मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. बॉलीवुड न्यूज़
  4. nutan death anniversary actress career and films
Last Modified: बुधवार, 21 फ़रवरी 2024 (11:34 IST)

जीवंत अभिनय के लिए याद की जाती हैं 'नूतन', बतौर बाल कलाकर शुरू किया था करियर

नूतन की मां शोभना समर्थ जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री थीं

nutan death anniversary actress career and films - nutan death anniversary actress career and films
Nutan Death Anniversary: आज के दौर में जहां 'मिस इंडिया' का खिताब जीतने वाली सुंदरियों को फिल्मों में काम करने का मौका आसानी से मिल जाता है, वहीं नूतन को फिल्मों में काम पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। 4 जून 1936 को मुंबई में जन्मीं नूतन (मूल नाम नूतन समर्थ) को अभिनय की कला विरासत में मिली। 
 
नूतन की मां शोभना समर्थ जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री थीं। घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण नूतन अक्सर अपनी मां के साथ शूटिंग देखने जाया करती थीं, इस वजह से उनका भी रुझान फिल्मों की ओर हो गया और वे भी अभिनेत्री बनने के ख्वाब देखने लगीं। नूतन ने बतौर बाल कलाकार फिल्म 'नल-दमयंती' से अपने सिने करियर की शुरुआत की। 
 
इस बीच नूतन ने अखिल भारतीय सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें वे प्रथम चुनी गईं लेकिन बॉलीवुड के किसी निर्माता का ध्यान उनकी ओर नहीं गया। नूतन को वर्ष 1950 में प्रदर्शित फिल्म 'हमारी बेटी' में अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म का निर्देशन उनकी मां शोभना समर्थ ने किया।
 
इसके बाद नूतन ने 'हम लोग', 'शीशम', 'नगीना और 'शबाब' जैसी कुछ फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों से वे कुछ खास पहचान नहीं बना सकीं। वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म 'सीमा' से नूतन ने विद्रोहिणी नायिका के सशक्त किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए नूतन को अपने सिने करियर का 'सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेत्री' का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। 
 
इस बीच नूतन ने देवानंद के साथ 'पेइंग गेस्ट' और 'तेरे घर के सामने' में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया। वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म 'सोने की चिड़िया' के हिट होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में नूतन के नाम के डंके बजने लगे और बाद में एक के बाद एक कठिन भूमिकाओं को निभाकर वे फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गईं। 
 
वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म 'दिल्ली का ठग' में नूतन ने स्विमिंग कॉस्टयूम पहनकर उस समय के समाज को चौंका दिया। फिल्म 'बारिश' में नूतन ने काफी बोल्ड दृश्य दिए जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई लेकिन बाद में बिमल रॉय की फिल्म 'सुजाता' एवं 'बंदिनी' में नूतन ने अत्यंत मर्मस्पर्शी अभिनय कर अपनी बोल्ड अभिनेत्री की छवि को बदल दिया। 
 
वर्ष 1959 में प्रदर्शित फिल्म 'सुजाता' नूतन के सिने करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। फिल्म में नूतन ने अछूत कन्या के किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। इसके साथ ही फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वे अपने सिने करियर में दूसरी बार 'फिल्म फेयर' पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 
 
वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म 'बंदिनी' भारतीय सिनेमा जगत में अपनी संपूर्णता के लिए सदा याद की जाएगी। फिल्म में नूतन के अभिनय को देखकर ऐसा लगा कि केवल उनका चेहरा ही नहीं, बल्कि हाथ-पैरों की उंगलियां भी अभिनय कर सकती हैं। इस फिल्म में अपने जीवंत अभिनय के लिए नूतन को एक बार फिर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का 'फिल्म फेयर' पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। 
 
'सुजाता', 'बंदिनी' और 'दिल ने फिर याद किया' जैसी फिल्मों की कामयाबी के बाद नूतन 'ट्रेजडी क्वीन' कही जाने लगीं। अब उन पर यह आरोप लगने लगा कि वे केवल दर्दभरे अभिनय कर सकती हैं लेकिन 'छलिया' और 'सूरत' जैसी फिल्मों में अपना कॉमिक अभिनय कर नूतन ने अपने आलोचकों का मुंह एक बार फिर से बंद कर दिया। 
 
वर्ष 1965 से 1969 तक नूतन ने दक्षिण भारत के निर्माताओं की फिल्मों के लिए काम किया। इसमें ज्यादातर सामाजिक और पारिवारिक फिल्में थीं। इनमें 'गौरी', 'मेहरबान', 'खानदान', 'मिलन और 'भाई-बहन' जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म 'सरस्वतीचन्द्र' की अपार सफलता के बाद नूतन की गिनती फिल्म इंडस्ट्री की टॉप हीरोइनों में होने लगी। वर्ष 1973 में फिल्म 'सौदागर' में नूतन ने एक बार फिर से अपना अविस्मरणीय अभिनय किया। 
 
नूतन ने अपने सिने करियर में उस दौर के सभी दिग्गज अभिनेताओं के साथ अभिनय किया। राजकपूर के साथ फिल्म 'अनाड़ी' में भोला-भाला प्यार हो या फिर अशोक कुमार के साथ फिल्म 'बंदिनी' में संजीदा अभिनय या फिर 'पेइंग गेस्ट' में देवानंद के साथ छैल-छबीला रोमांस हो, नूतन हर अभिनेता के साथ उसी के रंग में रंग जाती थीं। 
 
80 के दशक में नूतन ने चरित्र भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं और कई फिल्मों में 'मां' के किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। इन फिल्मों में 'मेरी जंग', 'नाम' और 'कर्मा' जैसी खासतौर पर उल्लेखनीय हैं। फिल्म 'मेरी जंग' के लिए में अपने सशक्त अभिनय के लिए नूतन सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 
 
फिल्म 'कर्मा' में नूतन ने अभिनय सम्राट दिलीप कुमार के साथ काम किया। इस फिल्म में नूतन पर फिल्माया यह गाना 'दिल दिया है जां भी देंगे, ए वतन तेरे लिए...' श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। नूतन की प्रतिभा केवल अभिनय तक ही नहीं सीमित थी, बल्कि वे गीत और गज़ल लिखने में भी काफी दिलचस्पी लिया करती थीं। 
नूतन को अपने सिने करियर में 5 बार 'फिल्म फेयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लगभग चार दशक तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वालीं यह महान अभिनेत्री 21 फरवरी 1991 को इस दुनिया को अलविदा कह गईं। 
 
ये भी पढ़ें
DPIFF Awards 2024 : शाहरुख खान को मिला बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड, बोले- मेरी मेहनत रंग लाई