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Written By मनीष शर्मा

सौतेले व्यवहार के साथ करें सौतेला व्यवहार

महारानी कैकेयी
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महारानी कैकेयी को मंथरा ने जब राम को युवराज बनाए जाने की सूचना दी तो उनके हर्ष की सीमा नहीं रही। वे बोलीं- इस शुभ समाचार के लिए तू मुझसे जो माँगेगी, मैं दूँगी। इस पर मंथरा ने दशरथ और राम के विरुद्ध जहर उगला।

तब कैकेयी बोलीं- अब बस भी कर घरफोड़ू कहीं की। तूने अब ऐसा कुछ भी कहा तो तेरी जीभ निकलवा दूँगी। राम मुझसे विशेष प्रेम करते हैं। मुझे भी वे भरत से भी अधिक प्रिय हैं। इसलिए तुझे भरत की सौगंध है। हर्ष के समय विषाद की बातें मत कर।

लेकिन मंथरा ने कभी चिकनी-चुपड़ी तो कभी जहर भरी बातें कर कैकेयी की मति फेरना शुरू कर दिया। उसने अपना अंतिम तीर छोड़ते हुए कहा कि तुम्हारी सौत कौशल्या को यह सहन नहीं हो रहा है कि तुम राजा की प्रिय बनी रहो। इसीलिए उसने राजा से मिलकर यह सारा षड्यंत्र रचा है।
  महारानी कैकेयी को मंथरा ने जब राम को युवराज बनाए जाने की सूचना दी तो उनके हर्ष की सीमा नहीं रही। वे बोलीं- इस शुभ समाचार के लिए तू मुझसे जो माँगेगी, मैं दूँगी। इस पर मंथरा ने दशरथ और राम के विरुद्ध जहर उगला।      


इस प्रकार मंथरा ने सैकड़ों सौतों के किस्से सुनाकर कैकेयी के अंदर सौतेले भाव के बीज रोप दिए। इसके बाद तो कैकेयी ने वैसा ही किया, जैसा मंथरा ने चाहा। लेकिन बाद में कैकेयी जीवनभर अपनी उस एक गलती के लिए पछताती रहीं।

दोस्तो, मुँह से निकली एक चिंगारी भी इतनी शक्तिशाली होती है कि वह वर्षों के किए धरे को एक क्षण में भस्म कर दे। मंथरा ने कैकेयी को सगे-सौतेले का अंतर समझाकर राम के प्रति उनके अगाध प्रेम को कुछ समय के लिए ही घृणा में बदला और उस दौरान कैकेयी के मुँह से निकले चिंगारी रूपी वचनों ने उनके जीवनभर के दुलार को भुलाकर उन्हें एक निर्दयी स्त्री के रूप में स्थापित कर दिया।

यहाँ तक कि आज भी सौतेली माँ को उन्हीं की वजह से शंका की दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए दूसरों के कहने पर न चलें, क्योंकि वे सिर्फ आग लगाने वाले काम ही करवाते हैं। उनका तो कुछ नहीं बिगड़ता, नुकसान हर तरह से आपका ही होता है।

वैसे भी देखा जाए तो बच्चे हर व्यक्ति को प्यारे लगते हैं। स्त्री में तो मातृत्व का भाव पैदाइशी होता है। उसकी नजर में कोई सगा-सौतेला नहीं होता। लेकिन उसके नजदीकी ही मंथरा बनकर उसे इनका फर्क समझाते हैं। और इस तरह वे माता को विमाता बना देते हैं जिसमें स्नेह की जगह कटुता, क्रूरता, स्वार्थ, ईर्ष्या, लोभ, मोह आ जाते हैं।

और इस तरह सौतिया डाह से ग्रस्त हो वह अपना भला-बुरा नहीं सोच पाती और मन ही मन कुढ़ती रहती है, जलती रहती है। यदि आप भी इसी तरह की आग में जल रही हैं तो कैकेयी की तरह अंततः आपको पछताना ही पड़ेगा। इसलिए बेहतर यही है कि समय रहते सौतेले व्यवहार के साथ ही सौतेला व्यवहार शुरू कर दें और अपने रिश्तों में किसी मंथरा को प्रवेश न करने दें, क्योंकि वह एक दिन आपको ही कुबड़ा बना देगी यानी झुकने पर मजबूर कर देगी।

क्योंकि आप कुछ ऐसा कर बैठेंगी कि फिर कभी सिर उठाकर नहीं चल पाएँगी। इसलिए अपने इस छिपे शत्रु को पहचानें और सतर्क रहें। यदि आपने इस एक ढोंगी शुभेच्छु से दूरी बना ली तो फिर आपके निकट का कोई आपसे दूर नहीं जाएगा।

दूसरी ओर, कई बार बच्चे ही विमाता से सौतेला व्यवहार करके उसे 'सौतेली माँ' बनने पर मजबूर कर देते हैं। यहाँ भी समस्या वही कि दूसरे लोग बच्चों को उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ा देते हैं कि सौतेली माँ तुम्हारा ये कर देगी, वो कर देगी। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो अपने मन से इस भय को निकाल दें। हर सौतेली माँ बुरी नहीं होती। ऐसे कई उदाहरण हैं कि सौतेली माँ की वजह से बच्चों ने जीवन में बहुत ऊँचाइयाँ पाईं। और यदि आपके साथ सौतेला व्यवहार हो भी रहा है, तो उससे परेशान होकर कोई गलत राह न अपनाएँ। अंत में आपका भला ही होगा, जैसा कि राम के साथ हुआ।

और अंत में, कल 'स्टेप मदर्स डे' था। और आज 'ब्रदर्स एंड सिस्टर्स डे' है। इस अवसर पर प्रण करें कि किसी के साथ 'सौतेला व्यवहार' नहीं करेंगे। फिर चाहे वह अपना हो या पराया। तब आपके रिश्ते सभी के साथ खुशनुमा रहेंगे। वैसे भी सगा-सौतेला कुछ होता भी नहीं। तुर्की कहावत है कि वे दोनों सगे भाई हैं लेकिन उनकी जेबें सगी बहनें नहीं हैं। आप हमारे कहने का आशय समझ गए होंगे। अरे भई, मुसीबत में जो काम आए, वही सगा।