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Written By WD Feature Desk
Last Modified: बुधवार, 22 मई 2024 (17:57 IST)

Buddha purnima 2024 : गौतम बुद्ध किस देवी की आराधना करते थे?

Buddha purnima 2024 : गौतम बुद्ध किस देवी की आराधना करते थे? - Which goddess did Gautam Buddha worship
Buddha purnima 2024 : तारा एक महान देवी हैं जिनकी पूजा हिन्दू और बौद्ध दोनों ही धर्मों में होती है। तारने वाली कहने के कारण माता को तारा भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में तारापीठ नामक शक्तिपीठ है जहां पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। तारा देवी का एक दूसरा मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 किमी की दूरी पर स्थित शोघी में है। देवी तारा को समर्पित यह मंदिर, तारा पर्वत पर बना हुआ है। तिब्‍बती बौद्ध धर्म के लिए भी हिन्दू धर्म की देवी 'तारा' का काफी महत्‍व है।
लेह लद्दाख में  शेय, थिकसे, हेमिस, लामायुरू, आलूची, शांति, शंकर, स्तकन तथा माठो दर्शनीय मठ हैं। 7वीं शताब्दी में बौद्ध यात्री ह्वेनसांग ने भी इस क्षेत्र का वर्णन किया है। हेमिस गोम्पा लेह के दक्षिण-पूर्व दिशा में शहर से 45 किमी की दूरी स्थित है। इस मठ के ऊपरी भाग में देवी तारा का मंदिर है। किंवदंती है कि देवी तारा की आराधना भगवान बुद्ध करते थे। बौद्ध धर्म की व्रजयान शाखा में इस देवी की पूजा का खास महत्व है। संबंभत यह विचार वहीं से आया होगा।
 
कौन है तारा देवी?
प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महातारा जयंती मनाई जाती है जो दस महाविद्या में से एक शक्ति का उग्र और आक्रामक स्वरूप हैं।  सती माता ने ही पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया था। माता सती राजा दक्ष की पुत्री थीं। राजा दक्ष की और भी पुत्रियां थीं जिसमें से एक का नाम तारा हैं। इस मान से तारा माता सती की बहन हैं। माता तारा को तांत्रिकों की देवी माना जाता है। तांत्रिक साधना करने वाला माता तारा के भक्त होते हैं। भगवती तारा के तीन स्वरूप हैं:- तारा, एकजटा और नील सरस्वती।
देवी तारा की साधना करने वाले भक्तों को माता आकस्मिक लाभ, अकूत संपत्ति तथा समृद्धिभरा जीवन प्रदान करती है। यह गुप्त नवरात्रि की दूसरी शक्ति हैं। आद्य शक्ति हैं।  प्राचीन काल में महर्षि वशिष्ठ ने इस स्थान पर देवी तारा की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस मंदिर में वामाखेपा नामक एक साधक ने देवी तारा की साधना करके उनसे सिद्धियां हासिल की थी।

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