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Last Modified: सोमवार, 5 फ़रवरी 2024 (17:59 IST)

लता मंगेशकर की पुण्यतिथि पर संगीत जगत की हस्तियां संगीतमय बैठक के माध्यम से अर्पित करेगी श्रद्धांजलि

लता मंगेशकर की याद में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में उनकी बहनें आशा भोंसले और उषा मंगेशकर की करेंगी शिरकत

On the occasion of the death anniversary of Lata Mangeshkar all the celebrities of the music world will pay tribute through Sangeetmay Baithak - On the occasion of the death anniversary of Lata Mangeshkar all the celebrities of the music world will pay tribute through Sangeetmay Baithak
Lata Mangeshkar death anniversary: स्वरकोकिला लता मंगेशकर की 6 फरवरी को दूसरी पुण्यतिथि है। इस मौके पर 'संगीतमय बैठक' नामक एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन के दौरान संगीत जगत की कई बड़ी हस्तियां एक ही जगह पर इकट्ठा होंगी और स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी।
 
इस अनूठे आयोजन के पीछे इंडियन सिंगर्स ऐंड म्यूज़िशियन्स राइट्स एसोसिएशन (ISAMRA) के‌ संस्थापक व सीईओ संजय टंडन का विशेष योगदान है। उल्लेखनीय है कि दिवगंत लता मंगेशकर की याद में आयोजित किये जाने वाले इस कार्यक्रम को लता मंगेशकर की बहनों - आशा भोंसले और उषा मंगेशकर का आशीर्वाद प्राप्त है।
 
इस विशेष आयोजन में जो बड़ी हस्तियां शामिल होंगी, उनमें कई जाने-माने गीतकार, संगीतकार और गायकों का शुमार है। ऐसे दिग्गज नामों में‌ अलका याग्निक, उदित नारायण, कुणाल गांजावाला, सुरेश वाडकर, शान, सुदेश भोसले, शब्बीर कुमार, नितिन मुकेश, ललित पंडित, शैलेंद्र सिंह, संजय टंडन, अन्नू मलिक, रिचा शर्मा, मधुश्री, जसपिंदर नरूला, साधना सरगम, स्नेहा पंत, संजीवनी भेलांडे, बेला सुलाखे, हर्षदीप कौर जैसी कई हस्तियां शामिल हैं जो दिवगंत लता मंगेशकर के कालजयी गीतों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
 
इस ख़ास कार्यक्रम के दौरान जावेद अख़्तर, संगीतकार आनंदजी भाई, प्यारेलालजी, विशाल भारद्वाज और हिमेश रेशमिया के भी उपस्थित रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
 
संजय टंडन कहते हैं, किसी भी आम परिवार की तरह ही ISAMRA भी तमाम गायकों और संगीतकारों की तरह एक बड़ा परिवार है। ऐसे में यह बहुत ज़रूरी जो जाता है कि यह परिवार समय-समय पर मुलाक़ात करे और एक-दूसरे का हाल-चाल जाने। मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है कि लता मंगेशकर‌ ने रॉयल्टी का जो मुद्दा 60 के दशक में उठाया था, उसे अब ISAMRA के अंतर्गत सुलझा लिया गया है।