दरअसल नर्मदा नदी के उल्टी दिशा में बहने का मुख्य कारण 'रिफ्ट वैली' है। रिफ्ट वैली दरार वाली घाटी होती है जिसके कारण नदी का बहाव ढलान के विपरीत दिशा में होता है। इसी ढलान की वजह से नर्मदा नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है
नर्मदा नदी अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किलोमीटर चलकर खंभात की खाड़ी अरब सागर में जाकर मिलती है। इससे पहले 1312 किलोमीटर लंबे रास्ते में नर्मदा नदी मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के क्षेत्र से 95,726 वर्ग किलोमीटर का पानी बहाकर ले जाती है।
भारतीय पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी को पाताल की नदी माना जाता है। यह भी जनश्रुति प्रचलित है कि नर्मदा के जल को बांधने के प्रयास किया गया तो भविष्य में प्रलय होगी। इसका जल पाताल में समाकर धरती को भूकंपों से पाट देगा।
यदि अच्छे से नर्मदाजी की परिक्रमा की जाए तो नर्मदाजी की परिक्रमा 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूर्ण होती है, परंतु कुछ लोग इसे 108 दिनों में भी पूरी करते हैं। परिक्रमावासी लगभग 1,312 किलोमीटर के दोनों तटों पर निरंतर पैदल चलते हुए परिक्रमा करते हैं।