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  4. What is Maoism and who supports it in India
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 22 मई 2025 (16:59 IST)

माओवाद क्या है और भारत में कौन करता है इसका समर्थन?

Sukma naxal attack
Maoism: आजकल माओवादियों के खिलाफ भारत सरकार का सैन्य ऑपरेशन चल रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों ने 27 माओवादियों को मार गिराया है। भारत में माओवादी आतंकवाद कई राज्यों में फैला हुआ है। पश्‍चिम बंगाल, ओडीशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश में इनका बहुत बड़ा नेटवर्क है। साल 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी इलाके में जमींदारों के खिलाफ शुरू हुआ सामाजिक आर्थिक आंदोलन आज हिंसात्मक रूप ले चुका है। सरकार के मुताबिक देश के करीब 90 जिले माओवादी नक्सलवाद से जूझ रहे हैं।
 
क्या है माओवाद: माओ, चीनी क्रान्तिकारी, राजनैतिक विचारक और साम्यवादी (कम्युनिस्ट) दल के सबसे बड़े नेता थे जिनके नेतृत्व में चीन की क्रान्ति सफल हुई। उन्होंने जनवादी गणतन्त्र चीन की स्थापना (सन् 1949) से मृत्यु पर्यन्त (सन् 1973) तक चीन का नेतृत्व किया। मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा को सैनिक रणनीति में जोड़कर उन्होंने जिस सिद्धान्त को जन्म दिया उसे माओवाद नाम से जाना जाता है|ALSO READ: छत्तीसगढ़ में 27 माओवादी ढेर, PM मोदी- हमें अपने सुरक्षाबलों पर गर्व
 
माओवादियों का उद्येश्य: माओवादियों ने आदिवासी, दलित, पिछड़े, जंगली इलाके में जन-असंतोष का फायदा उठाकर अपना इतना शक्तिशाली आधार बना लिया था। इनका उद्येश्य था पश्‍चिम बंगाल, ओड़िसा, आंध्र, बिहार से लेकर के नेपाल तक एक लाल गलियारा मनाना जो माओवादी विचारधारा पर आधारित राष्ट्र हो। प्रारंभ में भारत में जहां वामपंथी आंदोलन पूर्व सोवियत संघ से प्रभावित था और इसे मॉस्को से निर्देशित किया जाता था लेकिन भारतीय वामपंथियों में एक ऐसा धड़ा बना जोकि समाज परिवर्तन के लिए खून खराबे और हिंसा को पूरी तरह से जायज मानता था। यही आज का माओवाद है जोकि पेइचिंग से निर्देशित होता है। यह हिंसा और ताकत के बल पर समानान्तर सरकार बनाने का पक्षधर है और अपने उद्देश्यों के लिए किसी भी प्रकार की हिंसा को उचित मानते हैं। 
नक्सलवाद माओवादियों के समर्थक: इंटरनेट पर आसानी से नक्सलवादी साहित्य उपलब्ध है जो क्रांति और युद्ध की रणनीति, जातिगत विभाजन, गरीबों और दलितों को भड़काने, राष्ट्र विरोधी बनने और लोगों एवं मीडिया की सहानुभूति हासिल करके समर्थन के तौर तरीकों के बारे में बताती है और यह क्यों जरूरी है इसका भी खुलासा किया जाता है। ये बताने वाले भारत सहित कई देश में फैले हैं। ये वे लोग हैं जो कामरेड माओ, लेनिन और कार्ल मार्क्स के समर्थक है जो भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष छेड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके लिए वह प्रयास करते हैं कि पिछड़े इलाकों में आधुनिक विकास और शिक्षा का अभाव बना रहे। भारत में माओवादी या नक्सलवादी आंदोलन को चीन और पाकिस्तान का पूरा समर्थन मिलता है।ALSO READ: तेलंगाना में 22 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण
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