केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया, नागरिकों की दिक्कतों व कष्ट को हल्के में नहीं लिया
नई दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान नागरिकों की परेशानियों और कष्टों को हल्के में नहीं लिया जा सकता और न ही हल्के में लिया गया है। दिक्कतें दूर करने और जान के नुकसान को कम करने के लिए त्वरित, ठोस और समग्र कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने कहा है कि वह संक्रमण के अप्रत्याशित मामलों के बावजूद युद्धस्तर पर इससे निपटने के लिए तमाम प्रयास कर रही है।
केंद्र ने कहा है कि वह महामारी की मौजूदा लहर को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दे रहा है। इसके साथ ही कि पूरी तरह मिथ्या विमर्श से भी निपटने का प्रयास कर रहा कि कोरोनावायरस की शुरुआत से लेकर अपने चरम पर और दूसरी लहर तक राष्ट्र ने कुछ भी नहीं किया और अनजान बना रहा। केंद्र ने 200 पन्ने के हलफनामे में कहा है कि उसने महामारी के दौरान मामलों की वृद्धि को रोकने के लिए तमाम कदम उठाए हैं।
हलफनामे में कहा गया कि दिए गए तथ्यों से यह अदालत संतुष्ट होगी कि शुरुआत से मौजूदा गंभीर समय तक केंद्र सरकार ने महामारी के मामले में हर जरूरी चीजों से लैस करने के लिए बेहद पेशेवराना तरीके से कई कदम उठाए हैं। इसमें कहा गया कि संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान नागरिकों की परेशानियों और कष्ट को हल्के में नहीं लिया जा सकता और न ही हल्के में लिया गया है। केंद्र सरकार संक्रमण के अप्रत्याशित मामलों के बावजूद युद्ध स्तर पर इससे निपटने के लिए तमाम प्रयास कर रही है।
केंद्र ने कहा कि रेमडेसिविर की मांग बढ़ने पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 7 निर्माताओं के 22 निर्माण स्थल को अनुमति के साथ 12 अप्रैल को तत्काल 31 अतिरिक्त निर्माण स्थलों को मंजूरी दी। केंद्र ने कहा है कि राष्ट्रीय टीकाकरण रणनीति के तीसरे चरण की शुरुआत की गई है जिसके तहत एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के नागरिकों का टीकाकरण होगा। (भाषा)