अनिरुद्ध जोशी|
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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020 (14:26 IST)
दरअसल, लोग नदियों की तरह होते हैं। सभी नदियों में पानी एक जैसा होता है, लेकिन हर नदी कहीं चौड़ी होती है तो कहीं संकरी, कहीं तेज बहती है, कहीं धीरे। उसका पानी कहीं मटमैला, कहीं निर्मल, कहीं शीतल तो कहीं उष्ण होता है। मनुष्य के बारे में ऐसा ही है। प्रत्येक आदमी में हर तरह के मानवीय गुणों के बीज होते हैं। कभी एक गुण प्रकट होता है और कभी दूसरा गुण और बहुत बार वह आदमी स्वयं से बिलकुल भिन्न हो जाता है। हालांकि वह वही आदमी बना रहता है।
कुछ लोगों में ये बदलाव अतिशय होते हैं और कुछ में बदलाव होने की वजह जितनी शारीरिक होती है उतनी आध्यात्मिक भी थी।