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Written By ND

हेल्थ केयर में संभावनाएँ

हेल्थ केयर में संभावनाएँ -
- अशोक सिंह

ND
करियर निर्माण की दृष्टि से देश के हेल्थकेयर सेक्टर को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जहाँ वर्ष 2006 में इसका कारोबार 35 अरब डॉलर के बराबर था वहीं अब यह 2012 में बढ़कर 77 अरब डॉलर से ज्यादा होने की उम्मीद विशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही है। हालाँकि देश की विशाल आबादी और खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाली आबादी को देखते हुए यह स्तर भी ज्यादा नहीं है।

असल में इस संभावित बढ़ोतरी के पीछे मूल कारण है मेडिकल टूरिज्म से मिलने वाली आय और प्राइवेट अस्पतालों का बढ़ता बोलबाला। सरकारी स्वास्थ्य सुविधा की बदहाली और दिन प्रतिदिन इन अस्पतालों के डॉक्टरों एवं प्रशासन की बेरुखी की वजह से आम आदमी को प्राइवेट डॉक्टरों की शरण में अंततः जाना पड़ जाता है।

लगभग समस्त सर्वेक्षणों में स्पष्ट कहा गया है कि आने वाले दशक में देश में निजी निवेश और कॉर्पोरेट अस्पताल संस्कृति के कारण उपलब्ध बेड और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। इतना ही नहीं, अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक उपकरणों पर भी प्रायः समस्त हॉस्पिटलों में ज्यादा धन खर्च किया जाएगा और सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों का प्रचलन बढ़ेगा।

इन निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में अपोलो, मैक्स, मेदांता ग्रुप, मेट्रो हास्पीटल आदि का विशेषतौर पर नाम लिया जा सकता है। महानगरों से आगे बढ़ते हुए इन समूहों द्वारा छोटे शहरों में अब अस्पताल खोले जा रहे हैं।

कहने को सरकारी अस्पतालों का भी आधुनिकीकरण किया जा रहा है पर यह अमूमन बड़े शहरों तक ही सीमित है । इस स्थिति की असल वजह सरकार के पास धन की सीमित मात्रा का होना तथा अन्य वरीयताओं का होना दिया जा सकता है। इसके बावजूद यह भी सच है कि स्वास्थ्यकर्मियों की सबसे बड़ी फौज को रोजगार इन्हीं सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों अथवा सरकारी अस्पतालों में मिला हुआ है।

भविष्य में इनके लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को ऑपरेट करने वाले ट्रेंड टेक्नीशियन अथवा नई बीमारियों के नियंत्रण हेतु विशिष्ट ट्रेंड चिकित्सकों की नियुक्तियां बड़े पैमाने पर होंगी, इस तथ्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

इन ट्रेंड चिकित्साकर्मियों में डॉक्टरों, पेरामेडिकल स्टाफ, नर्सिंग कर्मियों, लैब टेक्नीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, फिजियोथिरेपिस्ट आदि का उल्लेख किया जा सकता है। देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की तुलना में फिलहाल मेडिकल कॉलेजों की संख्या बहुत कम है लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होने की पूरी-पूरी संभावना व्यक्त की जा सकती है।