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शाहिद कपूर ने स्वरा भास्कर के खुले पत्र को कहा बेहूदा

शाहिद कपूर ने स्वरा भास्कर के खुले पत्र को कहा बेहूदा - Swara Bhaskar, Open Letter, Shahid Kapoor, Padmavat, Sanjay Leela Bhansali
पद्मावत रिलीज़ होने के बाद एक्ट्रेस स्वरा भास्कर काफी चर्चाओं में आ गई हैं। जी नहीं, उन्होंने फिल्म में एक्टिंग नहीं की लेकिन उन्होंने फिल्म को लेकर ऐसी बातें कह दी है जो कई लोगों को पसंद नहीं आई है। 
 
स्वरा भास्कर ने एक ओपन लेटर लिखा जिसमें उन्होंने बताया कि पद्मावत को देखने के बाद उन्हें 'योनि' की तरह महसूस किया'। इसे लेकर इंडस्ट्री के कई लोगों ने स्वरा को इस पत्र के लिए जवाब दिया। कुछ ने साथ दिया कुछ ने गलत कहा। हाल ही में शाहिद कपूर ने भी उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया दी। 
 
स्वरा के इस लेटर को शाहिद ने डिस्गस्टिंग (घृणित) और बेहूदा बताया। शाहिद ने बताया कि उन्हें पता चला है कि स्वरा ने पद्मावत की आलोचना की है, हालांकि उन्होंने लेटर पढ़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने इसे अभी तक नहीं पढ़ा क्योंकि वह लेटर बहुत लंबा है और हम इन दिनों बहुत व्यस्त हैं। मुझे नहीं पता कि उनकी समस्या क्या है लेकिन जो भी समस्या है वो संजय सर से है। 
 
शाहिद ने कहा जहां एक ओर सभी पद्मावत फिल्म का समर्थन कर रहे हैं वहीं स्वरा का यह ओपन लेटर थोड़ा घृणित है। मैं कहूंगा कि अभी इसके लिए समय नहीं है। पद्मावत पूरी फिल्म इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व कर रही है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भाषण की स्वतंत्रता का भी प्रतिनिधित्व कर रही है। हमें इस फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाने में बहुत मुश्किल हुई और अब पूरी फिल्म इंडस्ट्री हमारे समर्थन में है, तो मुझे यह खुला पत्र बेहूदा लगा। लेकिन हर किसी को अपने विचार दर्शाने का अधिकार है और स्वरा ने भी अपने व्यक्तिगत विचार लेटर में लिखे हैं। 
 
लेटर में स्वरा ने भंसाली को 'जौहर और सती की महिमा' दिखाने के लिए नाराजगी व्यक्त की, जिसमें पद्मावती के चरित्र को अलाउद्दीन खिलजी की कैद को स्वीकार करने के बजाय जौहर करना मंजूर कर लिया। उन्होंने महिलाओं की स्वतंत्रता से जुड़ी कई बातें की। 
 
स्वरा ने अपने पत्र में लिखा कि आप यह कहेंगे कि आपने फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि फिल्म सती या जौहर का समर्थन नहीं करती है। ये बात सही है, लेकिन इसके बाद 2 घंटे 45 मिनट तक आप राजपूती आन-बान-शान, चिता में जल कर मर जाने का रास्ता चुननेवाली सम्माननीय राजपूत स्त्रियों के साहस का जयगीत सुनाते रहे। तीन बार से ज्यादा आपकी कहानी के अच्छे चरित्रों ने सती/जौहर को एक सम्मान के लायक विकल्प बताया। 
 
आपकी नायिका, जो सुंदरता और बुद्धि का साक्षात उदाहरण है, अपने पति से जौहर करने की इजाजत मांगती है, क्योंकि वह उसकी इजाजत के बगैर यह भी नहीं कर सकती थी। इसके ठीक बाद, उसने सत्य और असत्य, धर्म और अधर्म के बीच युद्ध को लेकर एक लंबा भाषण दिया और सामूहिक सती को सत्य और धर्म के रास्ते के तौर पर पेश किया। 
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