• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. पर्यावरण विशेष
  4. Today world environment day
Last Updated : बुधवार, 5 जून 2024 (12:12 IST)

विश्व पर्यावरण दिवस कहीं विष पर्यावरण दिवस न बन जाए

विश्व पर्यावरण दिवस कहीं विष पर्यावरण दिवस न बन जाए - Today world environment day
vishv paryaavaran divas : चिलचिलाती धूप है, नौपता कुछ घंटों पहले ही पूरी हुई है, मालवा-निमाड़ सहित देश के हज़ारों क्षेत्र भयंकर गर्मी से गुज़र रहे हैं, ज़मीन आग उगल रही है, पेड़-पौधे, जीव-जंतु तो ठीक हैं आदमी तक गर्मी से झुलस कर तड़प रहा है, 'क्लाइमेट चेंज' अब शब्दों में नहीं बल्कि हक़ीक़त में नग्न आंखों से देखा जा रहा है, महसूस किया जा रहा है। 
 
जीवन सहज और सामान्य नहीं है, ऐसे असामान्य मौसम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस आ गया और हमने अभी पौधे लगाना आरम्भ किया या सीड बॉल रोपण शुरू कर दिया तो अच्छे मन से किया भी तो वह दुर्गति का कारण बन जाएगा।
 
यह सत्य है कि प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना बहुत ज़रूरी है।
पेड़ पर्यावरण के लिए बहुत ज़रूरी इसलिए भी हैं क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड को खींचने और ऑक्सीज़न छोड़ने के अलावा, पेड़ तूफ़ानी पानी के बहाव की मात्रा को भी कम कर सकते हैं। 
 
इससे हमारे जलमार्गों में कटाव और प्रदूषण कम होता है और बाढ़ के प्रभाव भी कम हो सकते हैं। पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति सभी प्राणियों पर अनंत उपकार करती है। पेड़-पौधे हमें छाया प्रदान करते हैं। फल-फूलों की प्राप्ति भी हमें पेड़-पौधों से ही होती है। पेड़-पौधों से हमें ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जो हमें जीवित रखने के लिए बहुत आवश्यक है।
 
इसके अलावा, कई वन्यजीव प्रजातियां अपने आवास, सुरक्षा और भोजन के लिए पेड़ों पर निर्भर हैं। पेड़ों से मिलने वाली छाया और भोजन से मनुष्य को लाभ होता है।
कई पेड़-पौधों की छाल औषधि बनाने के काम आती है तो पेड़-पौधों की सूखी पत्तियों से खाद भी बनती है। पेड़-पौधे हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं, इसलिए हमें पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए। 
 
आज हम अपने लालच के लिए पेड़-पौधे काटकर अपने पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे पक्षियों के घर उजड़ रहे हैं तथा वातावरण भी दूषित हो रहा है। वृक्ष काटने से ही बाढ़, भूमि-स्खलन आदि होते हैं। इसीलिए वृक्षारोपण करना आवश्यक है, इसके कहीं सारे लाभ हमारे जीवन में होते हैं परन्तु वर्तमान में वृक्षारोपण के लिए मौसमी परिस्थितियों की अनुकूलता भी बहुत आवश्यक है।
 
वैसे शीर्षक पढ़कर आप भी चौंक गए होंगे! स्वाभाविक भी है, 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है, सैंकड़ो संस्थाएँ, हज़ारों नौजवान, युवा, बुज़ुर्ग, राजनेता इस तैयारी में बैठे हैं कि हमें विश्व पर्यावरण दिवस मनाना है, वृक्षारोपण करना है, उस वृक्षारोपण के फ़ोटो सोशल मीडिया अथवा अख़बार इत्यादि में भेजना है पर ज़रा रुकिए, तनिक सोचिए।
 
विश्व का वातावरण और मौसम इस बात की अनुमति तो देता है कि वृक्षारोपण कर दो पर इन्दौर या मालवा-निमाड़ या देश के कई क्षेत्रों का मौसम इस बात की इजाज़त नहीं देता। 
 
वृक्षारोपण का उचित समय तब होता है जब एक या दो बार बारिश हो चुकी हो, मिट्टी थोड़ी भीग चुकी हो, मिट्टी की तपन ज़मीन से निकल चुकी हो, और इस समय मालवा-निमाड़ तो नौतपा से गुज़र रहा है, बेहद गर्मी का मौसम है और ऐसे मौसम में रोपे गए बीज या पौधे सूर्य की तीक्ष्ण किरणों और गर्मी से दम तोड़ देंगे। हम हज़ारों-लाखों पेड़-पौधों के हत्यारे बन जाएंगे क्योंकि हमारे क्षेत्र के मौसम और विश्व के मौसम में अंतर है। अभी मौसम अनुकूल नहीं है वृक्षारोपण का, उसे अनुकूल होने दीजिए। 
 
मौसम की तपिश से सताए हुए प्रत्येक व्यक्ति के मन के भाव धरती को अपने हरे गहने वापस लौटाने का है किंतु अभी एक-दो बार बरसात हो जाने दीजिए। अन्यथा अनजाने में ही सही पर हम पौधों की हत्या के कारक तो नहीं बन रहे यह विचार कीजिए।
 
जब मौसम अनुकूल हो जाए,  फिर करें ख़ूब वृक्षारोपण, ख़ूब सीड बॉल रोपियेगा, आनंद आएगा और उन पौधों को उम्र भी मिलेगी। वर्ना यह 'विश्व पर्यावरण दिवस' अनजाने में ही सही पर 'विष पर्यावरण दिवस’ बन जाएगा।

(यहां पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ये भी पढ़ें
क्या आपका बच्चा भी लम्बे समय तक टीवी-मोबाइल देखता है तो जान लें ओवर स्क्रीनटाइम के नुकसान