मंगलवार, 12 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. Jigra movie review
Last Updated : शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 (14:42 IST)

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना | Jigra movie review
जिगरा की नायिका सत्या आनंद (आलिया भट्ट) अपने मुसीबत में फंसे भाई को कहती है कि मैंने तुझे राखी पहनाई है, अब मैं तेरी रक्षा भी करूंगी। फिल्म इस मिथ्या को तोड़ने की कोशिश करती है कि भाई ही हमेशा रक्षक नहीं होता, जरूरत पड़ने पर बहन भी रक्षा कर सकती है।  
 
सत्या का भाई अंकुर (वेदांग रैना) को विदेश में ड्रग रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। कानून इतना कड़ा है कि अंकुर को मौत की सजा सुनाई जाती है, जबकि वह निर्दोष है। भारत से उसकी बहन सत्या अपने भाई को बचाने के लिए उस अनजान मुल्क में जाती है, जहां भाषा से लेकर तो कानून कायदे तक बहुत अलग हैं। 
 
निर्देशक वासन बाला की यह फिल्म सिंगल ट्रैक पर चलती है, जहां बहन का एकमात्र मिशन है ‍कि भाई को तमाम सिक्योरिटी के बीच जेल से ‍निकालना। 
 
फिल्म की शुरुआत बेहतरीन है। चंद सेकंड में ही दर्शक जान जाते हैं कि सत्या किस तरह की लड़की है और उसका बचपन इतना खराब क्यों रहा है। वासन बाला बढ़िया तरीके से दर्शकों को सत्या के किरदार से जोड़ देते हैं।
 
सत्या के लिए भाई के आगे सारे कानून-कायदे कोई मोल नहीं रखते। उसके अंदर पल रहे गुस्से को महसूस किया जा सकता है। फिल्म में तनाव के पलों को लेकर जो माहौल रचा गया है वो दर्शकों पर पकड़ बनाता है। 
 
कहानी बहुत सिंपल है। अंत में क्या होने वाला है, ये सभी जानते हैं, लेकिन ये सफर कितना रोमांचकारी होगा, बात यही पर आकर टिक जाती है। 
 
निर्देशक वासन बाला की तकनीकी पकड़, उनके शॉट लेने और कहानी कहने का तरीका, जबरदस्त बैकग्राउंड स्कोर और शानदार सिनेमाटोग्राफी आपकी ‍फिल्म में दिलचस्पी बनाए रखते हैं। यह सिलसिला इंटरवल तक अच्छे तरीके से चलता है जब सत्या जेल तोड़कर भाई को निकालने का प्लान बनाती है।
 
इंटरवल के बाद जैसे ही कहानी और स्क्रीनप्ले फ्रंट सीट पर आते हैं, गाड़ी पटरी से उतर जाती है। इस प्लान को जब ग्राउंड पर क्रियान्वित किया जाता है तो दर्शक कन्यफ्यूज होते हैं और स्क्रीन पर जो घटनाएं घटती हैं उस पर यकीन नहीं कर पाते। सब कुछ बहुत ही सरल तरीके से, बिना किसी अड़चन के हो जाता है। 
 
सेकंड हाफ में कहानी को लेखक वासन बाला और देबाशीष इरंगबम ठीक से समेट नहीं पाए। स्क्रीनप्ले में रोमांच और उतार चढ़ाव की कमी महसूस होती है। लंबा क्लाइमैक्स खींचा हुआ महसूस होता है। 
 
विदेशी जमीन पर जिस तरह से हाई सिक्योरिटी वाले जेल में सत्या और उसकी टीम बहुत आसानी से अपने प्लान को कामयाब बनाते हैं वो बात आसानी से पचती नहीं है। 
 
सेकंड हाफ को रोमांचक बनाने का बढ़िया अवसर था क्योंकि फर्स्ट हाफ में माहौल बना कर उम्मीदें जगा दी गई थीं, लेकिन उस पर पानी फिर गया।
 
वासन बाला का निर्देशन तो उम्दा है, लेकिन बतौर लेखक वे उम्मीद से कम रहे जिसका असर फिल्म पर नजर आता है। अमिताभ बच्चन के फैन होने की बात बार-बार फिल्म में वे दर्शाते हैं, चाहे किरदार ‘अग्निपथ’ (अमिताभ वाली) को टीवी पर देख रहे हों या ‘जंजीर’ के गानों का इस्तेमाल हों, यहां तक कि एंग्रीयंग मैन वाली झलक आलिया के किरदार में भी देखने को मिलती है। 
 
आलिया भट्ट की एक्टिंग इस फिल्म को देखने की एक वजह हो सकती है। इस तरह का किरदार उन्होंने पहले कभी नहीं निभाया। ‘जिगरा’ में उन्होंने अपना किरदार कमाल का जिया है। अपने आक्रामकता भरे अभिनय से उन्होंने किरदार को विस्फोटक बनाया है।
 
वेदांग रैना के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था। मनोज पाहवा मंझे हुए अभिनेता हैं और रिटायर्ड डॉन के किरदार में अच्छे लगते हैं। 
 
तकनीकी रूप से फिल्म बेहद मजबूत है। स्वप्निल एस सोनवने की सिनेमाटोग्राफी लाजवाब है। अंचित ठक्कर का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को अलग लेवल पर ले जाता है। गाने किरदारों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहानी को आगे ले जाते हैं। 
 
जिगरा एक टाइमपास मूवी है, जिसे देख बहुत मजा भी नहीं आता तो निराशा भी नहीं होती। 
 
  • फिल्म : Jigra (2024) 
  • निर्देशक : वासन बाला
  • गीतकार : हरमनजीत सिंह, वरुण ग्रोवर, आनंद बख्शी
  • संगीतकार : मनप्रीत सिंह, अंचित ठक्कर, आरडी बर्मन
  • कलाकार : आलिया भट्ट, वेदांग रैना, मनोज पाहवा
  • सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 35 मिनट 
  • रेटिंग : 2.5/5