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Last Updated : गुरुवार, 29 जून 2023 (17:57 IST)

सत्यप्रेम की कथा फिल्म समीक्षा : बोरियत ज्यादा मनोरंजन कम

Satyaprem Ki Katha review : सत्यप्रेम की कथा के जरिये एक गंभीर मुद्दे पर बात करने की कोशिश की गई है, लेकिन इसके इर्दगिर्द जो कहानी बुनी गई है वो कमजोर है जिससे बात का असर जाता रहा। न मुद्दा उभर कर आया और न फिल्म मनोरंजन की कसौटी पर खरी उतर पाई। कायदे से तो यह फिल्म इंटरवल के बाद ही देखना शुरू करना चाहिए, क्योंकि इसके पहले ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप को लगे कि आपने मिस कर दिया हो। सिर्फ अंतिम 15 मिनट को छोड़ दिया जाए तो फिल्म ट्रैक छोड़ कर ही चलती है। 
Satyaprem Ki Katha review in hindi starring Kartik Aaryan and Kiara Advani | सत्यप्रेम की कथा फिल्म समीक्षा : बोरियत ज्यादा मनोरंजन कम
 
अहमदाबाद में रहने वाला सत्यप्रेम (कार्तिक आर्यन) फेल होने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया। कोई काम उसके पास नहीं है। सत्यप्रेम और उसके पिता (गजराज राव) मां और बहन की कमाई पर जिंदा है। कथा (कियारा आडवाणी) नामक लड़की से सत्यप्रेम एकतरफा प्रेम करता है जो अमीर पिता की बेटी है और उसका बॉयफ्रेंड है। कथा एक दिन आत्महत्या करने की कोशिश करती है और सत्यप्रेम उसे बचा लेता है। इससे प्रभावित होकर कथा की शादी उसके पिता सत्यप्रेम से करा देते हैं जबकि कथा इस शादी के खिलाफ है। कथा अपने पति को खर्राटे की बात कह कर कभी अपने पास सोने नहीं देती है। उसने आत्महत्या की कोशिश क्यों की? अपने पति से दूरी बना कर क्यों रखती है? इनके जवाब फिल्म में बहुत देर से मिलते हैं और ये लेखन की कमी है। 
 
करण श्रीकांत शर्मा ने फिल्म को लिखा है। फिल्म देखते समय कई प्रश्न‍ दिमाग में उठते हैं? सत्यप्रेम शादी के पहले क्यों नहीं पूछता कि कथा ने आत्महत्या की कोशिश क्यों की? मजे की बात तो ये है कि शादी होने के महीनों बाद वह यह सवाल पूछता है। कथा एक बेरोजगार लड़के से शादी के लिए क्यों राजी हो जाती है? सत्यप्रेम जैसे निम्न मध्यमवर्गीय और बेरोजगार लड़के से कथा का पिता अपनी बेटी की शादी क्यों कर देता है? इनमें से कुछ सवालों के जवाब फिल्म मे अंत में मिलते हैं, लेकिन ये इतने सतही हैं कि संतुष्टि नहीं होती।
 
फिल्म के किरदार बेहद लाउड और जरूरत से ज्यादा बोलने वाले हैं। कथा के घर के बाहर खड़ा चौकीदार भी इतना बोलता है कि कोफ्त होने लगती है। गुजराती परिवार दिखाना है तो जरूरत से ज्यादा बार फाफड़ा-खाकरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है और बार-बार जताने की कोशिश की गई है कि किरदार गुजरात से हैं। 
 
स्क्रिप्ट में मनोरंजक दृश्यों का अभाव है। सत्यप्रेम और उसकी फैमिली के बीच कॉमेडी सीन रखे गए हैं जो हंसाने में नाकामयाब हैं। सत्यप्रेम और कथा की लवस्टोरी बिलकुल अपील नहीं करती क्योंकि दोनों के बीच में शादी की कोई वजह नजर ही नहीं आती। शादी के बाद भी दोनों के बीच ऐसे सीन नहीं हैं जिनमें रोमांस हो जबकि ऐसा ट्विस्ट डाला गया है जो दर्शकों को इमोशनल कर सकता है, लेकिन लेखक ऐसे दृश्य नहीं लिख पाए। 
 
दरअसल कथा के साथ क्या हुआ, इस राज से परदा हटाने में बहुत देर कर दी जिससे दर्शकों की सहानुभूति कथा के साथ हो ही नहीं पाती। अंत में एक मैसेज दिया है, जो मजबूत स्क्रिप्ट के अभाव में बहुत कम असर दर्शकों पर छोड़ता है। 


 
निर्देशक समीर विद्वान्स ने स्क्रिप्ट की कमियों पर ध्यान नहीं दिया और न ही वे इन कमियों को छिपाकर दर्शकों को एंटरटेन करने में सफल रहे। एक जगह आकर फिल्म रिपीटेटिव हो जाती है। निर्देशक की बहुत ज्यादा कोशिश दिखाई देती है। 
 
कार्तिक आर्यन पर अक्षय कुमार का असर दिखाई दिया। कुछ दृश्यों में उनकी एक्टिंग अच्छी तो कुछ में औसत रही। कॉमेडी करने की उनकी कोशिश जोरदार संवाद के अभाव में बरबाद हुई। कियारा आडवाणी की एक्टिंग औसत से बेहतर है। गजराज राव, सुप्रिया पाठक और शिखा तल्सानिया का अभिनय उम्दा है। छोटे रोल में राजपाल यादव भी नजर आए। 
 
फिल्म का संगीत बड़ा प्लस पाइंट है। ज्यादातर गाने गुनगुनाने लायक हैं। सुपरहिट पाकिस्तानी गाना पासूरी का रीमेक भी है। क्या संगीतकार कुछ नया नहीं सोच पा रहे हैं? फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और अयानंका बोस की सिनेमाटोग्राफी शानदार है। चारु श्री रॉय की एडिटिंग लूज है। कम से कम आधा घंटा फिल्म को छोटा किया जा सकता था। संवाद दमदार नहीं हैं। 
 
सत्यप्रेम की कथा का ट्रेलर एक रोमांटिक, कॉमेडी और मनोरंजक फिल्म का आभास जरूर देता है, लेकिन फिल्म में बोरियत ज्यादा है और मनोरंजन बहुत कम। 
 
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला, शरीन मंत्री केडिया, किशोर अरोड़ा
निर्देशक : समीर विद्वान्स
गीतकार : कुमार, एएम तुराज़, तनिष्क बागची, मनन भारद्वाज, गुरप्रीत सैनी
संगीत : मीत ब्रदर्स, अंजन, तनिष्क बागची, मनन भारद्वाज, पायल देव, रोचक कोहली
कलाकार : कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, गजराज राव, सुप्रिया पाठक, शिखा तल्सानिया, राजपाल यादव
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटा 26 मिनट 2 सेकंड
रेटिंग : 1.5/5