monsoon food safety tips: मानसून आते ही सड़कों पर मडराती हुई बूंदों की बरसात का नजारा लुभावना होता है। लेकिन इसी दौरान रिपोर्टेड तौर पर खाना-पीना के कारण होने वाले इंफेक्शन, फूड प्वाइजनिंग या पेट की नेगेटिव समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। विशेषकर स्ट्रीट फूड, जिसे हम अपने दिल से पसंद करते हैं, बारिश की नमी, गंदगी और बैक्टीरिया के संपर्क में आने की वजह से असुरक्षित हो जाता है। तो इस मौसम में अपने स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करें? आइए जानते हैं बारिश में खाने से बचना चाहिए ऐसे 7 स्ट्रीट फूड्स और उनके पीछे के कारण।
1. आलू चाट / आलू टिक्की
बारिश के मौसम में आलू जल्दी सड़ने लगते हैं। गली-गली बिकने वाली प्लेटों में रखे पके आलू में बैक्टीरिया आसानी से पैदा होते हैं। ठंडक और नमी के कारण वे जल्दी खराब हो जाते हैं जिससे पेट में दर्द, डायरिया और कलाइंटीन जैसे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
2. पकोड़े और समोसे
भीगी हुई बेसन की परत में लगी खाना सड़ांध से ग्रसित हो सकता है। इसके अलावा, गली का पानी इन तकरीबन फंसे बच्चों (पकौड़ा, समोसा, Samosa, pakora) पर टपकता है, जो बैक्टीरिया पैदा करते हैं। नम पकोड़े खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।
3. फ्रेश जूस (गली-जायदा और खुले में निकाले गए)
बारिश में फलों का पानी खौलता है और बैक्टीरिया लगना आसान हो जाता है। स्ट्रीट पर खुले जूस में साफ पानी न मिलने या आयरन खौलने से संक्रमित पानी मिलना आम बात है। इससे पेट में दर्द, उल्टी और दस्त की समस्या हो सकती है।
4. दूध वाले ड्रिंक्स (लस्सी, फ्रेश मिल्कशेक)
बारिश के दौरान स्ट्रीट पर रखे गए दूध की ताजगी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। खुला दूध और फ्रेश मिल्कशेक घुलने वाली नमी से बैक्टीरिया बढ़ा सकता है। इससे लैक्टोज इंटोलरेंस और फूड प्वॉइजनिंग हो सकता है।
5. इडली और डोसा (स्ट्रीट स्टॉल)
स्ट्रीट पर बनने वाला इडली-डोसा अगर सुबह के बाद भी रखा हो, तो बारिश की हवा एवं नमी उसकी क्वालिटी पर असर डालती है। भरा हुआ स्टॉल, गंदगी और समय से प्रचार न होने का असर में ढबापना का मतलब फूड इंफेक्शन है।
6. नॉन-वेज कबाब
मांसाहारी खाने की स्ट्रीट फूड्स बारिश के दौरान वजनदार हो जाती हैं। उनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाला पानी, मसाले, और रख-रखाव महत्त्वपूर्ण होता है। गंदगी और बैक्टीरिया फैलने से बचना मुश्किल होता है। पके ही लोढ़ने, परोसने और खाने में देर तक रखा हुआ चिकन संक्रमण फैलाता है।
7. फॉर्च्यून कुकीज / खस्ता मिठाईयां (खुले पैक में)
खुले पैकिंग वाली मिठाईयां जैसे खस्ता घेवर, कुल्फी, रसगुल्ला बारिश में ज्यादा समय रखने से मेंढक जैसी मात्रा में नमी प्राप्त करती हैं। इसके साथ ही ग्लास का ढक्कन खुला हो, तो बैक्टीरिया और फफूंदी आसानी से जुड़ जाती है।
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