Narasimha Jayanti 2025: वर्ष 2025 में नृसिंह जयंती रविवार, 11 मई को मनाई जाएगी। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के चौथे अवतार, भगवान नृसिंह के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। नृसिंह जयंती का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए और अत्याचारी राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए आधा-मनुष्य और आधा-सिंह का अद्भुत रूप धारण किया था।
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नृसिंह जयंती पर पूजन के शुभ मुहूर्त: Narasimha Jayanti 2025 Date and Puja Time
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 10 मई 2025 को शाम 05 बजकर 29 मिनट से।
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 11 मई 2025 को रात 08 बजकर 01 मिनट तक।
नृसिंह जयंती मध्याह्न काल संकल्प समय: 11 मई 2025 को सुबह 10 बजकर 57 से दोपहर 01 बजकर 39 बजे तक।
भगवान नृसिंह का प्राकट्य संध्याकाल में हुआ था, इसलिए इस समय पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
नृसिंह जयंती सायंकाल पूजा का शुभ समय: रविवार, 11 मई 2025 को शाम 04 बजकर 21 से शाम 07 बजकर 03 मिनट तक।
कुल अवधि - 02 घंटे 42 मिनट्स
नृसिंह जययंती पर अगले दिन का पारण समय- सुबह 05 बजकर 32 मिनट, मई 12 के बाद
Narasimha Jayanti Importance महत्व: नृसिंह जयंती के दिन की पूजा का महत्व इस प्रकार है:
बुराई पर अच्छाई की विजय: यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। भगवान नृसिंह ने अद्भुत रूप धारण कर हिरण्यकशिपु का अंत किया, जिससे धर्म की स्थापना हुई।
भक्त की रक्षा: भगवान नृसिंह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं।
साहस और शक्ति: उनकी पूजा से भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
बाधाओं का निवारण: भगवान नृसिंह की आराधना जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों को दूर करने में सहायक होती है।
ग्रह दोषों से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि नृसिंह जयंती का व्रत और पूजा करने से ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
प्रातःकाल: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत संकल्प: भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान नृसिंह की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
अभिषेक: भगवान नृसिंह की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं।
श्रृंगार: भगवान को चंदन, कुमकुम, हल्दी, अबीर, गुलाल और पीले या लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। उन्हें पीले फूलों की माला पहनाएं।
नैवेद्य: भगवान नृसिंह को फल, मिठाई नारियल और तुलसी दल अर्पित करें। उनके भोग में विशेषकर गुड़ और भुने हुए चने शामिल करें।
धूप और दीप: घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
मंत्र जाप: भगवान नृसिंह के मंत्रों का जाप करें।
- 'ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥'
- 'ॐ नमो भगवते नरसिंहाय।'
- 'ॐ श्री लक्ष्मीनृसिंहाय नम:।'
- 'ॐ नृसिंहाय नम:'
कथा श्रवण: नृसिंह जयंती की व्रत कथा सुनें।
आरती: भगवान नृसिंह की आरती करें।
दान: अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
मान्यतानुसार इस दिन ठंडी वस्तुओं जैसे शरबत या पंखे का दान करना शुभ माना जाता है, क्योंकि भगवान नृसिंह का प्राकट्य ग्रीष्म ऋतु में हुआ था।
रात्रि जागरण: कई भक्त इस दिन रात्रि जागरण करते हैं और भगवान नृसिंह के भजन-कीर्तन गाते हैं।
पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद चतुर्दशी तिथि समाप्त होने पर व्रत का पारण करें।
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