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  4. Narasimha Jayanti 11 May 2025
Written By WD Feature Desk

नृसिंह जयंती क्यों मनाते हैं, जानें इस खास अवसर पर क्या करें? पढ़ें 15 काम की बातें

हर संकट में रक्षा करने वाले नृसिंह भगवान को नमन

Narasimha Jayanti date and time
Narasimha Prakatotsav 2025 : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नृसिंह प्रकटोत्सव, जिसे नृसिंह जयंती के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के चौथे अवतार, भगवान नृसिंह के आधे-मनुष्य और आधे-सिंह के रूप में दिव्य प्राकट्य की स्मृति में मनाया जाता है। यह शुभ अवसर बुराई पर अच्छाई की विजय और भगवान द्वारा अपने भक्तों की रक्षा का प्रतीक है।ALSO READ: नृसिंह जयंती कथा: जब धर्म की रक्षा हेतु नारायण ने रूप बदला
 
इस दिन को मनाने का मुख्य कारण उस चमत्कारी तरीके को याद करना और उसका सम्मान करना है जिससे भगवान विष्णु अपने परम भक्त प्रह्लाद को उसके अत्याचारी पिता, राक्षस राजा हिरण्यकशिपु से बचाने के लिए प्रकट हुए थे। हिरण्यकशिपु ने एक ऐसा वरदान प्राप्त किया था जिससे वह लगभग अजेय हो गया था, क्योंकि उसे न मनुष्य, न पशु, न देवता, न राक्षस, न किसी हथियार से, न घर के अंदर, न बाहर, न दिन में, न रात में, न पृथ्वी पर, न आकाश में मारा जा सकता था।
 
भगवान विष्णु ने, ब्रह्मांडीय व्यवस्था और प्रह्लाद की भक्ति को बनाए रखने के लिए, नृसिंह के रूप में अवतार लिया- न पूरी तरह से मनुष्य और न पूरी तरह से सिंह, गोधूलि बेला में (न दिन और न रात), दरवाजे की दहलीज पर (न घर के अंदर और न बाहर), और हिरण्यकशिपु को अपने नाखूनों से मार डाला (न कोई पारंपरिक हथियार और न कोई जीवित प्राणी)। इस घटना ने किसी भी परिस्थिति में किसी भी बाधा को दूर करने और अपने भक्तों की रक्षा करने की भगवान की शक्ति का प्रदर्शन किया।
 
रविवार, 11 मई 2025 के दिन, नृसिंह प्रकटोत्सव/ जयंती के शुभ अवसर पर क्या करें:
 
1. उपवास रखें: कई भक्त इस दिन कठोर उपवास रखते हैं, कुछ तो निर्जला व्रत (बिना पानी के) भी रखते हैं, जबकि अन्य केवल फल और दूध का सेवन करते हैं। व्रत आमतौर पर शाम में सायंकाल की पूजा के बाद तोड़ा जाता है।
 
2. पूजा करें: भगवान नृसिंह की मुख्य पूजा पारंपरिक रूप से शाम/सायंकाल के समय उनके प्रकट होने के समय की जाती है।
 
3. पीले वस्त्र धारण करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पीले रंग के या साफ कपड़े पहनें। काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से आमतौर पर बचा जाता है।
 
4. नृसिंह भगवान की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। लाल या पीले रंग के कपड़े से ढंकी हुई ऊंची चौकी पर भगवान नृसिंह की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। आप देवी लक्ष्मी की तस्वीर भी शामिल कर सकते हैं।
 
5. मूर्ति स्नान: मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं।
 
6. पूजन की विशेष सामग्री: चंदन का लेप, कुमकुम, हल्दी लगाएं और विशेष रूप से पीले या लाल पुष्‍प, धूप और घी का दीपक अर्पित करें।
 
7. नैवेद्य/भोग: विशेष भोजन (नैवेद्य) जैसे फल, मिठाई तथा गुड़ और भुने हुए चने अर्पित करें और तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
 
8. मंत्र पाठ: नृसिंह कवचम् और 'ॐ नमो भगवते नरसिंहाय।' आदि नृसिंह मंत्रों और स्तोत्रों का जाप करें।
 
9. आरती: भगवान नृसिंह की आरती करें।
 
10. क्षमा याचना और ब्रह्मचर्य का पालन करें: पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
11. पवित्र ग्रंथों का पाठ करें: भागवत पुराण या अन्य संबंधित शास्त्रों से भगवान नृसिंह के प्रकट होने की कथा पढ़ें या सुनें।
 
12. मंदिरों में जाएं: यदि संभव हो, तो विशेष प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए भगवान नृसिंह के मंदिर जाएं।
 
13. दान करें: गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें। गर्मी के महीने वैशाख में भगवान नृसिंह के प्रकट होने के कारण पानी, जूस या पंखे जैसी ठंडी वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है।
 
14. रात्रि जागरण: कुछ भक्त पूरी रात जागकर भक्ति गीत गाते हैं और प्रार्थना करते हैं।
 
15. नकारात्मक कार्यों से बचें: इस दिन कठोर वाणी बोलने या बड़ों या कमजोरों का अनादर करने से बचने की सलाह दी जाती है।
 
भक्तिपूर्वक नृसिंह जयंती मनाकर और इन गतिविधियों को करके, भक्त सुरक्षा, साहस, शक्ति और अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान नृसिंह का आशीर्वाद चाहते हैं। यह दिव्य और धार्मिकता की विजय में विश्वास की पुष्टि करने का दिन है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: श्री नृसिंह जयंती: भय मिटे, विश्वास बढ़े, पढ़ें पूजन के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
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