क्या पाकिस्तान का सिंध प्रांत भी एक नया देश बनेगा?
Pakistan army sindh conflict: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बुधवार को पाकिस्तानी पंजाब में सिंधु नदी पर सैन्य अफसरों के लिए नई नहरों के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से 2 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजार के घर में भी तोड़फोड़ की गई। इस दौरान नारे लगाए गए कि कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश।
सिंध प्रांत का आंदोलन:
1970 के दशक में जी.एम. सैय्यद द्वारा सिंधु आंदोलन शुरू किया गया था, जो सिंध की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक अलग पहचान की बात करते थे। वे मानते थे कि पाकिस्तान बनने के बाद सिंध की स्वायत्तता समाप्त हो गई है। सिंध प्रांत में कभी 30 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू और मुहाजिर रहते थे। हालांकि पाकिस्तान ने एक अभियान चलाकर सिंधी हिंदुओं को यहां से पलायन करने पर मजबूर कर दिया तो दूसरी ओर मुहाजिरों का आंदोलन दबा दिया। जो सिंधी हिंदू पलायन नहीं करना चाहते थे वे मुस्लिम बन गए क्योंकि उनके पास दो ही ऑप्शन थे या तो इस्लाम कबूलो या हिंदुस्तान जाओ।
हालांकि वर्तमान में पाकिस्तानी सेना के बर्बर रवैये के विरोध में कई संगठनों ने सिंधुदेश की स्थापना की मांग शुरू कर दी है। सिंधुदेश लिबरेशन आर्मी (एसएलए), जय सिंध कौमी महाज (जेएसक्यूएम), जय सिंध मुत्ताहिदा महाज़ (जेएसएमएम), जय सिंध छात्र संघ (जेएसएसएफ) जैसे संगठन अलग सिंधुदेश की मांग कर रहे हैं। सिंधुदेश कि मांग का मतलब सिंधियों के लिए अलग मातृभूमि का निर्माण करना है। हालांकि यह दमन चक्र 1950 से ही प्रारंभ हो गया था लेकिन जिस वक्त पूर्वी पाकिस्तान, यानी बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना बांग्लादेशियों का नरसंहार कर रही थी, उस वक्त सिंध देश में भी पाकिस्तानी फौज क्रूर अभियान चला रही थी।
जय सिंध फ्रीडम मुवमेंट जेल में बंद सिंधी राष्ट्रवादियों की रिहाई की मांग करता है। इसके लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। जबरन गायब किए गए लोग, मानवाधिकार हनन और अवैध हिरासत के खिलाफ लोग सड़कों पर है। इस संगठन के अध्यक्ष सोहेल अब्रो, जुबैर और अमर आजादी इस आंदोलन को चला रहे हैं। इन्होंने संयुक्त राष्ट्र से भी अपील की है कि सिंधियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पाकिस्तान सरकार सिंधी भाषा और संस्कृति को मिटा रही है।