उन्हें मार दिया गया लेकिन देखो यह कवि की ही ताकत है कि वह सब कुछ झाड़ता-पोंछता फिर फिर अपनी कविताओं में जिंदा होकर हमारे सामने जीवन का उत्स बताता है और जीवन का उत्सव भी मनाता है। कवि यही करता है, जब हम रक्तरंजित समय में घायल होकर कराहते हैं, वह चुपचाप हमारे सिरहाने एक फूल रख जाता है। अपने गीतों का, अपनी कविताओं का, किसी बिम्ब या मिथक का, किसी रंग या स्वप्न का...!
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