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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 (13:48 IST)

वंदे मातरम् के 150 वर्ष, पीएम मोदी ने जारी किया सिक्का, जानिए क्या कहा?

PM Modi on 150 years of vande matram
150 years of Vande Matram : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वंदे मातरम का मतलब संकल्पों की सिद्धि है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया।
 
पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। वंदे मातरम, ये शब्द मां भारती की साधना है, मां भारती की आराधना है।
 
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम, ये शब्द हमें इतिहास में ले जाता है, ये हमारे वर्तमान को नए आत्मविश्वास से भर देता है, और हमारे भविष्य को ये नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जिसे हम भारतवासी पा न सकें।
 
उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था कि बंकिमचंद्र की 'आनंदमठ’ सिर्फ एक उपन्यास नहीं है, यह स्वाधीन भारत का एक स्वप्न है। आनंदमठ में ‘वंदे मातरम’ का प्रसंग, उसकी हर पंक्ति, बंकिम बाबू के हर शब्द और हर भाव, सभी के अपने गहरे निहितार्थ थे, और आज भी हैं।
 
पीएम मोदी ने कहा कि इस गीत की रचना गुलामी के कालखंड में हुई, लेकिन इसके शब्द कभी भी गुलामी के साए में कैद नहीं रहे। वे गुलामी की स्मृतियों से सदा आजाद रहे। इसी कारण ‘वंदे मातरम’ हर दौर में, हर काल में प्रासंगिक है। इसने अमरता को प्राप्त किया है। गुलामी के उस कालखंड में 'वंदे मातरम्' इस संकल्प का उद्घोष बन गया था कि भारत की आजादी का, मां भारती के हाथों से गुलामी की बेड़ियां टूटेंगी! उसकी संतानें स्वयं अपने भाग्य की विधाता बनेंगी!

प्रधानमंत्री मोदी ने 1937 में, ‘वंदे मातरम’ के महत्वपूर्ण पदों, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था। ‘वंदे मातरम’ को तोड़ दिया गया था। 'वंदे मातरम' के इस विभाजन ने, देश के विभाजन के भी बीज बो दिए थे। राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ, यह आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है। क्योंकि वही विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

क्या बोले अमित शाह  : केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, आज हम ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष का उत्सव मना रहे हैं। हम सब जानते हैं कि आजादी के आंदोलन के नेताओं ने जो स्वप्न महान भारत के लिए देखे थे, विगत 11 वर्षों में उन सपनों की पूर्ति के लिए देश के सामूहिक प्रयास से ढेर सारे काम हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि आज का दिन भारतीय चेतना की जागृति का दिन है। आज ही के दिन 150 साल पहले बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने वंदे मातरम को सार्वजनिक किया था। बंकिम बाबू ने इस गीत की रचना कर के राष्ट्र चेतना का एक महामंत्र देश को देने का काम किया था। जो आगे चलकर देश की आजादी का एक उद्घोष भी बना और सूत्र भी बना।
 
शाह ने कहा कि आज से पूरे देश में सामूहिक ‘वंदे मातरम’ के गायन के साथ, एक वर्ष तक भारत की चेतना के पुनर्जागरण का चरणबद्ध अभियान चलाया जाएगा। पूरे राष्ट्र में एक साथ-एक स्वर में वंदे मातरम का मंत्र और मंत्र के अंदर जो भावार्थ निहितार्थ है, उसके अनुरूप हमारा राष्ट्र जीवन हो, इसके लिए एक अभियान चलाया जाएगा। 
 
उन्होंने कहा कि Vande Mataram 150 नाम का एक सोशल मीडिया अभियान भी हर भाषा में चलाया जाएगा। जहां अपनी-अपनी भाषा में 'वंदे मातरम' लिखकर राष्ट्रीय एकता को सुदृढ करने का प्रयास किया जाएगा।
edited by : Nrapendra Gupta