मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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Expert Advice - ओमिक्रॉन और डेल्टा से भी अधिक खतरनाक है डेल्‍टाक्रॉन!

Expert Advice - ओमिक्रॉन और डेल्टा से भी अधिक खतरनाक है डेल्‍टाक्रॉन! - how much deltacron variant is dangerous than other
दुनिया में डेल्टा और ओमिक्रॉन से समग्र बनें डेल्‍टाक्रॉन वायरस ने चिंता बढ़ा दी है। डेल्‍टाक्रॉन अन्‍य वैरिएंट से अधिक खतरनाक बताया जा रहा है। कई देशों में वैक्सीनेशन के बाद भी कोविड के मामले लगातार आ रहे हैं। एक रिसर्च लैब में यह वैरिएंट पाया गया था, जिसे पहले नकारा जा रहा था लेकिन बाद में इसे डेल्‍टाक्रॉन वैरिएंट ही बताया गया। इससे बचाव के लिए कोविड वैक्सीनेशन और कोविड के नियमों का पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं कोविड स्‍पेशलिस्‍ट डॉ. रवि दोसी, इंदौर से डेल्‍टाक्रॉन के बारे में -

डॉ. रवि दोसी ने बताया कि कोविड-19 का जो वायरस है सार्स कोविड-2 अपने नेचर को बदलता है और बार-बार म्‍यूटेड करता है। ये म्यूटेट करके कभी-कभी जो कॉमन स्‍ट्रेन होते हैं उनके नए स्‍ट्रेन भी देखने को मिलते हैं। जैसे कि कप्‍पा, म्यू, डेल्टा, ओमिक्रॉन को देख चुके हैं। वहीं पर डेल्‍टाक्रॉन स्‍ट्रेन है उसमें भी एक आशंका जताई जा रही है कि इसकी इनफेक्टिविटी और संक्रमण शक्ति और इससे होने वाली हानि अधिक है।    

साधारण ओमिक्रॉन जो माइल्‍ड इन्‍फेक्‍शन के लिए जाना जाता है उसकी तुलना में सिवियर इंफेक्‍शन की संभावना है। जिसके अंदर फेफड़े में खतरनाक तरह का निमोनिया हो सकता है। इसके लक्षण सामान्यतः निमोनिया, सर्दी, खांसी, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी होना, सीने में तकलीफ होना, सीने में दर्द सामान्यतः देखे जाते हैं।  

इस बीमारी से उन लोगों को खतरा है जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। जैसे डायलिसिस के मरीज, किडनी मरीज, लीवर के मरीज या अल्कोहल पीने वाले, स्मोकिंग करने वाले, जिनके ट्रांसप्‍लांट हुए हो, एचआईवी के मरीज, कैंसर के मरीज इन मरीजों में जटिल निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है।  

अगर आप पहले भी कोविड के वायरस से इंफेक्‍ट हो चुके हैं तो रीइंफेक्‍शन होने की संभावना काफी प्रबल होती है। और डेल्‍टाक्रॉन जैसा स्ट्रांग वैरिएंट बॉडी में जाता है तो और भी प्रबल संभावना होती है।  



इस बीमारी से बचाव के लिए सर्वप्रथम वैक्सीनेशन ही एक सहारा है। इसके बाद बूस्‍टर डोज, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनें और लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाकर जीनोम सीक्वेंसिंग के द्वारा उस वैरिएंट का पता लगा सकते हैं। रूटीन कोविड आरटी पीसीआर के बाद जटिलता दिखती है तो हमें इसकी जांच अवश्य कराना चाहिए। 
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