रविवार, 1 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. विचार-मंथन
  3. विचार-मंथन
  4. A self emerging global family away from narrow political movements in India
Written By Author अनिल त्रिवेदी (एडवोकेट)
Last Updated : बुधवार, 15 जून 2022 (09:26 IST)

भारत में संकीर्ण राजनीतिक हलचलों से दूर अपने आप उभरते वैश्विक परिवार

भारत में संकीर्ण राजनीतिक हलचलों से दूर अपने आप उभरते वैश्विक परिवार - A self emerging global family away from narrow political movements in India
भारत सनातन सभ्यता को समझने वाला देश है। भारतीय समाज में इन दिनों ऐसी हलचलों का हल्ला-गुल्ला जरूरत से ज्यादा चल रहा है जिससे आभास होता है कि भारत में तेजी से व्यापक सोच का दायरा दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है। भारत की कई राजनीतिक जमातें संकीर्ण सोच के उभार को ही अपना एकमेव राजनीतिक कार्यक्रम मान रही हैं। संकीर्ण मानसिकता की आंधी से उलट एक बुनियादी परिवर्तन भारत में अपने आप हो रहा है जिसकी हम पहले कल्पना भी नहीं कर सकते थे। पहले जब संकीर्ण मानसिकता की आभासी आंधी नहीं थी, उस काल का भारतीय समाज विदेश यात्रा खासकर समुद्र पार की यात्रा को लेकर अजीब आशंकित मन रखता था।
 
भारत की अगड़ी और शिक्षित जातियों में युवाओं के विदेश जाने पर सहज सहमति नहीं थी। कई जातियां तो समुद्र पार यात्रा में धर्मभ्रष्ट होने की आशंका से ग्रस्त रहती थीं। समुद्र पार विदेश यात्रा करने वाले भारतीय से कई तरह के आचरणगत प्रतिबंधों के पालन की वचनबद्धता का पालन करने की अपेक्षा परिवार और समाज दोनों को होती थी। आज का समाज एक ऐसे भारत में अपने आप बदल रहा है जिसमें आज किसी युवा द्वारा समुद्र पार जाना या विदेश यात्रा करना एक सामान्य घटना है, जो चर्चा का विषय भी नहीं बनता।
 
भारतीय परिवार और समाज युवाओं को विदेश यात्रा से रोकने या किसी तरह की आशंका या मर्यादा के पालन का विचार भी मन में नहीं लाता है। आज के भारतीय परिवार अपने युवाओं द्वारा विदेश यात्रा करने पर प्रसन्न ही होते हैं। विदेश यात्रा पर प्रसन्न होना और भारतीय परिवारों में वैश्विक समुदाय का दृष्टिकोण उभरना भारतीय समाज में चुपचाप हो रहा महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव है। आज भारत में सभी वर्गों के युवा पढ़ने, नौकरी, व्यापार या घूमने के लिए बड़ी संख्या में दुनियाभर के देशों में जाते ही रहते हैं।
 
भारत के महानगर से लेकर छोटे गांव-कस्बे तक में हमें ऐसे परिवार सामान्यत: मिल जाते हैं जिनके सदस्य विदेश में न केवल पढ़ने गए बल्कि वहीं नौकरी करने लगे और लंबे समय से वहां रहने लगे हैं। भारतीय युवा लड़के और लड़कियां बराबरी से दुनिया में बड़ी संख्या में जाने लगे हैं। युवा शक्ति के बड़े पैमाने पर दुनियाभर के देशों में जाने और बसने से संयुक्त और एकल परिवारों के युग से आगे बढ़कर भारत के शहर, कस्बों और गांवों में भी वैश्विक परिवार दिखाई देने लगे हैं। भारत के गांव-कस्बों से शहरों और महानगरों में जाने का क्रम तो बड़े पैमाने पर जारी है ही।
 
भारत के हर हिस्से से दुनियाभर में जाने, कमाने और बसने का क्रम भी आम बात हो गई है। भारत की सरकारें भले ही वैश्विक दृष्टिकोण से काम नहीं कर पा रही हों, अपने सामाजिक व राजनीतिक संकुचित सोच से भी उबरना ही नहीं चाह रही हों, पर भारतीय समाज में एक ही परिवार के सदस्यों का अलग-अलग देशों में रहने-बसने से नए वैश्विक भारतीय परिवारों की संख्या में दिन दूनी व रात चौगुनी गति से वृद्धि होते रहने का क्रम बढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में यूक्रेन और रूस के युद्ध की शुरुआत में देश के राजनेताओं और बड़े पूंजी के कर्ताधर्ताओं को यह तथ्य पहली बार पता चला कि भारतीय समाज के गांव, कस्बों और शहरों के 25 हजार से ज्यादा छात्र अपने प्रयासों से चिकित्सा शिक्षा के लिए छोटे से देश यूक्रेन में अध्ययनरत हैं।
 
देश की सरकारें देश की बड़ी आबादी के अनुसार चिकित्सा शिक्षा हेतु महाविद्यालयों की व्यवस्था करने की लोकदृष्टि भले ही विकसित नहीं कर पा रही हो, पर भारत के गांव, कस्बों व शहरों के युवा लड़के-लड़कियों ने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए भारत की सरकारों के भरोसे रहकर अपने सपने साकार करने में इंतजार करने से बेहतर अपने लिए अवसर खोजने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण को अपनाया।
 
भारत की राजनीति कलही और संकीर्ण मानसिकता से ओतप्रोत हो गई है। पर भारत का युवा जो पढ़ रहा है और पढ़कर निरंतर आगे बढ़ रहा है, वह अपनी जरूरतों के लिए छलांग लगाकर दुनिया को अपना घर बनाना सीख गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के युग में वैश्विक और स्थानीय परिवारों की जुगलबंदी भारतीय समाज में चुपचाप बढ़ती ही जा रही है।
 
भारत की राजनीति में निरंतर बढ़ती कलह और संकीर्ण राजनीतिक हलचलों से दूर भारतीय युवा की वैश्विक छलांग सीमाओं से परे भारत में उभरते वैश्विक परिवार को हर दिन समृद्ध और व्यापक जीवनशैली देने के क्रम का विस्तार कर रही है। संकीर्ण राजनीतिक हलचलों से दूर वैश्विक भारतीय परिवारों का उदय भारतीय समाज में हो रहा उल्लेखनीय और मौलिक बदलाव है।(फ़ाइल चित्र)
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)
ये भी पढ़ें
भारत: बेरोजगारी में गिरावट के आंकड़ों पर सवाल