क्या होती है और किस स्थिति को कहते हैं ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’?
किसी भी बीमारी में ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब उस बीमारी का वायरस आम सोसायटी में घुसकर बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने लगे। इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने लगती है। सबसे ज्यादा वो लोग शिकार होते हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।
हाल ही में आईसीएमआर ने ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ को लेकर अपनी जानकारी दी है। आईसीएमआर के मुताबिक किसी भी वायरस के फैलने के चार चरण होते हैं।
पहले चरण में वे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए जो दूसरे देश से संक्रमित होकर भारत में आए। यह स्टेज भारत पार कर चुका है, क्योंकि ऐसे लोगों से भारत में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल चुका है।
दूसरे चरण में स्थानीय स्तर पर लोग संक्रमित होते हैं। ये वे लोग होते हैं किसी ऐसे संक्रमित शख़्स के संपर्क में आए जो विदेश यात्रा करके लौटे थे।
तीसरा चरण को ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ कहते हैं, इसमें पता ही नहीं होता है कि कौन व्यक्ति किस दूसरे संक्रमित आदमी से वायरस से इन्फैक्ट हुआ है। ऐसे मामले में किसी व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है कि वो कोरोना वायरस से पीड़ित हो गया है, लेकिन टेस्टिंग सच उजागर करती है!
यानी पहले, दूसरे और तीसरे चरण में वायरस का सोर्स पता होता है, लेकिन तीसरे चरण में सोर्स पता नहीं होता है। इसके बाद के संक्रमण के स्तर को महामारी कहा जाता है।
कुछ दिनों पहले केरल और दिल्ली में कुछ इलाकों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति बताई जा रही थी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी ऐलान किया था कि दिल्ली में अब कम्युनिटी स्प्रेड जैसी स्थिति है, इस बात को एम्स के डायरेक्टर ने भी माना था। हालांकि अब स्थिति कंट्रोल में बताई जा रही है।
लेकिन कम्युनिटी ट्रांसमिशन वो स्थिति है जिस पर काबू करना बेहद जरुरी है, नहीं तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है।