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Last Modified: गुरुवार, 23 मई 2024 (11:30 IST)

Buddh purnima 2024 : गौतम बुद्ध क्या श्रीहरि विष्णु के अवतार थे?

buddha purnima 2024
Buddh purnima 2024 : बौद्ध धर्म किसी दूसरे धर्म के प्रति नफरत नहीं सिखाता और न ही वह किसी अन्य धर्म के सिद्धांतों का खंडन ही करता है। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म न तो वेद विरोधी है और न हिन्दू विरोधी। गौतम बुद्ध ने तो सिर्फ जातिवाद, कर्मकांड, पाखंड, हिंसा और अनाचरण का विरोधी किया था। गौतम बुद्ध के शिष्यों में कई ब्राह्मण थे। आज भी ऐसे हजारों ब्राह्मण हैं जो भगवान बुद्ध की विचारधारा को मानते हैं।
कुछ लोगों के अनुसार बुद्ध को हिन्दुओं का अवतार मानना उचित नहीं है। उनका तर्क यह है कि किसी भी पुराण में उनके विष्णु अवतार होने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है और यह कुछ हद तक सही भी है। पुराणों में बुद्ध शब्द जरूर मिलता है लेकिन वह शब्द विशेषण की तरह है। वहां किसी गौतम बुद्ध का जिक्र नहीं है।
 
बौद्ध पुराण ललितविस्तारपुराण में बुद्ध की विस्तृत जीवनी है। हिन्दुओं के अठारह महापुराणों तथा उपपुराणों में बुद्ध की गणना नहीं है। हालांकि कल्कि पुराण में उनके अवतार होने का उल्लेख मिलता है। अब सवाल यह उठता है कि कल्कि पुराण कब लिखा गया? यह विवाद का विषय हो सकता है। कल्याण के कई अंकों में बुद्ध को विष्णु के 24 अवतारों में से एक 23वें अवतार के रूप में चित्रित किया जाता रहा है। दाशावतार के क्रम में उनको 9वें अवतार के रूप में चित्रित किया गया है। हालांकि इस संबंध में पुराणों से इतर अन्य कई ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है, कि बुद्ध हिन्दुओं के अवतारी पुरुष हैं, लेकिन मूल पुराणों में नहीं।
कल्किपुराण के पूर्व के अग्नि पुराण (49/8-9) में बुद्ध प्रतिमा का वर्णन मिलता है:- 'भगवान बुद्ध ऊंचे पद्ममय आसन पर बैठे हैं। उनके एक हाथ में वरद तथा दूसरे में अभय की मुद्रा है। वे शान्तस्वरूप हैं। उनके शरीर का रंग गोरा और कान लंबे हैं। वे सुंदर पीतवस्त्र से आवृत हैं।' वे धर्मोपदेश करके कुशीनगर पहुंचे और वहीं उनका देहान्त हो गया।- कल्याण पुराणकथांक (वर्ष 63) विक्रम संवत 2043 में प्रकाशित। पृष्ठ संख्या 340 से उद्धृत। इस वर्णन में यह कहीं नहीं कहा गया कि वे विष्णु अवतार हैं।
 
भागवत पुराण में जिन बुद्ध का वर्णन है वो महात्मा बुद्ध से बहुत पहले (कलियुग में ही) जन्मे थे। इसमें इसके पिता का नाम अजन और जन्मस्थान प्राचीन कीकट बताया गया है जबकि गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोदन और जन्म स्थान नेपाल का लुम्बिनी नामक स्थान है। 
दरअसल, उन्हें विष्णु का अवतार बताए जाने का प्रारंभ उनकी मृत्यु के करीब 600–700 वर्ष बाद इसलिए हुए क्योंकि उस दौर में ईसाई धर्म का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। उस दौरान हिन्दू धर्म से अलग पहचान होने के कारण सनातन धर्म के प्रति दोनों धर्मों के लोगों में मतभेद पैदा कर उन्हें लड़ाया जा रहा था। बौद्धों को वेद विरोधी, ब्रह्म विरोध प्रचारित किया जा रहा था। इस झूठे प्रचार के चलते भारतीयों बौद्धों भी अनजाने में हिंदू धर्म का विरोध करने लगे थे। इसे देखते हुए ऐसा कहा जाता है कि कुछ बौद्ध अनुयायियों ने गौतम बुद्ध को नारायण के अवतार के रूप में प्रचारित करना आरंभ कर दिया।
इस बाद को उस काल में मठों के शंकराचार्यों ने विरोध किया था। एक शंकराचार्य का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जाता है जिन्हें नवीन शंकराचार्य कहा जाता था। उन्होंने इसका विरोध किया। वे श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य थे। आज भी हिन्दू धर्म के ये चारों प्रमुख मठ गौतम बुद्ध को नारायण का अवतार नहीं मानते हैं। हालांकि समाज में बार बार इसका प्रचार होने से अब यह स्थापित हो चला है कि गौतम बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार थे।