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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 23 मई 2025 (14:13 IST)

किस देवता के लिए समर्पित है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा के मुहूर्त और विधि

Shani Pradosh Vrat
Shani Pradosh Vrat: शनि प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। 'प्रदोष' का अर्थ है गोधूलि वेला यानी सूर्यास्त के आसपास का समय और इसी समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। शनि प्रदोष व्रत 2025 में: मई 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत शनिवार, 24 मई 2025 को पड़ रहा है, इसलिए यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।ALSO READ: वट सावित्री व्रत दो बार क्यों मनाया जाता है?
 
शनि प्रदोष व्रत कब होता है: जब त्रयोदशी तिथि (जो प्रदोष व्रत के लिए होती है) शनिवार के दिन पड़ती है, तब उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह संयोग इस व्रत को और भी विशेष बना देता है, क्योंकि शनिवार शनि देव का दिन है।
 
इस बार शनि प्रदोष व्रत के लिए के शुभ मुहूर्त और पूजन का समय: 
ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 24 मई 2025 को शाम 07:20 मिनट से, 
त्रयोदशी तिथि का समापन: 25 मई 2025 को शाम 03:51 मिनट पर।
प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त: 24 मई 2025 को शाम 07:20 बजे से रात 09:13 मिनट तक 
त्रयोदशी पर पूजन की कुल अवधि: 01 घंटा 54 मिनट्स
 
पूजा विधि:
1. प्रातःकाल: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
2. संकल्प: भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
 
3. मंदिर की सफाई: घर के मंदिर की साफ-सफाई करें और शिव परिवार (शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी) की प्रतिमा स्थापित करें।
 
4. प्रदोष काल पूजा: सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल (शाम 4:30 से 7:00 बजे के बीच, स्थानीय समयानुसार) में पूजा प्रारंभ करें।
 
5. अभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से अभिषेक करें।
 
6. अर्पण: भगवान शिव को बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, चंदन, भस्म अर्पित करें।
 
7. दीपक और धूप: घी का दीपक जलाएं और धूप करें।
 
8. मंत्र जाप: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। आप शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
 
9. शनि देव की पूजा: भगवान शिव की पूजा के बाद शनिदेव की भी पूजा करें। उन्हें सरसों का तेल, काले तिल, नीले फूल अर्पित करें और 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप करें।
 
10. कथा श्रवण: शनि प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
 
11. आरती: शिवजी और शनिदेव की आरती करें।
 
12. दान: अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों को काले वस्त्र, काले तिल, उड़द दाल, तेल, कंबल आदि का दान करें।
 
13. पारण: अगले दिन सुबह स्नान के बाद भगवान का स्मरण कर और पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण करें।
 
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