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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021 (18:50 IST)

Inside story: लखीमपुर हिंसा का उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनावी कैंपेन पर क्या पड़ेगा असर?

किसान आंदोलन के चलते प्रभावित हो सकता है भाजपा का चुनावी कैंपेन !

Inside story: लखीमपुर हिंसा का उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनावी कैंपेन पर क्या पड़ेगा असर? - Inside Story: What will be the impact of the Lakhimpur-Kheeri incident on the BJP's election campaign in Uttar Pradesh?
उत्तरप्रदेश के लखीमपुर-खीरी की घटना ने 10 महीने से चल रहे किसान आंदोलन की आग को और भड़कने का काम किया है। पंजाब-हरियाणा से शुरु हुआ किसान आंदोलन का अबतक पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही ज्यादा असर दिखाई दे रहा था लेकिन अब लखीमपुर-खीरी की घटना ने आंदोलन को पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचा दिया है। भौगोलिक रूप से लखीमपुर-खीरी वह जिला है जो उत्तर प्रदेश के तराई इलाकों को पश्चिम उत्तरप्रदेश से एक तरह से जोड़ने का काम करता है। ऐसे में अब लखीमपुर खीरी की हिंसा का असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी दिखाई दे सकता है। 
संयुक्त मोर्चा की कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य एवं राष्ट्रीय किसान मज़दूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार ‘कक्का जी’ ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि गांधीवादी तरीके से चल रहे आंदोलन में अब तक कोई भी हिंसा नहीं हुई है जो भी हिंसा हुई वह सरकार के द्धारा की गई है चाहे वह हरियाणा की हो या उत्तर प्रदेश की। उन्होंने दावा किया कि अब तक 10 महीने के किसान आंदोलन में 706 किसान अपनी शहादत दे चुके है। वह कहते हैं कि लखीमपुर-खीरी घटना के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा की इमरजेंसी बैठक में आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। 

 
उत्तर प्रदेश की राजनीति और किसान आंदोलन को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि लखीमपुर की घटना का आगे  बहुत व्यापक असर हो सकता है, आने वाले समय ऐसे टकराव और देखने को मिल सकते है। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के सड़क पर आंदोलन के 10 महीने से अधिक लंबा समय बीत गया है और अब किसानों का धैर्य भी एक तरह से जवाब देने लगा है।

वहीं किसानों को उत्तेजित करने का काम कहीं न कहीं भाजपा नेताओं के बयान भी दे रहे है। लखीमपुर घटना से पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जिस तरह के बयान के दिए है वह दिखाता है कि अब दोनों ओर का धीरज जवाब देने लगा है। 
 
लखीमपुर कांड को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। हिंसा की आग अब राजधानी लखनऊ तक पहुंचती दिख रही है। आज जिस तरह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस की जीप को आग लगाई गई वह स्थिति की भायवहता को दिखाता है। वहीं लखीमपुर में पीड़ित किसानों से मिलने जा रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव को सरकार ने कानून-व्यवस्था के नाम पर रोका दिया है। अपने नेताओं को पुलिस की ओर से रोके जाने को लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता अब सड़क पर है। समाजवादी पार्टी ने पूरे प्रदेश में आंदोलन का एलान कर दिया है। 
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अब जब राज्य विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी मोड में आ गया है तब लखीमपुर की घटना ने विपक्ष को सरकार को घेरने का एक बड़ा मौका दे दिया है। किसान आंदोलन को लेकर पहले से ही भाजपा बैकफुट पर थी और वह आंदोलन की धार को कम करने और किसानों को रिझाने के लिए किसान सम्मेलन कर रही थी, ऐसे में अब लखीमपुर की घटना ने निश्चित तौर पर सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी है।
 
लखीमपुर कांड का असर उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनावी कैंपेन पर भी असर पड़ सकता है और भाजपा को एक बड़े विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है। लखीमपुर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर से सटे बहराइज जिले के मटेरा में आज होने वाले कार्यक्रम को निरस्त कर दिया है।

रामदत्त त्रिपाठी आगे कहते हैं कि आज लखीमपुर जाने की कोशिश मे विपक्ष के नेताओं को जिस तरह हिरासत में लेने के साथ नजरबंद किया गया है और पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को लखनऊ में उतरने पर रोक लगा दी गई वह एक तरह से इमरजेंसी के दौर की याद भी दिलाता है।