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Last Updated : गुरुवार, 9 मार्च 2023 (11:32 IST)

सतीश कौशिक ने जब किया था प्रेग्नेंट नीना गुप्ता को शादी के लिए प्रपोज

Satish Kaushik ने जब किया था प्रेग्नेंट नीना गुप्ता को शादी के लिए प्रपोज | satish kaushik offer marriage to pregnant neena gupta know the reason
सतीश कौशिक फिल्म निर्देशक और अभिनेता तो थे ही, यारों के यार भी थे। अपने किसी दोस्त को मुसीबत में देखते तो फौरन उसके साथ खड़े हो जाते ताकि वह अकेलापन महसूस नहीं करे। एक्ट्रेस नीना गुप्ता से भी उनकी दोस्ती बेहद खास थी। एक किस्सा जो सतीश ने कभी नहीं बताया था उसका खुलासा नीना ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'सच कहूं तो' में किया था। उन्होंने बताया था कि जब वह प्रेग्नेंट थीं तब उनके दोस्त और एक्टर सतीश कौशिक ने उनसे शादी करने का ऑफर दिया था।
 
दरअसल नीना बिना शादी के प्रेग्नेंट हो गई थीं और उन्होंने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया। किसी को नहीं पता था कि इस बच्चे का पिता कौन है। तब सतीश कौशिक ने नीना गुप्ता से कहा था, चिंता मत करों, अगर बच्चा डार्क स्किन का पैदा होता है तो बोल देना कि ये मेरा है और हम शादी कर लेगे। किसी को इस पर शक भी नहीं होगा। हालांकि नीना ने सतीश के इस ऑफर को रिजेक्ट कर दिया था।
 
बाद में सतीश ने इस पर अपना रिएक्शन देते हुए कहा था कि नीना और मैं सन् 1975 से दोस्त हैं, और तब से अब तक हमारी दोस्ती मज़बूत है। हम एक दूसरे को नैंसी और कौशिकन बुलाते हैं। मैं उनके परिवार को भी जानता हूं। हम दोनों करोल बाग में आसपास ही रहते थे, दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी साथ थे और थिएटर में भी एक्टिव थे। नीना जब मेरे कॉलेज आई थी तो हंगामा मच जाता था, वो जिस तरह खुद को रखती थी और बातें करती थी उससे हर कोई इंप्रेस हो जाता था। मेरे कुछ साल बाद उन्होंने भी एनएसडी ज्वॉइन कर लिया। 
 
बाद में अपनी-अपनी जर्नी में हम बिजी हो गए, लेकिन जब भी हम मिलते थे पुरानी यादें ताज़ा हो जाती थीं। जिस तरह नैंसी ने अपनी ज़िंदगी की मुश्किलों का सामना किया है मैं इसके लिए हमेशा उनकी सराहना करता हूं, उन्होंने बहुत बहादुरी से अपने जीवन की चुनौतियों का सामना किया है, खासकर तब जब वो मसाबा के वक्त प्रेग्नेंट थीं। 
 
मैं उनकी इस बात के लिए सराहना करता हूं कि एक लड़की ने शादी के बगैर बच्चे को जन्म देने का फैसला लिया। उस वक्त एक सच्चे दोस्त की तरह मैं बस उनके साथ खड़ा रहा और उन्हें भरोसा दिया। मैं उन्हें लेकर बहुत चिंतित था और उन्हें अकेला महसूस नहीं होने देना चाहता था। 
 
इस किस्से से पता चलता है कि सतीश अपने दोस्तों का कितना ध्यान रखते थे और उनके बारे में फिक्रमंद भी रहते थे। 
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