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Last Modified: रविवार, 26 जुलाई 2020 (21:18 IST)

रात के अंधेरे और कंपकंपी के बीच अमिताभ बच्चन गाते हैं गाना

रात के अंधेरे और कंपकंपी के बीच अमिताभ बच्चन गाते हैं गाना - Amitabh Bachchan sings song in the dark of night
मुंबई। 77 बरस के अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और उनका पूरा परिवार (जया को छोड़कर) नानावटी अस्पताल के एक ही फ्लोर पर कोरोनावायरस (Coronavirus) को हराने की जद्दोजहद में जुट हुआ है। अमिताभ ने कहा 'मैं रात के अंधेरे और ठंडे कमरे में कंपकंपी के बीच मैं गाना गाता हूं...सोने की कोशिश में आंखें बंद करता हूं...आसपास कोई भी नहीं होता।’
 
अमिताभ और अभिषेक 11 जुलाई से व ऐश्वर्या राय बच्चन और आराध्या 17 जुलाई से नानावटी अस्पताल में भर्ती हैं। ये सभी कोरोना पॉजिटिव हैं और दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। रविवार को अमिताभ उपचार के दौरान जो कुछ भी महसूस कर रहे हैं, उन्होंने इस संघर्ष को साझा किया है।
 
नानावटी अस्पताल में अमिताभ सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखने से नहीं चूक रहे हैं। उन्होंने बीती रात अपने ब्लॉग में कहा कि इस बीमारी से पैदा हुई मानसिक स्थिति रोगी पर भारी पड़ती है क्योंकि उसे मानवीय संपर्क से दूर रखा जाता है।
उन्होंने कहा, कोविड-19 मरीज को अस्पताल के अलग वार्ड में रखा जाता है जिससे वह हफ्तों तक दूसरे लोगों को नहीं देख पाता। नर्स और डॉक्टर इलाज के लिए आते हैं और दवाएं देते हैं लेकिन वे हमेशा पीपीई किट्स पहने दिखाई देते हैं।
 
उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनने वाले का चेहरा नहीं दिखाई देता क्योंकि स्वास्थ्य देखभाल कर्मी अत्यधिक एहतियात बरतते हैं और इलाज करके चले जाते हैं।
 
अभिनेता ने कहा, चले जाते हैं क्योंकि लंबे वक्त तक रुकने से संक्रमित होने का डर रहता है। जिस डॉक्टर के मार्गदर्शन में आपका इलाज चल रहा होता है, वह कभी आपके पास नहीं आता। उन्होंने कहा कि संवाद वर्चुअल है, जो मौजूदा हालात को देखते हुए सबसे अच्छा तरीका है लेकिन फिर भी ‘अव्यक्तिगत’ है।
 
अपने स्वास्थ्य के बारे में सोशल मीडिया पर प्रशंसकों को अक्सर जानकारी देने वाले अभिनेता ने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित होने का ठप्पा ऐसा है जिससे किसी मरीज को संस्थागत पृथक-वास अवधि खत्म होने के बाद भी जूझना पड़ सकता है।
अमिताभ ने कहा, क्या इसका मानसिक रूप से मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है? मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पड़ता है। पृथक वास अवधि खत्म होने के बाद मरीजों को गुस्सा आता है, उन्हें पेशेवर मनोवैज्ञानिकों से बातचीत करने की सलाह दी जाती है।
 
उन्होंने कहा, उन्हें जनता के बीच जाने में डर या आशंका होती है कि उनसे अलग तरह से व्यवहार किया जाएगा। ऐसे व्यक्ति के तौर पर व्यवहार किया जाएगा, जिसे यह बीमारी हुई। इससे वे और अधिक तनाव तथा अकेलेपन में चले जाएंगे।
 
अपनी खुद की स्थिति बताते हुए अमिताभ ने लिखा कि वह अकेलेपन में अपने आप का मनोरंजन करने के लिए गाना गाते हैं। दिग्गज अभिनेता ने कहा, ‘रात के अंधेरे और ठंडे कमरे में कंपकंपी के बीच मैं गाना गाता हूं...सोने की कोशिश में आंखें बंद करता हूं...आसपास कोई भी नहीं होता।’ बॉलीवुड अभिनेता ने कोरोना वायरस से संक्रमित न पाए जाने की खबरों को पहले ही खारिज कर दिया था।
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