आश्वस्त है कि आप इस शरीर के सारे रास्ते जान सकते हैं। सारी गलियाँ, धमनियाँ, सारे चौराहे, घाटियाँ, खाइयाँ और गूमड़। उन स्पंदनों, संवेगों और तरंगों के साथ सहज रह सकते हैं जो आपकी देह में से उठती हैं। चूँकि शरीर की तरह, शहर-गाँव भी एक ही बार आपको प्राप्त होता है इसलिए छूट गए शहर से आपकी मुक्ति संभव नहीं। वह आपका था, आपका है। आप उससे दूर हैं लेकिन वह आपका है। वह नष्ट हो रहा है तब भी और उठान पर है तब भी। दोनों स्थितियों में वह आपको व्यग्र बनाता है।