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Last Modified: बुधवार, 11 नवंबर 2020 (23:08 IST)

विश्व निमोनिया दिवस : कोरोनाकाल में निमोनिया का खतरा बढ़ा, विशेषज्ञों से जानें कैसे करें बचाव

विश्व निमोनिया दिवस : कोरोनाकाल में निमोनिया का खतरा बढ़ा, विशेषज्ञों से जानें कैसे करें बचाव - World pneumonia day:  risk of pneumonia increased in Corona epidemic, learn from experts how to protect
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) के साथ-साथ अब ठंड और प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन सब कारणों से निमोनिया से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ गया है।
 
सर्दी के मौसम में वैसे भी बच्चों से लेकर वृद्ध तक किसी को भी निमोनिया हो जाता है लेकिन कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण निमोनिया का खतरा अधिक बढ़ गया है। लोगों को निमोनिया के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। सबसे पहले इस दिन को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र द्वारा 12 नवंबर 2009 को हुई जिसका उद्देश्य विश्वभर में लोगों के बीच निमोनिया के प्रति जागरूकता फैलाना था।
 
निमोनिया आज के समय में एक आम बीमारी बन गई है। हालांकि पूरी दुनिया में आज भी बच्चों के मौत का सबसे प्रमुख कारण यही बीमारी है। स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया नामक बैक्टीरिया इस बीमारी का प्रमुख कारण है। यह बैक्टीरिया फेफड़ों को संक्रमित कर श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर देता है। कोरोनावायरस की तरह निमोनिया के रोगाणु वैसे समय आप पर हमला करते हैं जब आपका प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर होता है। निमोनिया एक जानलेवा बीमारी है इसलिए जब भी आपको इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। सर्दी-जुखाम के लक्षणों से मिलते-जुलते इसके लक्षणों को कई बार पहचान करना मुश्किल हो जाता है। कोविड-19 महामारी के समय में स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
 
क्या हैं निमोनिया के लक्षण : मैक्स हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अंकित भाटिया के अनुसार निमोनिया के लक्षणों में अचानक तेज बुखार के साथ छाती में दर्द, पसीना और अधिक पेशाब आना, सिरदर्द, प्यास अधिक लगना, चेहरा, मुंह तथा नेत्र लाल होना, सूखी खांसी आना, सांस लेने की गति बढ़ जाना, पीठ के बल लेटने में कष्ट बढ़ना, फेफड़ों में सूजन आना, नाड़ी की गति बढ़ना, बलगम के साथ खून आना, भूख कम लगने से कमजोरी आदि प्रमुख लक्षण हैं। ठंड और बदलते मौसम के कारण निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। निमोनिया से बचाव और उपचार हमारे खान-पान से भी जुड़ा हुआ है। अगर इस बीमारी में खानपान को लेकर सतर्क रहा जाए तो इसको काफी हद तक रोका जा सकता है।
 
इस उम्र के लोगों को है ज्यादा खतरा : नई दिल्ली के फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के न्यूरोसर्जरी के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार 65 साल के अधिक के बुजुर्गों, मधुमेह, कैंसर या फेफड़े को प्रभावित करने वाली पुरानी बीमारी, किडनी, लिवर के रोगियों, धूमपान करने वालों तथा 12 महीने से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का ज्यादा खतरा होता है। निमोनिया से होने वाली मौतों में रोगियों की उम्र खतरे का एक बड़ा कारक माना जाता है। उम्रदराज लोगों में निमोनिया से गंभीर खतरा होता है। क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राकृतिक तौर पर कमजोर होती जाती है। हालांकि अब निमोनिया के लिए हमारे पास अच्छे इलाज हैं।
 
दिल-दिमाग को भी नुकसान : डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि निमोनिया के जीवाणु मस्तिष्क और हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ताजे अध्ययनों से पता चला है कि स्ट्रेप्टोकोकस निमानिया बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में घुस सकते हैं और उसके बाद ये मस्तिष्क एवं हृदय में पहुंच जाते हैं जिसके कारण मस्तिष्क एवं हृदय की कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा यह मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) की चारों तरफ की परत में सूजन (मेनिनजाइटिस) पैदा कर सकती है।
 
डॉ. भाटिया कहते हैं कि निमोनिया को लोग आमतौर पर साधारण स्वास्थ्य समस्या मानते हैं, लेकिन यह समस्या इतनी भी साधारण नहीं है। अगर इसका समय रहते सही तरह से इलाज ना किया जाए तो व्यक्ति की जान पर भी बन आती है। निमोनिया होने पर हमारे फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं और इससे श्वसन प्रणाली प्रभावित होते हैं। इस संक्रमण में एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भर जाता है और सूजन आ जाती है, जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्या हो सकती है।
 
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार बताते हैं कि निमोनिया होने पर आरंभिक चरण में एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती है। निमोनिया से बचाव सबसे महत्वपूर्ण है और इसलिए बच्चों तथा 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को निमोनिया का टीका लगाना चाहिए। इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें। पर्याप्त नींद लें, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी तरह के संक्रमण को आपके शरीर को प्रभावित होने से रोकता है।
 
डॉ. गुप्ता का सुझाव है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर हर व्यक्ति को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी है क्योंकि मास्क केवल कोविड-19 की महामारी से ही नहीं तपेदिक, निमोनिया और कई तरह के रोगों से बचाता है। घर से बाहर निकलने पर मास्क से मुंह एवं नाक को अच्छी तरह से ढंककर वायरस एवं बैक्टीरिया से जुड़ी बीमारियों जैसे कोरोना, टीबी एवं निमोनिया ही नहीं बल्कि एलर्जी, अस्थमा और वायु प्रदूषण जनित तमाम बीमारियों से भी सुरक्षित रहा जा सकता है। (वार्ता)